भोपाल/जबलपुर। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश में चल रही अधिवक्ताओं की हड़ताल समाप्त हो गई है. प्रदेश के अधिवक्ता बुधवार से न्यायालय में पैरवी के लिए उपस्थित होंगे. CJI ने बुधवार को मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों को चर्चा के लिए बुलाया है. वहीं भोपाल बार एसोसिएशन के सदस्य एडवोकेट सौरव स्थापक ने कहा कि हड़ताल स्थगित करने का अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. जबलपुर बार एसोसिएशन द्वारा हड़ताल स्थगित करने के फैसले को लेकर एडवोकेट स्थापक ने कहा कि नियम अनुसार जस्टिस से मुलाकात करनी हो तो पहले हड़ताल स्थगित करनी पड़ेगी. अधिवक्ता ने कहा कि आशा है कि माननीय चीफ जस्टिस हमारी समस्या को समझेंगे और संवैधानिक निर्णय लेंगे.
बुधवार को CJI की बैठक: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों को बुधवार दोपहर 2 बजे इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है. जिसके बाद राज्य अधिवक्ता परिषद ने सभी अधिवक्ताओं को बुधवार से न्यायालय में पैरवी के लिए उपस्थित होने का आग्रह किया है. एसबीसी के उपाध्यक्ष आरके सैनी का कहना है कि तीन माह की अल्प सीमा के प्रकरणों का निराकरण हो सकता है परंतु पक्षकार को न्याय नहीं मिलेगा. न्याय की प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन होना चाहिए. 3 माह में लभगग 15 दिन अवकाश के होंगे. इसके अलावा इस निर्णय से अधिवक्ताओं पर अत्याधिक दबाव रहेगा.
चीफ जस्टिस का आदेश: एमपी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने आदेश दिया है कि 3 महीने में 25 पुराने केस निपटाने होंगे. यह आदेश दिसंबर 2022 में दिया था. इसके बाद से वकील इसका विरोध कर रहे थे. भोपाल में 23 फरवरी से लगातार हड़ताल चल रही है और 25 मार्च तक चलनी थी, लेकिन बढ़कर 29 मार्च तक पहुंच गई है. भोपाल बार एसोसिएशन के सदस्य सौरव स्थापक ने बताया कि यह हड़ताल आगे बढ़ सकती है. अब बुधवार को प्रत्येक बार मामले में एक बैठक करके निर्णय लेगी.
हड़ताल खत्म करने की अपील: वकीलों की हड़ताल को लेकर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इसे तत्काल खत्म किया जाए, वरना कार्रवाई होगी. इसको लेकर भी वकीलों ने भारी नाराजगी जाहिर की और कहा कि संवैधानिक तरीकों से ही निर्णय होने चाहिए. गौरतलब है कि हड़ताल मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में चल रही थी. पूरे प्रदेश से इसमें करीब 92 हजार वकील शामिल थे तो वही भोपाल से करीब साढे़ आठ हज़ार वकील शामिल हुए. वकीलों की हड़ताल पर जाने से जेल वारंट जारी होने की संख्या बढ़ गई थी.