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NCRB का चौकाने वाला खुलासा, पॉक्सो एक्ट और आदिवासी महिला अपराध में नंबर वन बना एमपी - मध्य प्रदेश नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म

मध्य प्रदेश नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म और महिला आदिवासियों के अपराध के मामले में एक बार फिर अव्वल आया है. यहां बीते साल 3 हजार 337 बच्चियों को हवस का शिकार बनाया गया है, तो वहीं आदिवासी महिलाओं से भी बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश पहले पायदान पर है. पढ़िए पूरी खबर...

How safe daughters
कितनी सुरक्षित बेटियां
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Published : Oct 4, 2020, 9:48 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 9:46 PM IST

भोपाल। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना के बाद एक ओर पूरे देश में बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, तो वहीं हाल ही में आई एनसीआरबी की रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश के माथे पर एक और कलंक लगा दिया है. मध्य प्रदेश नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में एक बार फिर अव्वल आया है. यहां बीते साल 3 हजार 337 बच्चियों को हवस का शिकार बनाया गया, तो वहीं आदिवासी महिलाओं से भी बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश पहले पायदान पर है. मध्य प्रदेश को वैसे तो शांति का टापू कहा जाता है, लेकिन यह शांति का टापू अशांति का टापू बनता जा रहा है. पिछले कई सालों से मध्य प्रदेश महिला अपराधों के मामले में नंबर एक पर ही हैं. सरकार और पुलिस प्रशासन तो देश को सुरक्षित बनाने के लाख दावे करते हैं, लेकिन यह सभी दावे खोखले ही नजर आ रहे हैं. कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में अब भी महिलाएं और बच्चियां बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं. उम्मीद है, कि प्रदेश सरकार मध्यप्रदेश के माथे पर लगे कलंक को जल्द से जल्द साफ करने की कोशिश करेगी.

पॉक्सो और आदिवासी महिला अपराध में नबंर वन एमपी

प्रवक्ता बीजेपी राहुल कोठारी का मानना है कि निश्चित रूप से ये आंंकड़े खतरनाक आएं हैं. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कमलनाथ अपैल 2019 से मार्च 2020 तक वह मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के रहे हैं. कमलनाथ को इस बात का जबाव देना चाहिए कि उनके कार्यालय में विशेषकर बच्चों और दलित महिलाओं के अपराध में बढ़ोत्तरी हुई है. सरकार और पुलिस विभाग भले ही मध्यप्रदेश को महिलाओं और बच्चियों के लिए सुरक्षित राज्य होने का दावा करें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. अगर आप मध्य प्रदेश के निवासी हैं और अपने घर की महिलाओं और बच्चियों को यहां सुरक्षित समझ रहे हैं, तो ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट आपके होश उड़ाने के लिए काफी है.

Police Headquarters Bhopal
पुलिस मुख्यालय भोपाल

कमलनाथ के कार्याकाल में बढ़े रेप के मामले

राहुल कोठरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इन मामलों में पूरी मुस्तैदी के साथ काम करती है. पुलिस प्रशासन भी इन मामलों में एफआईआर दर्ज करता है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस को एनसीआरटी के सवालों पर जवाब देना चाहिए. क्यों कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए इस प्रकार के आंकड़े बढ़े थे. उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मामलों को लेकर राजनीति ना करे, ये मामला जबाव का विषय है, और उन्हें जवाब देना चाहिए.

एनसीआरबी के आंकड़ों में सच्चाई बयां

मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां न तो महिलाएं सुरक्षित हैं, और न ही बच्चियां, यह हम नहीं कह रहे बल्कि एनसीआरबी के आंकड़े प्रदेश में इन घटनाओं को बयां कर रहे हैं. देशभर में नाबालिग बच्चियों से बलात्कार के मामलों की बात करें, तो सबसे ज्यादा घटनाएं मध्यप्रदेश में ही घटित हुईं हैं. यहां बीते साल 3 हज़ार 337 बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया है, तो वहीं दूसरे पायदान पर उत्तर प्रदेश और तीसरे पर महाराष्ट्र है. राहुल कोठरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इन मामलों में पूरी मुस्तैदी के साथ काम करती है. पुलिस प्रशासन भी इन मामलों में एफआईआर दर्ज करता है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस को एनसीआरटी के सवालों पर जवाब देना चाहिए. क्योंकि कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए इस प्रकार के आंकड़े बढ़े थे. उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मामलों को लेकर राजनीति ना करें.

