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DA के बाद एरियर के भुगतान पर राज्य सरकार ने लगाई रोक, लाखों कर्मचारियों को लगा झटका

मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों को शिवराज सरकार ने एक और झटका दिया है. प्रदेश सरकार ने डीए के बाद अब सातवें वेतनमान के एरियर की अंतिम किस्त पर भी रोक लगा दी है.

Ban on employees' arrears
कर्मचारियों के एरियर पर लगी रोक
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Published : May 17, 2020, 10:40 AM IST

भोपाल। प्रदेश में चल रही कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. ऐसी स्थिति में सरकार की आर्थिक स्थिति पर भी सीधा-सीधा असर दिखाई दे रहा है. जिसे दूर करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार प्रयास कर रहे हैं. यही वजह है कि आर्थिक गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुए लगातार बैठकें आयोजित की जा रही हैं. आर्थिक स्थिति का संकट अब शासकीय कर्मचारियों पर दिखाई देने लगा है. राज्य कर्मचारियों का डीए रोके जाने के बाद अब उन्हें एरियर का भी झटका लगा है. राज्य सरकार ने उनके सातवें वेतनमान के एरियर की अंतिम किस्त पर रोक लगा दी है. इसके पीछे कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट का हवाला भी दिया गया है.

कर्मचारियों के एरियर पर लगी रोक

राज्य सरकार के इस निर्णय से राज्य के अधिकारी, कर्मचारियों को 15 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक का नुकसान हो सकता है. जनवरी 2016 में राज्य में सातवां वेतनमान लागू हुआ था. इसका नगद भुगतान 1 जुलाई 2017 से किया गया, 1 जुलाई 2016 से जून 2017 तक कुल 18 माह के एरियर की राशि तीन किस्तों मई 2018 मई 2019 मई 2020 में मिलनी थी. दो किस्तों का भुगतान हो चुका है. लेकिन तीसरी किस्त का भुगतान अटक गया था. इस किस्त से प्रदेश सरकार को लगभग 1500 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है. वित्त विभाग ने एरियर की किस्त अभी नहीं देने की बात कही है. ऐसे में कर्मचारियों को राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक होने तक रुकना होगा. आदेश में कहा गया है कि यदि किसी शासकीय सेवक की सेवा निवृति होती है या वो त्यागपत्र देता है या फिर उसकी मौत हो जाती है तो इस राशि का भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाएगा.

Ban on employees' arrears
कर्मचारियों के एरियर पर लगी रोक

इस मामले में तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा का कहना है कि कर्मचारी वैसे भी महंगाई की मार झेल रहा है. सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें और कर्मचारियों को एरियर की राशि का भुगतान करें. उन्होंने कहा कि प्रदेश के साढ़े चार लाख कर्मचारियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. जो कर्मचारी लंबे समय से एरियर मिलने की आस लगाए बैठे थे, लेकिन अब जो आदेश जारी किया गया है, उसकी तहत फिलहाल एरियर का पैसा मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को एरियर की 50 प्रतिशत राशि नगद और 50 प्रतिशत राशि सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा होनी थी, जबकि प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी कर्मचारियों की शत प्रतिशत राशि सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा किए जाने का निर्णय लिया गया था.

भोपाल। प्रदेश में चल रही कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. ऐसी स्थिति में सरकार की आर्थिक स्थिति पर भी सीधा-सीधा असर दिखाई दे रहा है. जिसे दूर करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार प्रयास कर रहे हैं. यही वजह है कि आर्थिक गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुए लगातार बैठकें आयोजित की जा रही हैं. आर्थिक स्थिति का संकट अब शासकीय कर्मचारियों पर दिखाई देने लगा है. राज्य कर्मचारियों का डीए रोके जाने के बाद अब उन्हें एरियर का भी झटका लगा है. राज्य सरकार ने उनके सातवें वेतनमान के एरियर की अंतिम किस्त पर रोक लगा दी है. इसके पीछे कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट का हवाला भी दिया गया है.

कर्मचारियों के एरियर पर लगी रोक

राज्य सरकार के इस निर्णय से राज्य के अधिकारी, कर्मचारियों को 15 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक का नुकसान हो सकता है. जनवरी 2016 में राज्य में सातवां वेतनमान लागू हुआ था. इसका नगद भुगतान 1 जुलाई 2017 से किया गया, 1 जुलाई 2016 से जून 2017 तक कुल 18 माह के एरियर की राशि तीन किस्तों मई 2018 मई 2019 मई 2020 में मिलनी थी. दो किस्तों का भुगतान हो चुका है. लेकिन तीसरी किस्त का भुगतान अटक गया था. इस किस्त से प्रदेश सरकार को लगभग 1500 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है. वित्त विभाग ने एरियर की किस्त अभी नहीं देने की बात कही है. ऐसे में कर्मचारियों को राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक होने तक रुकना होगा. आदेश में कहा गया है कि यदि किसी शासकीय सेवक की सेवा निवृति होती है या वो त्यागपत्र देता है या फिर उसकी मौत हो जाती है तो इस राशि का भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाएगा.

Ban on employees' arrears
कर्मचारियों के एरियर पर लगी रोक

इस मामले में तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा का कहना है कि कर्मचारी वैसे भी महंगाई की मार झेल रहा है. सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें और कर्मचारियों को एरियर की राशि का भुगतान करें. उन्होंने कहा कि प्रदेश के साढ़े चार लाख कर्मचारियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. जो कर्मचारी लंबे समय से एरियर मिलने की आस लगाए बैठे थे, लेकिन अब जो आदेश जारी किया गया है, उसकी तहत फिलहाल एरियर का पैसा मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को एरियर की 50 प्रतिशत राशि नगद और 50 प्रतिशत राशि सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा होनी थी, जबकि प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी कर्मचारियों की शत प्रतिशत राशि सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा किए जाने का निर्णय लिया गया था.

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