ETV Bharat / state

लक्ष्मी बाई की परछाई बन, झलकारी बाई ने अंग्रेजों को खदेड़ा

दुनिया भर में 8 मार्च को अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस दिन महिलाओं की उपलब्धियों को दर्शाया जाता है. आज हम बात कर रहे हैं झलकारी बाई की, जिसने लक्ष्मी बाई की परछाई बन अंग्रेजों को खदेड़ा था.

author img

By

Published : Mar 6, 2021, 7:49 PM IST

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

भोपाल। देश के लिए मर-मिटने वाली झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को हर कोई जानता है. कोई अगर भूलाना भी चाहें, तो इस बेटी के त्याग को नहीं भूल सकता, लेकिन लक्ष्मी बाई की तरह ही एक और बेटी थी, जिसने इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी. हम बात कर रहे हैं झलकारी बाई की, जो अपनी मिट्टी के लिए जी-जान से लड़ी.

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

झलकारी बाई की जीवन गाथा

झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर 1830 को झांसी के भोजला गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सदोबर सिंह औक माता का नाम जमुना देवी था. जब झलकारी बाई बहुत छोटी थी, तब उनकी माता की मृत्यु हो गई थी.

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

पिता ने उन्हें बेटे की तरह पाला. उन्हें तलवारबाजी, घुड़सवारी जैसे सभी कला सिखाए. बताया जाता है कि रानी लक्ष्मी की तरह ही उनकी बहादुरी और साहस के चर्चा बचपन से ही थे.

झांसी पहुंची झलकारी बाई

विवाह के बाद जब झलकारी बाई झांसी पहुंची, तो एक दिन गौरी पूजा के अवसर पर वह महिलाओं के साथ महारानी के महल पहुंच गई. वहां जब लक्ष्मी बाई ने झलकारी को देखा, तो वह दंग रह गई, क्योंकि वह बिल्कुल उनकी तरह ही दिखती थी. धीरे-धीरे झलकारी बाई और लक्ष्मी बाई दोस्त बन गई. झलकारी को सेना की महिला शाखा का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया, जिसे 'दुर्गा दल' के नाम से जाना जाता है.

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

जब अंग्रेजों ने झांसी के किले को घेर लिया था, तो झलकारी बाई ने बहादूरी के साथ अंग्रेजों से लड़ाई की. उसने रानी लक्ष्मी बाई से महल से भागने का आग्रह किया. इसके बजाय उन्होंने खुद रानी की आड़ में डान्टिया गेट और भंडारी गेट से उन्नाव गेट तक आंदोलन का नेतृत्व किया. अंग्रेजों से लड़ते हुए उनके पति की मृत्यु हो गई. जब झलकारी बाई ने यह सुना, तो वह 'घायल बाघिन' बन गईं. उसने कई ब्रिटिशों को मार डाला. कुछ संस्करणों के अनुसार, अचानक उन्हें कई गोलियां लग गई और उसकी मौत हो गई.

भोपाल। देश के लिए मर-मिटने वाली झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को हर कोई जानता है. कोई अगर भूलाना भी चाहें, तो इस बेटी के त्याग को नहीं भूल सकता, लेकिन लक्ष्मी बाई की तरह ही एक और बेटी थी, जिसने इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी. हम बात कर रहे हैं झलकारी बाई की, जो अपनी मिट्टी के लिए जी-जान से लड़ी.

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

झलकारी बाई की जीवन गाथा

झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर 1830 को झांसी के भोजला गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सदोबर सिंह औक माता का नाम जमुना देवी था. जब झलकारी बाई बहुत छोटी थी, तब उनकी माता की मृत्यु हो गई थी.

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

पिता ने उन्हें बेटे की तरह पाला. उन्हें तलवारबाजी, घुड़सवारी जैसे सभी कला सिखाए. बताया जाता है कि रानी लक्ष्मी की तरह ही उनकी बहादुरी और साहस के चर्चा बचपन से ही थे.

झांसी पहुंची झलकारी बाई

विवाह के बाद जब झलकारी बाई झांसी पहुंची, तो एक दिन गौरी पूजा के अवसर पर वह महिलाओं के साथ महारानी के महल पहुंच गई. वहां जब लक्ष्मी बाई ने झलकारी को देखा, तो वह दंग रह गई, क्योंकि वह बिल्कुल उनकी तरह ही दिखती थी. धीरे-धीरे झलकारी बाई और लक्ष्मी बाई दोस्त बन गई. झलकारी को सेना की महिला शाखा का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया, जिसे 'दुर्गा दल' के नाम से जाना जाता है.

life-story-of-jhalkari-bai
झलकारी बाई की जीवन गाथा

जब अंग्रेजों ने झांसी के किले को घेर लिया था, तो झलकारी बाई ने बहादूरी के साथ अंग्रेजों से लड़ाई की. उसने रानी लक्ष्मी बाई से महल से भागने का आग्रह किया. इसके बजाय उन्होंने खुद रानी की आड़ में डान्टिया गेट और भंडारी गेट से उन्नाव गेट तक आंदोलन का नेतृत्व किया. अंग्रेजों से लड़ते हुए उनके पति की मृत्यु हो गई. जब झलकारी बाई ने यह सुना, तो वह 'घायल बाघिन' बन गईं. उसने कई ब्रिटिशों को मार डाला. कुछ संस्करणों के अनुसार, अचानक उन्हें कई गोलियां लग गई और उसकी मौत हो गई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.