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Mahashivratri 2023: इस मंदिर के नीचे है मरकत मणि, जिससे होती है मनोकाना पूरी, जानें क्यों है खास मतंगेश्वर महादेव मंदिर - महाशिवरात्रि 2023

महाशिवरात्रि के अवसर पर मतंगेश्वर महादेव मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी. कहा जाता है कि यूनेस्को की सूची में शामिल मतंगेश्वर महादेव मंदिर में मरकत मणि आज भी मौजूद है. मान्यता है कि यहां भोलेनाथ की प्रतिमा हर वर्ष तिल के बराबर बढ़ती है.

matangeshwar mahadev tample  Khajuraho
मतंगेश्वर महादेव मंदिर
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Published : Feb 18, 2023, 3:44 PM IST

मतंगेश्वर महादेव मंदिर

भोपाल/खजुराहो। देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं और विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. सभी मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. देश के प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक खजुराहो के प्रसिद्ध मतंगेश्वर महादेव के दरबार में दर्शन और पूजन के लिए गुरुवार देर रात से ही लोगों का तांता लगा हुआ है. महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान मतंगेश्वर के एक दर्शन मात्र को और श्रद्धालुओं की आस्था एवं भक्ति के चलते लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं की बड़ी-लंबी लंबी कतारें रात में महाशिवरात्रि के एक दिन पहले करीब 12 बजे रात से ही जुटना शुरू हो गई थी.

भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए दंड बैठकी, पैदल और कॉवर लेके भोले नाथ का गुणगान करते आए. जिससे पूरा मंदिर प्रांगण भगवान भोलेनाथ के जयकारो से गूंज उठा. भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. कोशिश यह है कि मंदिर में किसी भी प्रकार की घटना को अंजाम न दिया जा सके. इसके लिए अधिक से अधिक चौकसी बरती जा रही है

खजुराहो के मंदिर: विश्व प्रशिद्ध आध्यात्मिक नगरी खजुराहो के मंदिर वैसे तो दुनिया भर में काम कला के मंदिरों के रूप में विख्यात है, किन्तु मतंगेश्‍वर शिव मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है. यूनेस्को की सूची में शामिल इन मंदिरों को चंदेल राजाओं द्वारा बनवाया गया था. मंदिरों में एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां आदि काल से निरंतर पूजा अर्चना होती चली आ रही है. लोग बताते है कि चंदेल राजाओं द्वारा 9वीं सदी में बनाए गए इस मंदिर के शिवलिंग के नीचे एक ऐसी मणि है जो हर मनोकामना पूरी करती है.

Khajuraho matangeshwar mandir
खजुराहो मतंगेश्वर मंदिर

तिल के बराबर बढ़ती है मूर्ति: कहा जाता है कि कभी यहां भगवान राम ने भी पूजा की थी. शिवरात्रि के दिन यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. खजुराहो के सभी मंदिरों में सबसे ऊंची जगती पर बने इस मंदिर में जो भी आता है वो भक्ति में डूब जाता है. कहते हैं कि यह शिवलिंग किसी ने बनवाया नहीं बल्कि स्वयंभू शिवलिंग के रूप में यहां विद्यमान है. 17 फुट की मूर्ति जितनी ऊपर है उतनी ही नीचे भी है. ये मूर्ति प्रति वर्ष तिल के बराबर बढ़ती भी है. ये मंदिर केवल आराधना के उद्देश्य से ही नहीं बनवाए गए थे लेकिन इन मंदिरों में एक मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण पूजा-पाठ के मकसद से किया गया था. यहां आज भी नियम से पूजा-अर्चना होती है. यहां शिव की पूजा मतंगेश्वर नाम से की जाती है.

Mahashivratri 2023: एमपी में शिव का दुर्लभ मंदिर, कंदराओं के बीच बहता है जल, नर्मदा कराती हैं महादेव का अभिषेक

महिलाओं ने गाया लमटेरा: यहां के लोगों की मान्यता है कि खजुराहो ही वह स्थान है, जहां भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था. मतंगेश्वर का एक अर्थ प्रेम का देवता भी होता है. मान्‍यता है कि मतंग ऋषि इस शिवलिंग की पूजा करते थे. इसलिए स्वयं भगवान श्री राम ने मतंग ऋषि के नाम पर इसका नाम मतंगेश्‍वर रखा था. महाशिवरात्री के अवसर पर पर्यटन नगरी खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव का अभिषेक करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. सुबह से ही यहां पर ग्रामीण क्षेत्र से महिलाएं लमटेरा गाते हुए पहुंची और शिव पार्वती विवाह के मंगलमय गीत भी गा रही हैं.

