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Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति की तिथि को लेकर भ्रम दूर करें, जानें किस दिन है सूर्यदेव की आराधना का ये पर्व

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Published : Jan 7, 2023, 8:01 PM IST

सनातन धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) का विशेष महत्व है.जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति पड़ती है. ज्योतिष की भाषा में इसे उत्‍तरायण भी कहते हैं. देश के सभी हिस्सों में इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस त्योहार को पोंगल और खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर मकर संक्रांति का त्‍योहार 14 या 15 जनवरी को होता है. इस साल 2023 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को है, इस पर लोगों में हर साल की भांति ही भ्रम की स्थिति है. इसलिए आइए हम आपको बताते हैं कि ये त्योहार किस दिन है और कैसे मनाएं.

Makar Sankranti 2023
मकर संक्रांति की तिथि लेकर भ्रम दूर करें

भोपाल। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस साल मकर संकांति रविवार को पड़ रही है. इस दिन सूर्यदेव की आराधना की जाती है. मकर संक्रांति के दिन स्‍नान और दान का खास महत्‍व होता है. इस दिन यानी 15 जनवरी को सुबह 07.15 बजे से सुबह 9 बजे तक इसका मुहूर्त है और पुण्‍यकाल सुबह 9 बजे से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है. इस बीच स्‍नान, दान आदि कोई भी पुण्‍यदायी काम करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ होता है. तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत आदि डालकर अर्घ्‍य देना चाहिए. इस 'ॐ सूर्याय नम:' या सूर्य के किसी अन्‍य मंत्र का जाप करना चाहिए.

खरमास होता खत्म : सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास खत्‍म हो जाता है और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन के बाद से सूर्य उत्‍तरायण होने लगते हैं और धीरे-धीरे दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है. उत्‍तरायण को शास्‍त्रों में शुभ माना गया है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्‍म पितामह ने अपने प्राणों को त्‍यागने के लिए सूर्य के उत्‍तरायण होने का इंतजार किया था. इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, घी आदि का दान शुभ माना गया है

मकर संक्रांति का है खगोलीय महत्व, जानें क्या कहते हैं खगोलीय वेधशाला के अधीक्षक

सूर्यदेव की आराधना करें : मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं. आमतौर पर मकर संक्रांति 14 जनवरी की होती है लेकिन इस साल मकर संक्रांति की सही तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है. ज्योतिष के अनुसार मकर राशि में सूर्यदेव 14 जनवरी को शाम के समय गोचर कर रहे हैं. इस कारण 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नहा धोकर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को गुड़, तिल, खिचड़ी आदि का भोग लगाएं.

भोपाल। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस साल मकर संकांति रविवार को पड़ रही है. इस दिन सूर्यदेव की आराधना की जाती है. मकर संक्रांति के दिन स्‍नान और दान का खास महत्‍व होता है. इस दिन यानी 15 जनवरी को सुबह 07.15 बजे से सुबह 9 बजे तक इसका मुहूर्त है और पुण्‍यकाल सुबह 9 बजे से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है. इस बीच स्‍नान, दान आदि कोई भी पुण्‍यदायी काम करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ होता है. तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत आदि डालकर अर्घ्‍य देना चाहिए. इस 'ॐ सूर्याय नम:' या सूर्य के किसी अन्‍य मंत्र का जाप करना चाहिए.

खरमास होता खत्म : सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास खत्‍म हो जाता है और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन के बाद से सूर्य उत्‍तरायण होने लगते हैं और धीरे-धीरे दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है. उत्‍तरायण को शास्‍त्रों में शुभ माना गया है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्‍म पितामह ने अपने प्राणों को त्‍यागने के लिए सूर्य के उत्‍तरायण होने का इंतजार किया था. इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, घी आदि का दान शुभ माना गया है

मकर संक्रांति का है खगोलीय महत्व, जानें क्या कहते हैं खगोलीय वेधशाला के अधीक्षक

सूर्यदेव की आराधना करें : मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं. आमतौर पर मकर संक्रांति 14 जनवरी की होती है लेकिन इस साल मकर संक्रांति की सही तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है. ज्योतिष के अनुसार मकर राशि में सूर्यदेव 14 जनवरी को शाम के समय गोचर कर रहे हैं. इस कारण 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नहा धोकर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को गुड़, तिल, खिचड़ी आदि का भोग लगाएं.

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