दुष्कर्म मामले में पुलिस ले रही है संज्ञान

चाइल्ड लाइन की प्रमुख अर्चना सहाय भी मानती हैं कि मध्यप्रदेश में पॉस्को के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महिला और बाल अपराधों में मध्यप्रदेश पहले या नंबर दो पर रहा है. अर्चना सहाय ने बताया कि वह इसे दूसरी तरह से भी देखती है क्योंकि प्रदेश में रिपोर्टिंग बढ़ी है. बाकि राज्यों के मामले जिस तरह से मध्यप्रदेश की पुलिस ऐसे मामलों में तेजी से संज्ञान ले रही है. इन मामलों में वो भी एक कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि अभी इन मामलों में पुलिस को अभी और संवेदनशील होने की जरुरत है. चाइल्ड लाइन की प्रमुख का मानना है कि बहुत से काम अभी बाकी है. जैसे आदिवासी महिलाओं पर जुल्म के मामले और तस्करी. लैंगिग शोषण, बाल विवाह के भी मामले किसी से छुपे नहीं हैं. इसलिए इन सभी मामलों पर अभी और काम करने की जरुरत है.

2019 में एक हजार 922 दुष्कर्म के मामले

इतना ही नहीं आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के मामलों में भी मध्यप्रदेश पहले पायदान पर है. यहां साल 2019 में 1 हज़ार 922 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया है जो साल 2018 के मुकाबले करीब 24 फ़ीसदी ज्यादा है. अनुसूचित जाति विभाग के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि बड़े ही दु:ख और शर्म की बात है. प्रदेश में दलित बहन-बेटियों के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं. सुरेंद्र चौधरी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि दलित महिलाओं के साथ हो रहे दुराचार को रोक पाने में नाकाम है. जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हुए है.

15 दिनों में तेजी से बढ़े दुष्कर्म के मामले

मध्य प्रदेश में पिछले 15 दिनों में खंडवा, कटनी, नरसिंहपुर और जबलपुर में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं. नरसिंहपुर में 35 वर्षीय महिला से बलात्कार किया गया और उसकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई. जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली, तो वहीं खंडवा में घर में घुसकर महिला के साथ मारपीट और गैंगरेप किया गया. इसके अलावा कटनी में दुष्कर्म के आरोपी ने दुष्कर्म पीड़िता की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी. वहीं जबलपुर में 2 साल की मासूम के साथ दरिंदगी की गई.


नाबालिग से बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश पहले पायदान पर

मध्य प्रदेश- 3 हज़ार 337 बलात्कार के मामले
उत्तर प्रदेश- 3 हज़ार 264 बलात्कार के मामले
महाराष्ट्र- 3,117 बलात्कार के मामले

आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के मामले

साल 2017 में मध्यप्रदेश में 2,289 आदिवासी महिलाओं से बलात्कार
साल 2018 में प्रदेश भर में 1,868 मामले दर्ज किए गए
साल 2019 में मध्यप्रदेश में 1,922 आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म

मध्य प्रदेश में दलित महिलाओं से दुष्कर्म के आंकड़े

साल 2017 में 5,892 मामले दर्ज
साल 2018 में 4,753 केस दर्ज
साल 2019 में 5,300 मामले दर्ज

भोपाल। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना के बाद एक ओर पूरे देश में बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, तो वहीं हाल ही में आई एनसीआरबी की रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश के माथे पर एक और कलंक लगा दिया है. मध्य प्रदेश नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में एक बार फिर अव्वल आया है. यहां बीते साल 3 हजार 337 बच्चियों को हवस का शिकार बनाया गया, तो वहीं आदिवासी महिलाओं से भी बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश पहले पायदान पर है. मध्य प्रदेश को वैसे तो शांति का टापू कहा जाता है, लेकिन यह शांति का टापू अशांति का टापू बनता जा रहा है. पिछले कई सालों से मध्य प्रदेश महिला अपराधों के मामले में नंबर एक पर ही हैं. सरकार और पुलिस प्रशासन तो देश को सुरक्षित बनाने के लाख दावे करते हैं, लेकिन यह सभी दावे खोखले ही नजर आ रहे हैं. कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में अब भी महिलाएं और बच्चियां बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं. उम्मीद है, कि प्रदेश सरकार मध्यप्रदेश के माथे पर लगे कलंक को जल्द से जल्द साफ करने की कोशिश करेगी.

पॉक्सो और आदिवासी महिला अपराध में नबंर वन एमपी

प्रवक्ता बीजेपी राहुल कोठारी का मानना है कि निश्चित रूप से ये आंंकड़े खतरनाक आएं हैं. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कमलनाथ अपैल 2019 से मार्च 2020 तक वह मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के रहे हैं. कमलनाथ को इस बात का जबाव देना चाहिए कि उनके कार्यालय में विशेषकर बच्चों और दलित महिलाओं के अपराध में बढ़ोत्तरी हुई है. सरकार और पुलिस विभाग भले ही मध्यप्रदेश को महिलाओं और बच्चियों के लिए सुरक्षित राज्य होने का दावा करें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. अगर आप मध्य प्रदेश के निवासी हैं और अपने घर की महिलाओं और बच्चियों को यहां सुरक्षित समझ रहे हैं, तो ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट आपके होश उड़ाने के लिए काफी है.