मरकत मणि: यहां के चंदेल राजाओं को मरकत मणि चंद्रवंशी होने के कारण विरासत में मिली थी. चंदेल राजाओं ने इस मणि की सुरक्षा और नियमित पूजा अर्चना के लिए इसे शिवलिंग के नीचे रखवा दिया था. लोक मान्यता है कि जो भी आदमी मरकत मणि की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इंद्र ने मरकत मणि युधिष्ठिर को दी थी. आगे जाकर यह यशोवर्मन, चंद्रवर्मन के पास रही. उन्होंने उसकी सुरक्षा व पूजा अर्चना के लिए लिए इसे शिवलिंग के नीचे स्थापित करा दिया था.

MP के इस जिले में विराजमान है 76 फीट ऊंची कचनार महादेव की प्रतिमा, दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु

ऐसे होती है मनोकामना पूर्ति: लोगों की आस्था यहां होने के चलते सालों से अमावस्या और महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां लोगों का हुजूम देखते ही बनता है. जिसको लेकर प्रशासन की व्यवस्था है विचार चौक देखने को मिल रही हैं और लोगों की मानें तो यहां मतंगेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव से जो भी मन्नत की कामना की जाती है वह पूरी होती है.खजुराहो भैरवनाथ मंदिर पुजारी पंडित ने बताते हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा चढ़ाने से लोगों की सभी मान्यता और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लोग उल्टे हाथे लगाकर अपनी मनोकामना व्यक्त करते है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद सीधे हाथे लगाते है तो आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.

भंडारों का आयोजन: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर, पर्यटन नगरी खजुराहो में इस बार व्यापारी संघ, पर्यटक सहायक संघ ,तथा अन्य कई सामाजिक संगठन एवं व्यक्तिगत तौर पर, लोगों के द्वारा आए हुए श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया. कहीं खिचड़ी तो कहीं पूरी सब्जी लोगों को बुला बुला कर भरपेट भोजन कराया गया है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पर्यटन नगरी खजुराहो में इस तरह के सेवा कार्य से ,भगवान मतंगेश्वर के दर्शनार्थ आए श्रद्धालुओं ने काफी प्रशंसा की वैसे हर अमावस्या के दिन दुकानदारों के द्वारा, खिचड़ी वितरण का आयोजन मतंगेश्वर मंदिर के सामने किया जाता है.

मतंगेश्वर महादेव मंदिर

भोपाल/खजुराहो। देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं और विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. सभी मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. देश के प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक खजुराहो के प्रसिद्ध मतंगेश्वर महादेव के दरबार में दर्शन और पूजन के लिए गुरुवार देर रात से ही लोगों का तांता लगा हुआ है. महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान मतंगेश्वर के एक दर्शन मात्र को और श्रद्धालुओं की आस्था एवं भक्ति के चलते लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं की बड़ी-लंबी लंबी कतारें रात में महाशिवरात्रि के एक दिन पहले करीब 12 बजे रात से ही जुटना शुरू हो गई थी.

भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए दंड बैठकी, पैदल और कॉवर लेके भोले नाथ का गुणगान करते आए. जिससे पूरा मंदिर प्रांगण भगवान भोलेनाथ के जयकारो से गूंज उठा. भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. कोशिश यह है कि मंदिर में किसी भी प्रकार की घटना को अंजाम न दिया जा सके. इसके लिए अधिक से अधिक चौकसी बरती जा रही है

खजुराहो के मंदिर: विश्व प्रशिद्ध आध्यात्मिक नगरी खजुराहो के मंदिर वैसे तो दुनिया भर में काम कला के मंदिरों के रूप में विख्यात है, किन्तु मतंगेश्‍वर शिव मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है. यूनेस्को की सूची में शामिल इन मंदिरों को चंदेल राजाओं द्वारा बनवाया गया था. मंदिरों में एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां आदि काल से निरंतर पूजा अर्चना होती चली आ रही है. लोग बताते है कि चंदेल राजाओं द्वारा 9वीं सदी में बनाए गए इस मंदिर के शिवलिंग के नीचे एक ऐसी मणि है जो हर मनोकामना पूरी करती है.

