भोपाल| देश में कोरोना वायरस की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है, ऐसी परिस्थितियों में लोगों का रोजगार भी लगभग छिन गया है, हालांकि राज्य सरकार की ओर से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कुछ पहल की गई है, लेकिन ये भी नाकाफी ही साबित हो रही है, क्योंकि लाखों लोग ऐसे हैं, जो अन्य राज्यों में काम कर रहे थे, लेकिन संक्रमण की वजह से वो अपना कामकाज छोड़कर अपने गृह जिले लौट आए हैं. जिस तरह की वर्तमान परिस्थितियां बनी हुई हैं उसे देखते हुए लोग वापस भी नहीं जाना चाहते हैं. इस तरह की विषम परिस्थितियों का प्रॉपर्टी पर भी सीधा असर पड़ा है. लोगों के द्वारा प्रॉपर्टी खरीदने में भी रुचि नहीं दिखाई जा रही है, जिसकी वजह से प्रॉपर्टी बाजार में भी सीधा असर पड़ा है, हालांकि ऐसी स्थिति में सरकार अब आम लोगों को राहत देने की तैयारी कर रही है. लॉकडाउन के बाद प्रदेश सरकार जनता को राहत देते हुए कलेक्टर गाइडलाइन में जमीनों के दामों में किसी प्रकार का इजाफा नहीं करेगी.
जमीन के दामों को लेकर नया प्रस्ताव
हालांकि कुछ समय पहले जमीनों के दामों को लेकर कुछ संशोधन प्रस्ताव तैयार किए गए थे, जिसके तहत कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार जमीनों के दाम बढ़ाना तय माना जा रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद बनी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार फिलहाल जमीनों के दामों में किसी प्रकार का इजाफा नहीं कर रही है. वर्ष 2019- 20 की गाइडलाइन की दरें 2020- 21 में यथावत रहेंगी. निर्माण दरों में जरूर वृद्धि की गई है, यह 1 जुलाई से लागू हो जाएगी.
नहीं बढ़ेंगे जमीनों के दाम
इसको लेकर सोमवार को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक संपन्न हुई है. इस बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि, प्रदेश की किसी भी लोकेशन में जमीनों के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे, नई गाइडलाइन 1 जुलाई से लागू होगी. केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के अध्यक्ष सुखवीर सिंह ने बैठक के दौरान बताया है कि, भोपाल, जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर, सिवनी, बैतूल, अशोकनगर और पन्ना जिले में कोई भी नई लोकेशन तय नहीं की गई है. त्रुटि सुधार का भी प्रस्ताव नहीं किया गया है. अन्य 43 जिलों में कुछ लोकेशन में त्रुटि सुधार और नई लोकेशन जोड़कर क्षेत्र प्रबंधन किया जाएगा, इस प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई है.
इसके अलावा बैठक के दौरान वर्ष 2019-20 में प्रचलित उपबंधों में कोई संशोधन नहीं किया गया है. लिहाजा रजिस्ट्री पुराने उपबंधों के आधार पर ही की जाएगी. बता दें कि, नए निर्माण कर केवल आरसीसी निर्माण पर ही लागू होंगे, आरबीसी, गडर ,फर्शी की छत ,कच्चा और कवेलू निर्माण पर नई दरें लागू नहीं होंगी. राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रजिस्ट्री के लिए मकान की निर्माण लागत कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में सीधे 50 प्रतिशत की वृद्धि की थी.
पुरानी किमतों पर ही पंजीयन
वाणिज्यिक कर विभाग के अनुसार शहरों में निर्माण लागत अभी 800 रुपए प्रति वर्ग फीट है, जो 1 जुलाई से 1200 रुपए वर्ग फिट हो जाएगी, जबकि नगर निगम सीमा से सटे क्षेत्रों में कीमत 900 रुपए से बढ़कर 1100 सौ रुपए हो जाएगी. नगर पालिका क्षेत्र में 800 रुपए से बढ़कर 950 रुपए और नगर परिषद में 500 रुपए से बढ़कर 600 रुपए प्रति वर्ग फिट हो जाएगी, वहीं पंजीयन पुरानी कीमतों में ही होगी.
बता दें, पिछली सरकार ने गाइडलाइन में जमीनों के दाम 20 प्रतिशत घटा दिए थे, उसके बाद ये निर्णय आम जनता को राहत दे सकता है. शहर में कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार एक हजार वर्ग फीट के प्लॉट की कीमत 20 लाख रुपए है, इसका निर्माण क्षेत्र 750 वर्ग फिट होता है. ऐसे में 800 रुपए वर्ग फीट के हिसाब से इसकी निर्माण लागत 6 लाख रुपए आएगी, ऐसे में घर की कुल कीमत 26 लाख रुपए के आसपास पहुंच जाएगी इस पर रजिस्ट्री का खर्च 12.5 प्रतिशत के हिसाब से 3. 25 लाख रुपए के करीब आएगा.
1 जुलाई से लागू होगी नई गाइडलाइन
1 जुलाई से कलेक्टर गाइडलाइन पुरानी ही रहेगी लेकिन प्रति वर्ग फीट निर्माण लागत 1200 रुपए हो जाएगी, इससे निर्माण लागत बढ़ कर 9 लाख के आसपास पहुंच जाएगी. इसके अनुसार घर की कीमत जो पहले 26 लाख रुपए पर पहुंच रही थी वो बढ़कर 29 लाख हो जाएगी. यानी 1 जुलाई से करीब एक हजार वर्ग फीट के प्लॉट पर निर्माण करने पर करीब 3 लाख रुपए का बोझ जनता पर पड़ेगा.