भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं सदस्य राजीव कुमार टंडन ने संबंधितों से जवाब मांगा है. पहले मामले के अनुसार बैतूल जिले के मुलताई नगर के शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पिछले दो साल से गणवेश नहीं मिली. इस मामले में संज्ञान लेकर आयोग ने जिला शिक्षा अधिकारी से जवाब मांगा है. वहीं, सीहोर जिला अस्पताल के जिम्मेदारों ने ट्रामा सेंटर को ड्रामा सेंटर में तब्दील कर दिया है. एक्स-रे फिल्म का टोटा है तो सालों से रेडियोलॉजिस्ट की कमी बनी हुई है. मरीजों के लिये स्ट्रेचर तक नहीं मिल रहे हैं. आयोग ने सीएमएचओ प्रकरण की जांच कराकर 3 सप्ताह में जवाब मांगा है.
छतरपुर जिला अस्पताल बदहाल : छतरपुर जिला अस्पताल में गंभीर हालत में इलाज कराने के लिये आने वाले मरीजों को एक्स-रे या अन्य जांच कराने के लिये ग्राउंड फ्लोर या जिला अस्पताल के बाहर जाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में स्ट्रेचर की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन वार्ड ब्वॉय न रहने के कारण मरीज को उनके परिजन खुद ही स्ट्रेचर पर लेकर जाने को मजबूर हैं. इस मामले में संज्ञान लेकर आयोग ने सीएमएचओ से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है. उधर, सागर जिले के बीना-भानगढ़ के खिमलासा-कंजिया सड़क को निर्माण कंपनी एमपीआरडीसी ने अधूरा छोड़ दिया है. अधूरी निर्मित पुलिया के कारण वाहन चालकों व रहवासियों को लिये बारिश के समय में मुसीबत हो जाती है. आयोग ने कलेक्टर एक माह में जवाब मांगा है.
सीधी में हाथियों ने तोड़े घर : सीधी जिले के पोंडी रेंज के मप्र-छग हॉर्ड बॉर्डर पर बसे तिनगी गांव में हाथियों के एक झुंड ने तांडव मचाया. इस दौरान गांव के आदिवासियों के घर तोड़ दिये और खेतों में अनाज को नुकसान पहुंचाया. आयोग ने कलेक्टर एवं डीएफओ से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. वहीं, अनूपपुर में हाथियों ने चार बार आदिवासी परिवार का मकान तोडा. घर में रखे अनाज को अपना आहार बना लिया और खेत की फसल को भी नष्ट कर दिया. आदिवासी परिवार ने गांव के स्कूल के एक कमरे में आश्रय लिया. आयोग ने कलेक्टर एवं डीएफओ तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
खंडवा में छात्रावास का मामला : खंडवा जिला मुख्यालय से महज 10 किमी की दूरी पर बसे ग्राम रजूर में पढ़ने वाली छात्राओं को छात्रावास में गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल रहा. भोजन बनाने वाले समूह की महिलाओं द्वारा बदसलूकी से नाराज होकर छात्राओं ने छात्रावास छोड़ दिया है. इस मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है. उधर, शाजापुर जिला अस्पताल में न तो मरीजों के लिये पर्याप्त पलंग हैं और न ही इलाज की पर्याप्त व्यवस्था. इस कारण मरीज बिना उपचार के ही वापस चले जाते हैं. आयोग ने कलेक्टर एवं सीएमएचओ को नोटिस जारी किया है.