भोपाल। ये समाज के ताली बजाने का वक्त है. ट्रांसजेंडर की जिंदगी में सरकारी नौकरी की नई राह खुल गई है. मध्यप्रदेश सरकार की सरकारी नौकरी में अब महिला पुरुष के साथ ट्रांसजेंडर के लिए अवसर के दरवाजे खुल गए हैं, लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद से अब सवाल यह उठता है कि, क्या ये वाकई ट्रांसजेंडर के लिए सौगात साबित हो पाएगी? क्या ट्रांसजेंडर के लिए वाकई ये मौका है? उस समाज की मुख्य धारा में आने की कितनी तैयारी है और क्या सरकार के फैसले पर अमल लाते हुए समाज इन्हें बराबरी से बैठाएगा.
सरकारी भर्ती में अब ट्रांसजेंडर: मध्यप्रदेश में ट्रांसजेंडर के लिए लिया गया ये फैसला कि, अब सरकारी भर्ती में ट्रांसजेंडर भी बराबर के हकदार होंगे एतिहासिक कहा जा सकता है. मध्यप्रदेश के 1400 के करीब जो ट्रांसजेंडर हैं. उनके लिए तो ये फैसला जीवन बदलने वाला कहा जा सकता है लेकिन सवाल ये कि जीवन बदलेगा क्या. इस फैसले के साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से ये निर्देश भी दे दिए गए हैं कि सरकारी दस्तावेजों में अब जानकारी जो प्राप्त की जाएगी उसमें पुरुष महिला के साथ एक सेक्शन ट्रांसजेंडर के लिए भी होगा. इस पहल के साथ कि कोशिश ये है कि इन्हें भी रोजगार के समान अवसर मिल पाएं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इसके लिए खुद ट्रासजेंडर कितने तैयार हैं.
कितने तैयार ट्रांसजेंडर: ट्रांसजेंडर को मुख्य धारा में लाने लंबे से लड़ रही ट्रांसजेंडर देविका देवेन्द्र एस मंगलामुखी जो कि उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की सदस्य सलाहकार हैं. इस फैसले का स्वागत तो करती हैं लेकिन ये मंजूर भी करते हैं देश के दिल से निकली ये आवाज पूरे देश में अलख बनकर पहुंचेगी. इसमें समय लगेगा. देविका कहती हैं कि, ये एक ऐतिहासिक पहल है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकार मौका दे रही है.
चुनौती से भरा फैसला: असल में देविका की फिक्र समाज के रवैये को लेकर है. देविका कहती हैं, समाज अभी भी कही ना कही हमसे दूरी बना ही लेता है. इस फैसले के अमल में लाने में ये सबसे बड़ी चुनौती होगी लेकिन क्या ट्रांसजेंडर समुदाय इसके लिए तैयार है. इस सवाल पर देविका कहती हैं तैयार तो बेशक है. हां फिलहाल संख्या कम हो सकती है. अभी समुदाय के बीच में शिक्षा का प्रचार प्रसार बहुत अधिक नहीं है लेकिन बदलाव धीरे धीरे ही आता है. जब शिक्षा समुदाय में बढ़ेगी तो नौकरियों का रुख भी किया जाएगा. बड़ी बात ये है कि बदलाव हो रहा है.
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फैसले का स्वागत: देश की पहली किन्नर विधायक रहीं पूर्व विधायक शबनम मौसी ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. ट्रांसजेंडर के लिए लिए गए फैसले का इन्होंने मध्यप्रदेश सरकार का सराहनीय कदम बताया है, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि इसके लिए समुदाय कितना तैयार है. 2011 की जनगणना का आधार लेकर चलें तो उस समय देश में ट्रांसजेंडर की संख्या 4 लाख 87 हजार से ज्यादा थी. जाहिर है अब इनमें और इजाफा हो चुका होगा. अकेले मध्यप्रदेश में इनकी तादात 1400 के पार है.