भोपाल। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाबी प्रदेश के आदिवासी के हाथ में होगी. तो सवाल ये है कि चुनाव के साल भर पहले मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग की वनवासी लीला क्या उसी आदिवासी वोटर को साधने का दांव है. कांग्रेस ये सवाल कर रही है और पूछ रही है कि क्या वजह है कि सरकार के संस्कृति महकमें को पूरी रामायण में से आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले पात्र ही याद आए. एमपी में 47 आदिवासी सीटें हैं और इतिहास यही कि जो पार्टी आदिवासी सीटों पर जीत दर्ज कराती है उसी के हाथ सत्ता आती है. (madhya pradesh assembly elections 2023) (mp tribal vote bank)
वनवासी लीला का आदिवासी कनेक्ट: मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग की ओर से वनवासी जिले डिंडौरी में वनवासी लीला का मंचन किया जा रहा है. इन वनवासी लीला की खासियत ये है कि इन लीलाओं के नायक और नायिका निषादराज और शबरी हैं. रामायण के वनवासी पात्र और आज के दौर में रामायण के वो पात्र जिनका आदिवासी कनेक्शन है. भगवान राम को बेर खिलाने वाली शबरी को आदिवासी भील की पुत्री कहा जाता है. वहीं प्रभु राम को गंगा पार करवाने का प्रबंध करवाने वाले निषाद राज भी आदिवासी समाज के बताए जाते हैं. नाटक की कहानी वनवास से शुरु होती है. वन में कैसे भगवान राम को निषाद राज मिलते हैं. निषाद राज की मदद से कैसे केवट से मुलाकात और गंगा पार होती है, ये पूरा प्रसंग इस वनवासी रामलाली का हिस्सा है.
शबरी की याद चुनावी है: कांग्रेस के मीडिया विभाग के चैयरमेन के के मिश्रा के मुताबिक वनवासी लीला की पृष्ठभूमि में असल में बीजेपी आदिवासी वोट बैंक को टारगेट कर रही है. वनवासी लीला में केवल आदिवासी पात्रों पर फोकस और मंचन भी आदिवासी जिलों में ही. यानि सरकारी आयोजन के जरिए बीजेपी ये संदेश देना चाहती है कि कैसे रामायण के वनवासी पात्रों को सम्मान गौरव और संघर्ष गाथा को केवल बीजेपी ने ही रेखांकित किया. ताकि इस बहाने चुनावी ज़मीन तैयार की जा सके.
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शिवराज सरकार में बढ़ाया आदिवासियों का गौरव: पूर्व मंत्री अंतर सिंह आर्य कहते हैं कि आदिवासी तो हमेशा से बीजेपी के साथ है. पार्टी का मजबूत वोट बैंक है, लिहाजा उसे साथ लाने किसी तरह की कोई कवायद करने की जरुरत नहीं है. पूर्व मंत्री के मुताबिक ये तो शिवराज सरकार का साधुवाद करने का समय है कि उन्होंने रामायण के वनवासी पात्रों को जरिए आदिवासी समाज के गौरव को मंच पर आने का मौका दिया. नई पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास को जान पाएगी. कांग्रेस को हर बात में राजनीति में नज़र आती है.
47 सीटों पर दोनों पार्टियों का फोकस: एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से निगाहें 47 सीटों पर हैं. ये सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इन सीटों के अलावा भी कई सीटों पर आदिवासी वोट बैंक का सीधा दखल है. बीजेपी आदिवासी गौरव सम्मेलन के साथ आदिवासी वर्ग के लिए सौगातों की झड़ी लगाकर इस वोट बैंक को साधने की शुरुआत काफी पहले कर चुकी है. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस की सरकार में आदिवासियों पर 21 हजार करोड़ रुपए खर्च होते थे. बीजेपी की सरकार में 78 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है. (madhya pradesh assembly elections 2023) (mp tribal vote bank) (bjp trying to make tribal vote bank) (ramlila staged in dindori)