भोपाल। मध्यप्रदेश में आफत की बारिश की दौर जारी है. कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं. सीएम कमलनाथ ने सभी जिलों के कलेक्टरों को जरूरी व्यवस्थाएं करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया है. जिसके बाद से ही बाढ़ और वर्षा प्रभावित जिलों में जान-माल की रक्षा और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं. आपदा से निपटने की प्रशासन ने पूरी तैयारी की है. राज्य के 52 में से 36 जिले अतिवर्षा की चपेट में हैं.
इन जिलों में राहत और बचाव कार्य के लिए राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) के साथ स्थानीय जिला प्रशासन को सक्रिय किया गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 255 जिला आपदा रिस्पांस सेंटर और 51 आपात ऑपरेशन सेंटर खोले गए हैं, जो 24 घंटे निरंतर काम कर रहे हैं. सुरक्षा के लिहाज से एसडीआरएफ के 100, होमगार्ड के 600 प्रशिक्षित जवान लगाए गए हैं, जबकि एनडीआरएफ के 210 तथा 15 हजार होमगार्ड और पुलिस के जवान भी बचाव कार्य में जुटे हैं.
राहत और बचाव कार्य में इतना पैसा हुआ खर्च
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 45 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए विशेष दल बनाये गए हैं और प्रभावित क्षेत्रों में उनके अस्थायी कैंप लगाए गए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 150 राहत शिविरों में लोगों को पहुंचाया गया है. सभी बाढ़ प्रभावित जिलों को 100 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है, जबकि आपदा और बचाव कार्य पर 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
ये जिले हैं ज्यादा प्रभावित
बाढ़ के हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार के आग्रह पर केन्द्र से इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंटर टीम शीघ्र भेजने का आश्वासन मिला है. राज्य के मंदसौर, रतलाम, आगर-मालवा, शाजापुर, भिंड, श्योपुर, नीमच, दमोह, रायसेन, और अशोकनगर अतिवृष्टि से प्रभावित हैं. जहां राहत और बचाव के कार्य युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं.
इस नंबर से ले सकते है मदद
मंदसौर जिले में बाढ़ से 12 हजार 800 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमे से 10 हजार लोगों को राहत कैंप में ठहराया है. पूरे जिले में 53 राहत कैंप स्थापित किए गए हैं. जहां खाने-पीने से लेकर कपड़ों की भी व्यवस्था की गई है. आवागमन ठप होने से मार्ग में फंसे 470 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया है. गांधीसागर बांध के आसपास के गांवों को खाली करवा लिया गया है. मदद के लिए प्रशासन ने 7587969401 नंबर जारी किया गया है, जिस पर कोई भी फोन कर सहायता ले सकता है.
रतलाम में 500 से अधिक लोगों को किया गया शिफ्ट
रतलाम जिला तेज बारिश से पानी-पानी हो गया है. जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ की मदद से लोगों को बचाने का काम मुस्तैदी से किया गया. बाजना विकासखंड के ग्राम भड़ानखुर्द के ग्रामीणों को सुरक्षित कैम्पों में पहुंचाया गया है. इसी तरह, ग्राम रोला के 250 ग्रामीणों को पड़ोस के ग्राम रिंगनोद में शिफ्ट किया गया है. जबकि रणायरागुर्जर के 300 लोगों को शासकीय भवनों में शिफ्ट किया गया है.
आगर मालवा और शाजापुर में बचाव कार्य जारी
आगर मालवा की कंठाल नदी में जलस्तर बढ़ने से नगरीय क्षेत्र सोयत में लोगों के घरों में पानी भर गया है. जिला प्रशासन ने तत्काल पुलिस-होमगार्ड और एनडीआरएफ की टीम के साथ बचाव कार्य शुरु किया और 750 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. इसके अलावा शाजापुर जिले में बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए शासकीय भवनों में राहत-शिविर खोले गये हैं . प्रभावित क्षेत्रों पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं.
श्योपुर में बाढ़ की चपेट में 12 गांव
पार्वती और चंबल नदी में बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा युद्ध-स्तर पर बचाव कार्य शुरु कर दिया गया है. जिले में बाढ़ में फंसे 12 गांव के लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है. जिले के नदियों के समीप बसे 15 गांवों में सतत संपर्क किया जा रहा है. वहीं भिंड जिले में बाढ़ से निपटने के लिए आर्मी लॉ वन कॉलम दल को अटेर में तैनात किया गया है, जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. भिंड मुरैना और श्योपुर जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए 50 एसएएफ और 10 एसडीआरएफ और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं. वहीं पशुओं के इलाज के लिए भी चिकित्सकों को लगाया गया है.