भोपाल। जब से कोरोना वायरस ने चीन से बाहर निकलकर दुनिया में अपने पैर पसारने शुरू किए थे, तब से ही विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस वायरस से निपटने के लिए न केवल बचाव और सावधानियां बरतनी हैं, बल्कि ज्यादा से ज्यादा सैंपल टेस्ट किए जाने भी जरूरी हैं. भारत में कोरोना वायरस के शुरूआती दौर में सैंपल टेस्टिंग काफी संख्या में की गई. वहीं देश में बिगड़ते हालातों को देखते हुए और इससे होने वाली मौतों को रोकने के लिए अब ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है.
देश के जिन प्रदेशों में कोरोना वायरस के मामले ज्यादा हैं, वहां पर लाखों की संख्या में टेस्ट किए गए हैं, लेकिन यदि मध्यप्रदेश के संदर्भ में देखा जाए तो प्रदेश में तुलनात्मक रूप से बहुत कम टेस्टिंग की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग इसी बात से खुश है कि प्रदेश में एक्टिव केसों की संख्या कम हो रही है और दूसरे प्रदेशों की तुलना में मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के मामले भी कम हैं.
प्रदेश सरकार के इस दावे का अध्ययन किया जाए तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है. प्रदेश में हो रहे कम टेस्ट इस बात को एक तरह से झुठला रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति ठीक है, क्योंकि यहां रोजाना केवल 5-6 हजार टेस्ट ही किए जा रहे हैं. कम टेस्ट होने से कोरोना संक्रमण का पता भी देरी से लग पा रहा है और मरीजों की संख्या भी कम है, क्योंकि जितने ज्यादा टेस्ट किए जाएंगे उतने ज्यादा मामले सामने आएंगे और समय रहते इस संक्रमण से होने वाली मौतों को रोका जा सकेगा.
स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश के रिकवरी रेट को लेकर कहा है कि प्रदेश में रिकवरी रेट अच्छा है और एक्टिव केसों की संख्या कम है. स्वास्थ्य मंत्री इसी बात पर गर्व कर रहे हैं कि प्रदेश में रोजाना करीब 6 हजार टेस्ट किए जा रहे हैं, लेकिन यदि दूसरे प्रदेशों से मध्यप्रदेश की तुलना की जाए तो यहां हो रहे टेस्ट अन्य राज्यों के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं.
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो साफ तौर पर देखा जा सकता है कि दूसरे राज्यों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं, इसलिए वहां पर कोरोना वायरस के मामले ज्यादा पाए जा रहे हैं और साथ ही इनमें से कुछ राज्यों उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में मौतों का आंकड़ा मध्यप्रदेश से कम है.
- तमिलनाडु: कुल टेस्ट- 919204, कुल मामले- 64603, एक्टिव केस- 28431
- महाराष्ट्र: कुल टेस्ट- 770711, कुल मामले- 139010, एक्टिव केस- 62848
- राजस्थान: कुल टेस्ट- 709592, कुल मामले- 15627 एक्टिव केस- 3049
- आंध्र प्रदेश: कुल टेस्ट- 693548, कुल मामले- 10002, एक्टिव केस- 5284
- उत्तर प्रदेश: कुल टेस्ट- 574340, कुल मामले- 18893, एक्टिव केस- 6189
- कर्नाटक: कुल टेस्ट- 505125, कुल मामले- 9721, एक्टिव केस- 3567
- पश्चिम बंगाल: कुल टेस्ट- 410854, कुल मामले- 14728, एक्टिव केस- 4930
- दिल्ली: कुल टेस्ट- 351909, कुल मामले-66602 , एक्टिव केस- 24988
- गुजरात: कुल टेस्ट- 329235, कुल मामले- 28371 , एक्टिव केस- 6148
- मध्यप्रदेश: कुल टेस्ट- 302673, कुल मामले-12261 , एक्टिव केस- 2401
प्रदेश में सैंपल टेस्टिंग में हो रही लापरवाही का आलम ये है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने कुछ दिनों पहले ही लापरवाही के चलते राजधानी भोपाल, इंदौर और शाजापुर में हुई मौतों का हवाला देते हुए, सभी जिला कलेक्टर और सीएमएचओ को पत्र लिखकर आदेश दिए थे कि सर्वे और सैंपलिंग में तेजी लायी जाए. हालांकि प्रमुख सचिव पहले भी कई बार सैंपलिंग में हो रही लापरवाही को लेकर नाराजगी जता चुके हैं, लेकिन अब भी प्रदेश में हालात जस के तस हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार रिकवरी रेट के छलावे में प्रदेश की जनता को उलझा रही है.