Khajuraho matangeshwar mandir
खजुराहो मतंगेश्वर मंदिर

तिल के बराबर बढ़ती है मूर्ति: कहा जाता है कि कभी यहां भगवान राम ने भी पूजा की थी. शिवरात्रि के दिन यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. खजुराहो के सभी मंदिरों में सबसे ऊंची जगती पर बने इस मंदिर में जो भी आता है वो भक्ति में डूब जाता है. कहते हैं कि यह शिवलिंग किसी ने बनवाया नहीं बल्कि स्वयंभू शिवलिंग के रूप में यहां विद्यमान है. 17 फुट की मूर्ति जितनी ऊपर है उतनी ही नीचे भी है. ये मूर्ति प्रति वर्ष तिल के बराबर बढ़ती भी है. ये मंदिर केवल आराधना के उद्देश्य से ही नहीं बनवाए गए थे लेकिन इन मंदिरों में एक मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण पूजा-पाठ के मकसद से किया गया था. यहां आज भी नियम से पूजा-अर्चना होती है. यहां शिव की पूजा मतंगेश्वर नाम से की जाती है.

Mahashivratri 2023: एमपी में शिव का दुर्लभ मंदिर, कंदराओं के बीच बहता है जल, नर्मदा कराती हैं महादेव का अभिषेक

महिलाओं ने गाया लमटेरा: यहां के लोगों की मान्यता है कि खजुराहो ही वह स्थान है, जहां भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ था. मतंगेश्वर का एक अर्थ प्रेम का देवता भी होता है. मान्‍यता है कि मतंग ऋषि इस शिवलिंग की पूजा करते थे. इसलिए स्वयं भगवान श्री राम ने मतंग ऋषि के नाम पर इसका नाम मतंगेश्‍वर रखा था. महाशिवरात्री के अवसर पर पर्यटन नगरी खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव का अभिषेक करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. सुबह से ही यहां पर ग्रामीण क्षेत्र से महिलाएं लमटेरा गाते हुए पहुंची और शिव पार्वती विवाह के मंगलमय गीत भी गा रही हैं.

मरकत मणि: यहां के चंदेल राजाओं को मरकत मणि चंद्रवंशी होने के कारण विरासत में मिली थी. चंदेल राजाओं ने इस मणि की सुरक्षा और नियमित पूजा अर्चना के लिए इसे शिवलिंग के नीचे रखवा दिया था. लोक मान्यता है कि जो भी आदमी मरकत मणि की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इंद्र ने मरकत मणि युधिष्ठिर को दी थी. आगे जाकर यह यशोवर्मन, चंद्रवर्मन के पास रही. उन्होंने उसकी सुरक्षा व पूजा अर्चना के लिए लिए इसे शिवलिंग के नीचे स्थापित करा दिया था.

MP के इस जिले में विराजमान है 76 फीट ऊंची कचनार महादेव की प्रतिमा, दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु

ऐसे होती है मनोकामना पूर्ति: लोगों की आस्था यहां होने के चलते सालों से अमावस्या और महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां लोगों का हुजूम देखते ही बनता है. जिसको लेकर प्रशासन की व्यवस्था है विचार चौक देखने को मिल रही हैं और लोगों की मानें तो यहां मतंगेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव से जो भी मन्नत की कामना की जाती है वह पूरी होती है.खजुराहो भैरवनाथ मंदिर पुजारी पंडित ने बताते हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा चढ़ाने से लोगों की सभी मान्यता और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लोग उल्टे हाथे लगाकर अपनी मनोकामना व्यक्त करते है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद सीधे हाथे लगाते है तो आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.

भंडारों का आयोजन: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर, पर्यटन नगरी खजुराहो में इस बार व्यापारी संघ, पर्यटक सहायक संघ ,तथा अन्य कई सामाजिक संगठन एवं व्यक्तिगत तौर पर, लोगों के द्वारा आए हुए श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया. कहीं खिचड़ी तो कहीं पूरी सब्जी लोगों को बुला बुला कर भरपेट भोजन कराया गया है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पर्यटन नगरी खजुराहो में इस तरह के सेवा कार्य से ,भगवान मतंगेश्वर के दर्शनार्थ आए श्रद्धालुओं ने काफी प्रशंसा की वैसे हर अमावस्या के दिन दुकानदारों के द्वारा, खिचड़ी वितरण का आयोजन मतंगेश्वर मंदिर के सामने किया जाता है.

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