भोपाल। मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर चल रही सियासत का असर विधायकों और पूर्व मंत्रियों को आवंटित किए गए सरकारी बंगलों पर भी दिखाई दे रहा है. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गृह विभाग ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्रियों को पत्र भेजकर सरकारी बंगले खाली करने का अल्टीमेटम दिया है. पूर्व मंत्रियों का आरोप है कि बिना दूसरे बंगले आवंटित किए ही बंगले खाली कराए जा रहे हैं. बीजेपी राजनीति से प्रेरित होकर काम कर रही है.
इस विवाद की शुरूआत पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत के सरकारी बंगले से हुई थी. बंगला खाली कराने के लिए संपदा संचालनालय ने पहले उन्हें नोटिस दिया और बाद में बेदखली अधिनियम के तहत सामान कुर्क करने की अधिसूचना भी जारी कर दी. हालांकि कोर्ट से राहत न मिलने के बाद तरुण भनोत ने बंगला खाली कर दिया.
पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के मुताबिक वे गृह विभाग को 5 लेटर लिख चुके हैं कि उन्हें आवास आवंटित कर दिया जाए, ताकि वे सामान शिफ्ट कर बंगले को खाली कर सकें. लेकिन एक भी पत्र का जवाब उन्हें अभी तक नहीं मिला है. मजबूरन उन्हें किराए पर मकान लेकर सामान शिफ्ट करना पड़ रहा है.उन्होंने सवाल उठाया की विधायक होने के नाते उन्हें आवास की पात्रता है और सीनियर विधायक के नाते वे बंगले के लिए भी पात्र हैं. लेकिन इसके बाद भी बंगले खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. जबकि बीजेपी के ऐसे कई नेता हैं, जो अब न तो विधायक हैं और न ही किसी संवैधानिक पद पर. इसके बाद भी वे बंगलों में रह रहे हैं.
उधर बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया है. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी के मुताबिक कांग्रेस की परंपरा कब्जा जमाने की रही है और यही कोशिश पूर्व मंत्रियों की भी है. उन्होंने कहा कि पात्रता के हिसाब से जिन विधायकों को विधानसभा विश्राम गृह में आवास आवंटित किए जा रहे हैं, वह वे ले लें. ऐसा न हो कि बाद में उन्हें वो भी न मिल सके.
बंगलों को लेकर नोटिस मिलने के बाद पूर्व मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा ने अपना सामान निजी निवास में शिफ्ट कर दिया है. वहीं कोर्ट से राहत न मिलने के बाद तरुण भनोत भी बंगला खाली कर चुके हैं. हालांकि अभी भी कई पूर्व मंत्री है ऐसे हैं, जो सरकारी बंगलों में रह रहे हैं. इनमें मुख्य तौर से डॉ गोविंद सिंह, लाखन सिंह यादव, लखन घनघोरिया, हर्ष यादव, उमंग सिंघार, बृजेंद्र सिंह राठौर, कमलेश्वर पटेल, बाला बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साधौ शामिल हैं.