भोपाल । मध्य प्रदेश की आर्थिक सेहत पर कोरोना ने चौतरफा मार की है. प्रदेश में प्रति व्यक्ति सालाना आय में 4.71 फीसदी की कमी आई है. यानि हर व्यक्ति की आय में 4,870 रुपये की कमी आई है. 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 03 हजरा 288 रुपये थी, जो 2020-21 में घटकर 98 हजरा 418 हो गई. राज्य सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में ये निराशाजनक आंकड़े सामने आए हैं.
- कोरोना की चौतरफा मार, GDP गिरी
शिवराज सरकार ने 2020-21 का आर्थिक सर्वेक्षण विधानसभा में पेश किया . सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य की GDP 2020-21 में पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में 3.37% कम हो गई है. सरकार को अनुमान है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रदेश की GDP 5 लाख 60 हजार 845 करोड़ रुपए रहेगी.
- कोरोना निगल गया रोजगार, बेरोजगारी बढ़ी
इसी तरह 2020 की स्थिति में बेरोजगारों की संख्या 24.72 लाख हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की विकास दर में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 3.9% की कमी हो सकती है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) उद्योग के रजिस्ट्रेशन में 2019-20 में 3.35% की कमी आई है.
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 179.17 करोड़ रुपए बंटे ही नहीं
प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल नष्ट होने पर किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सहायता देने के लिए 2020-21 में 799.00 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था. जिसमें से 620.83 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. 179.17 करोड़ रुपए बांटे नहीं जा सके.
- कोरोना से बढ़ी बेरोजगारी
आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में बताया गया है, कि मध्य प्रदेश 2004-05 से राजस्व आधिक्य प्रदेश रहा है, लेकिन अब घाटे की स्थिति है. राज्य के रोजगार कार्यालयों में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 2019 के अंत में 29.33 लाख थी, जो 2020 के अंत में घटकर 23.08 लाख रह गई. 2019 में 360 आवेदकों को रोजगार दिया गया था. इस साल 3,605 को रोजगार दिलाया गया.
- कोरोना ने मारा, मनरेगा ने संभाला
मनरेगा में 45.77 लाख परिवारों के 84.19 लाख श्रमिकों को रोजगार मिला था. इनमें 1.35 लाख परिवारों को सौ दिन का काम मिला. लॉकडाउन के दौरान 15.50 करोड़ रुपये से ज्यादा खातों में सीधे जमा करावाए गए. रेल से श्रमिकों को वापस लाने पर सात करोड़ रुपये खर्च किए.
- फसल खरीद बढ़ी
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया कि समर्थन मूल्य पर रबी और खरीफ फसलों की खरीद लगातार बढ़ रही है. 2019-20 में जहां 73.70 लाख टन गेहूं खरीदा गया था. वो बढ़कर 2020-21 में 129.42 लाख टन हो गया. 15.81 लाख किसानों से ये खरीद की गई. इन किसानों को 24,806 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. ये पिछले साल से 11, 246 करोड़ स्र्पये ज्यादा है.
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विकास दर और प्रति व्यक्ति आय में कमी का विशेषज्ञ अनुमान लगा ही रहे थे. कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप थी. पूरे देश में ये स्थिति बनी है. इसका असर जाने में अभी वक्त लगेगा.