Police Headquarters Bhopal
पुलिस मुख्यालय भोपाल

कमलनाथ के कार्याकाल में बढ़े रेप के मामले

राहुल कोठरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इन मामलों में पूरी मुस्तैदी के साथ काम करती है. पुलिस प्रशासन भी इन मामलों में एफआईआर दर्ज करता है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस को एनसीआरटी के सवालों पर जवाब देना चाहिए. क्यों कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए इस प्रकार के आंकड़े बढ़े थे. उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मामलों को लेकर राजनीति ना करे, ये मामला जबाव का विषय है, और उन्हें जवाब देना चाहिए.

एनसीआरबी के आंकड़ों में सच्चाई बयां

मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां न तो महिलाएं सुरक्षित हैं, और न ही बच्चियां, यह हम नहीं कह रहे बल्कि एनसीआरबी के आंकड़े प्रदेश में इन घटनाओं को बयां कर रहे हैं. देशभर में नाबालिग बच्चियों से बलात्कार के मामलों की बात करें, तो सबसे ज्यादा घटनाएं मध्यप्रदेश में ही घटित हुईं हैं. यहां बीते साल 3 हज़ार 337 बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया है, तो वहीं दूसरे पायदान पर उत्तर प्रदेश और तीसरे पर महाराष्ट्र है. राहुल कोठरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इन मामलों में पूरी मुस्तैदी के साथ काम करती है. पुलिस प्रशासन भी इन मामलों में एफआईआर दर्ज करता है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस को एनसीआरटी के सवालों पर जवाब देना चाहिए. क्योंकि कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए इस प्रकार के आंकड़े बढ़े थे. उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मामलों को लेकर राजनीति ना करें.

दुष्कर्म मामले में पुलिस ले रही है संज्ञान

चाइल्ड लाइन की प्रमुख अर्चना सहाय भी मानती हैं कि मध्यप्रदेश में पॉस्को के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महिला और बाल अपराधों में मध्यप्रदेश पहले या नंबर दो पर रहा है. अर्चना सहाय ने बताया कि वह इसे दूसरी तरह से भी देखती है क्योंकि प्रदेश में रिपोर्टिंग बढ़ी है. बाकि राज्यों के मामले जिस तरह से मध्यप्रदेश की पुलिस ऐसे मामलों में तेजी से संज्ञान ले रही है. इन मामलों में वो भी एक कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि अभी इन मामलों में पुलिस को अभी और संवेदनशील होने की जरुरत है. चाइल्ड लाइन की प्रमुख का मानना है कि बहुत से काम अभी बाकी है. जैसे आदिवासी महिलाओं पर जुल्म के मामले और तस्करी. लैंगिग शोषण, बाल विवाह के भी मामले किसी से छुपे नहीं हैं. इसलिए इन सभी मामलों पर अभी और काम करने की जरुरत है.

2019 में एक हजार 922 दुष्कर्म के मामले

इतना ही नहीं आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के मामलों में भी मध्यप्रदेश पहले पायदान पर है. यहां साल 2019 में 1 हज़ार 922 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया है जो साल 2018 के मुकाबले करीब 24 फ़ीसदी ज्यादा है. अनुसूचित जाति विभाग के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि बड़े ही दु:ख और शर्म की बात है. प्रदेश में दलित बहन-बेटियों के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं. सुरेंद्र चौधरी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि दलित महिलाओं के साथ हो रहे दुराचार को रोक पाने में नाकाम है. जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हुए है.

15 दिनों में तेजी से बढ़े दुष्कर्म के मामले

मध्य प्रदेश में पिछले 15 दिनों में खंडवा, कटनी, नरसिंहपुर और जबलपुर में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं. नरसिंहपुर में 35 वर्षीय महिला से बलात्कार किया गया और उसकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई. जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली, तो वहीं खंडवा में घर में घुसकर महिला के साथ मारपीट और गैंगरेप किया गया. इसके अलावा कटनी में दुष्कर्म के आरोपी ने दुष्कर्म पीड़िता की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी. वहीं जबलपुर में 2 साल की मासूम के साथ दरिंदगी की गई.


नाबालिग से बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश पहले पायदान पर

मध्य प्रदेश- 3 हज़ार 337 बलात्कार के मामले
उत्तर प्रदेश- 3 हज़ार 264 बलात्कार के मामले
महाराष्ट्र- 3,117 बलात्कार के मामले

आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के मामले

साल 2017 में मध्यप्रदेश में 2,289 आदिवासी महिलाओं से बलात्कार
साल 2018 में प्रदेश भर में 1,868 मामले दर्ज किए गए
साल 2019 में मध्यप्रदेश में 1,922 आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म

मध्य प्रदेश में दलित महिलाओं से दुष्कर्म के आंकड़े

साल 2017 में 5,892 मामले दर्ज
साल 2018 में 4,753 केस दर्ज
साल 2019 में 5,300 मामले दर्ज

Last Updated : Oct 5, 2020, 9:46 PM IST
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