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MP को फिर मिला टाइगर स्टेट का दर्जा, 526 बाघों के साथ देश में पहले स्थान पर

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके बाघों की जनसंख्या को लेकर रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट में मध्यप्रदेश को फिर से अपना फस्ट टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है.

MP को फिर मिला टाइगर स्टेट का दर्जा
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Published : Jul 29, 2019, 1:04 PM IST

नई दिल्ली/भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बाघों की संख्या को लेकर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाघों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हुई है. पीएम मोदी ने बताया कि वर्तमान में देश में बाघों की संख्या 2,967 है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संकल्प से सिद्धि का बेहतरीन उदाहरण है.

रिपोर्ट के मुताबिक
⦁ मध्यप्रदेश ने फिर पाया अपना फस्ट टाइगर स्टेट का दर्जा
⦁ 526 बाघों के साथ मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है.
⦁ कर्नाटक 524 टाइगर के साथ दूसरे पायदान पर है.
⦁ उत्तरखंड 442 टाइगर के साथ रह तीसरे नम्बर पर है.

बता दें कि मध्यप्रदेश कभी 'टाइगर स्टेट' के तौर पर पहचाना जाता था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुए बाघ संरक्षण के कार्यों के चलते यह आंकड़ा इस साल बढ़ सकता है. बाघों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है.

गौरतलब है, राज्य में बीते सात साल में 141 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है. सबसे बुरा हाल वर्ष 2010 में रहा. उस समय राज्य में 257 टाइगर हुआ करते थे. उसके बाद राज्य में बाघ संरक्षण पर ध्यान दिया गया. इसके चलते वर्ष 2014 में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे बाघों का आंकड़ा 308 तक पहुंच गया. इस बार बाघों की संख्या में पिछले कालखंड से ज्यादा की बढ़ोतरी सामने आई है जो 526 है.

नई दिल्ली/भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बाघों की संख्या को लेकर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाघों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हुई है. पीएम मोदी ने बताया कि वर्तमान में देश में बाघों की संख्या 2,967 है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संकल्प से सिद्धि का बेहतरीन उदाहरण है.

रिपोर्ट के मुताबिक
⦁ मध्यप्रदेश ने फिर पाया अपना फस्ट टाइगर स्टेट का दर्जा
⦁ 526 बाघों के साथ मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है.
⦁ कर्नाटक 524 टाइगर के साथ दूसरे पायदान पर है.
⦁ उत्तरखंड 442 टाइगर के साथ रह तीसरे नम्बर पर है.

बता दें कि मध्यप्रदेश कभी 'टाइगर स्टेट' के तौर पर पहचाना जाता था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुए बाघ संरक्षण के कार्यों के चलते यह आंकड़ा इस साल बढ़ सकता है. बाघों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है.

गौरतलब है, राज्य में बीते सात साल में 141 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है. सबसे बुरा हाल वर्ष 2010 में रहा. उस समय राज्य में 257 टाइगर हुआ करते थे. उसके बाद राज्य में बाघ संरक्षण पर ध्यान दिया गया. इसके चलते वर्ष 2014 में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे बाघों का आंकड़ा 308 तक पहुंच गया. इस बार बाघों की संख्या में पिछले कालखंड से ज्यादा की बढ़ोतरी सामने आई है जो 526 है.

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मप्र में बाघों की संख्या बढ़ने के आसार



 (19:59) 





भोपाल, 28 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में इस साल बाघों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। विभाग का अनुमान है कि प्रदेश में बाघों का आंकड़ा 400 के आसपास पहुंचा सकता है। दुनिया 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाने वाला है और इस मौके पर बाघों की संख्या का भी ब्यौरा जारी किया जाना संभावित है। बाघों की गणना का ब्यौरा हर चार साल में जारी किया जाता है। पिछली गणना वर्ष 2014 में हुई थी।



मध्यप्रदेश कभी 'टाइगर स्टेट' के तौर पर पहचाना जाता था। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुए बाघ संरक्षण के कार्यो के चलते यह आंकड़ा इस साल बढ़ सकता है। बाघों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है। राज्य में भी ऐसा ही रहा तो बाघों की संख्या 400 के आसपास जाने का अनुमान है।



वनमंत्री उमंग सिंघार भी मानते हैं कि बाघों की वंशवृद्धि अच्छी रही है और शिकार की घटनाओं में भी कमी आई है, इसलिए बाघों की संख्या में बढ़ोतरी संभव है।



राज्य में बीते सात साल में 141 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है। सबसे बुरा हाल वर्ष 2010 में रहा। उस समय राज्य में 257 टाइगर हुआ करते थे। उसके बाद राज्य में बाघ संरक्षण पर ध्यान दिया गया, जिसके चलते वर्ष 2014 में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे बाघों का आंकड़ा 308 तक पहुंच गया। इस बार बाघों की संख्या में पिछले कालखंड से ज्यादा बढ़ोतरी का अनुमान है।



वन्यप्राणी विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मध्यप्रदेश में बाघ संरक्षण की दिशा में काफी काम हुआ है। अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों के विस्थापितों को बसाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए गए हैं, साथ ही बाघ पुनस्र्थापन में भी राज्य की ओर से प्रयास किए गए।


Conclusion:
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