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मध्यप्रदेश देशभर का तीसरा सबसे कुपोषित राज्य, जानिए क्या हैं कुपोषण के प्रमुख कारण

मध्यप्रदेश देश में कुपोषित राज्यों की श्रेणी में तीसरे नंबर पर आता है. प्रदेश में सरकार कुपोषिण की इस भयावह स्थिति के कारणों और इसमें सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर ईटीवी भारत ने

कुपोषण
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Published : Nov 21, 2019, 11:17 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 11:47 PM IST

भोपाल। देश में कुपोषण या अल्प पोषण एक गंभीर समस्या है. देश के दिल मध्यप्रदेश में भी कुपोषण का असर साफ देखा जा सकता है. मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के 2016 से जनवरी 2018 के बीच के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में करीब 57000 बच्चों ने कुपोषण के चलते दम तोड़ दिया था, यदि वर्तमान स्थिति की बात करें तो कुपोषण की श्रेणी में मध्य प्रदेश का भारत में तीसरा स्थान है.

कुपोषण का शिकार मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में कुपोषित बच्चों की स्थिति के बारे में ईटीवी भारत ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रदेश में 0 से लेकर 5 साल के करीब 72 लाख के आसपास बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में रजिस्टर्ड हैं. जिन्हें योजनाओं के तहत पोषण आहार दिया जाता है और वहीं बच्चे का वजन कर यह तय किया जाता है कि बच्चा किस श्रेणी में कुपोषित है.

यदि कुपोषण की बात करें तो अति कम वजन वाले बच्चों की संख्या एक लाख 30 हजार के आसपास है. कुपोषण की श्रेणी में मध्य प्रदेश का भारत में तीसरा स्थान है. वहीं प्रदेश में श्योपुर, मंडला, शिवपुरी जैसे 12 जिले हैं, जिन्हें कुपोषण के दायरे में रखा गया है.

Malnourished innocent
कुपोषण का शिकार मासूम

प्रमुख सचिव कुपोषण के कारणों के बारे में बताते हैं कि बच्चों में कुपोषण के कई कारण हैं-

  • माता-पिता की कम उम्र में शादी हो जाना.
  • परिवार में बच्चों की संख्या ज्यादा होना.
  • शुद्ध पेयजल उपलब्ध ना होना.
  • स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव.
  • परिवार का गरीब होना.

माता-पिता में जागरूकता की कमी के कारण, बच्चों के लिए स्वस्थ आहार की जानकारी नहीं होना भी इसका एक कारण है. इन सभी कारणों से बच्चा कम वजन, ठिगनापन जैसे कुपोषण का शिकार हो जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है.

भोपाल। देश में कुपोषण या अल्प पोषण एक गंभीर समस्या है. देश के दिल मध्यप्रदेश में भी कुपोषण का असर साफ देखा जा सकता है. मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के 2016 से जनवरी 2018 के बीच के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में करीब 57000 बच्चों ने कुपोषण के चलते दम तोड़ दिया था, यदि वर्तमान स्थिति की बात करें तो कुपोषण की श्रेणी में मध्य प्रदेश का भारत में तीसरा स्थान है.

कुपोषण का शिकार मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में कुपोषित बच्चों की स्थिति के बारे में ईटीवी भारत ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रदेश में 0 से लेकर 5 साल के करीब 72 लाख के आसपास बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में रजिस्टर्ड हैं. जिन्हें योजनाओं के तहत पोषण आहार दिया जाता है और वहीं बच्चे का वजन कर यह तय किया जाता है कि बच्चा किस श्रेणी में कुपोषित है.

यदि कुपोषण की बात करें तो अति कम वजन वाले बच्चों की संख्या एक लाख 30 हजार के आसपास है. कुपोषण की श्रेणी में मध्य प्रदेश का भारत में तीसरा स्थान है. वहीं प्रदेश में श्योपुर, मंडला, शिवपुरी जैसे 12 जिले हैं, जिन्हें कुपोषण के दायरे में रखा गया है.

Malnourished innocent
कुपोषण का शिकार मासूम

प्रमुख सचिव कुपोषण के कारणों के बारे में बताते हैं कि बच्चों में कुपोषण के कई कारण हैं-

  • माता-पिता की कम उम्र में शादी हो जाना.
  • परिवार में बच्चों की संख्या ज्यादा होना.
  • शुद्ध पेयजल उपलब्ध ना होना.
  • स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव.
  • परिवार का गरीब होना.

माता-पिता में जागरूकता की कमी के कारण, बच्चों के लिए स्वस्थ आहार की जानकारी नहीं होना भी इसका एक कारण है. इन सभी कारणों से बच्चा कम वजन, ठिगनापन जैसे कुपोषण का शिकार हो जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है.

Intro:भोपाल- भारत में कुपोषण या अल्प पोषण का चक्र लगातार चल रहा है और कुपोषण का असर मध्य प्रदेश के बच्चों पर भी साफ तौर पर दिखाई देता है। मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के पुराने आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में जनवरी 2016 से जनवरी 2018 के बीच करीब 57000 बच्चों ने कुपोषण के चलते दम तोड़ दिया था और यदि वर्तमान स्थिति की बात करें तो हालत में ज्यादा सुधार नजर नहीं आ रहा है।


Body:मध्यप्रदेश में कुपोषित बच्चों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन कहते है कि प्रदेश में 0 से लेकर 5 साल के करीब 72 लाख के आसपास बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में रजिस्टर्ड है जिन्हें योजनाओं के तहत पोषण आहार दिया जाता है और वहीं बच्चे का वजन नाप कर यह तय किया जाता है कि बच्चा किस श्रेणी में कुपोषित है।
यदि कुपोषण की बात करें तो अति कम वजन वाले बच्चों की संख्या एक लाख 30 हजार के आसपास है। इस श्रेणी में मध्य प्रदेश भारत ने तीसरे और वेस्टिंग-स्टंतिग(ठिगनापन) में पांचवा स्थान है।
वहीं प्रदेश में श्योपुर, मंडला,शिवपुरी जैसे 12 जिले है जिन्हें कुपोषण के दायरे में रखा गया है।


Conclusion:प्रमुख सचिव कुपोषण के कारणों के बारे में बताते हैं कि बच्चों में कुपोषण के एक नहीं कई कारण है, जिनमें कम उम्र में शादी हो जाना, परिवार में बच्चों की संख्या ज्यादा होना, शुद्ध पेयजल उपलब्ध ना होना, स्वास्थ्य सेवाओं का अ आभाव, गरीबी शामिल है।
इसके साथ ही गरीब परिवार में माता-पिता को यह जानकारी ही नहीं होती कि बच्चों को क्या खिलाना इसी जागरूकता की कमी के कारण बच्चा कम वजन,ठिगनापन जैसे कुपोषण का शिकार हो जाता है।

बाइट- अनुपम राजन
प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग

नोट- please add some visuals.
Last Updated : Nov 21, 2019, 11:47 PM IST
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