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कूनों में चीतों की मौत से खिंची चिंता की लकीरें, CM शिवराज के साथ बैठक करेंगे केंद्रीय मंत्री

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की हो रही मौतों के अब केंद्र और राज्य सरकार सक्रिय नजर आ रही है जिसको लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जल्द ही सीएम शिवराज के साथ बैठक करेंगे.

kuno cheetah deaths
कूनो चीता
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Published : May 26, 2023, 10:58 PM IST

भोपाल। कूनों नेशनल पार्क में हो रही चीतों की मौत के बीच केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किए गए चीतों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे. पिछले दो महीनों में मार्च में पैदा हुए तीन शावक समेत से छह चीतों की मौत की हो चुकी है. एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के शीर्ष वन अधिकारियों ने 29 मई को यादव के साथ बैठक से पहले शुक्रवार को सीएम चौहान को जानकारी दी. जिसके दौरान चीता रिवाईवल के साथ-साथ इसे मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी.

2 महीनो में 6 चीतों की मौत: ज्वाला से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की 23 मई को मृत्यु हो गई है. नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे से संबंधित बीमारी के कारण मृत्यु हो गई. दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गई थी. दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते दक्ष ने इस साल 9 मई को संभोग के प्रयास के दौरान एक नर के साथ हिंसक झड़प के बाद दम तोड़ दिया था. बैठक को लेकर सीएम को जानकारी देने वाले अधिकारियों में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) रमेश कुमार गुप्ता, पीसीसीएफ (वन्यजीव) जे एस चौहान और उनके डिप्टी सुभरंजन सेन शामिल हैं.

गर्मी का सामना नहीं कर सके शावक: सूत्रों ने बताया कि नेशनल टाइगर कंजरवेटिव अथॉरिटी (एनटीसीए) ने चीता टास्क फोर्स के साथ मिलकर स्थिति पर नजर रखने और महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए 11 सदस्यीय संचालन समिति का गठन किया है. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मुख्यमंत्री को बताया गया है कि हाल ही में मरने वाले शावकों का वजन 3 किलोग्राम के आदर्श वजन के मुकाबले 1.6 किलोग्राम कम था और चिलचिलाती गर्मी का सामना नहीं कर सकते थे.

गांधी सागर अभयारण्य और नौरादेही हो सकता है आशियाना: एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कुछ चीतों को गांधी सागर अभयारण्य और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया जा सकता है, अगर यह पाया गया कि 487 वर्ग किलोमीटर के बफर जोन के साथ 784 वर्ग किलोमीटर में फैले कूनो राष्ट्रीय उद्यान में जगह की कमी है. उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चीता को जंगल में स्वतंत्र रूप से घूमने के लिए कम से कम 100 वर्ग किलोमीटर की जरूरत होती है. सीएम को बताया गया है कि गांधी सागर छह से सात महीने में चीतों के लिए तैयार हो जाएगा, हालांकि नौरादेही में कुछ और समय लगेगा.

चीतों को भारत में बसाने की मिशन: चार शावक, जिनमें से तीन की मृत्यु हो गई, 1952 में चीतों के विलुप्त होने के बाद भारत में पैदा होने वाले चीतों का पहला समूह था. आखिरी चीते का शिकार 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में किया गया था. 17 सितंबर, 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नामीबिया से लाए गए पांच मादा और तीन नर चीतों को केएनपी में बाड़ों में छोड़ दिया गया था. 12 चीतों का एक और कुनबा फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और उन्हें एक अलग बाड़े में रखा गया था

Input: PTI

भोपाल। कूनों नेशनल पार्क में हो रही चीतों की मौत के बीच केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किए गए चीतों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे. पिछले दो महीनों में मार्च में पैदा हुए तीन शावक समेत से छह चीतों की मौत की हो चुकी है. एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के शीर्ष वन अधिकारियों ने 29 मई को यादव के साथ बैठक से पहले शुक्रवार को सीएम चौहान को जानकारी दी. जिसके दौरान चीता रिवाईवल के साथ-साथ इसे मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी.

2 महीनो में 6 चीतों की मौत: ज्वाला से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की 23 मई को मृत्यु हो गई है. नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे से संबंधित बीमारी के कारण मृत्यु हो गई. दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गई थी. दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते दक्ष ने इस साल 9 मई को संभोग के प्रयास के दौरान एक नर के साथ हिंसक झड़प के बाद दम तोड़ दिया था. बैठक को लेकर सीएम को जानकारी देने वाले अधिकारियों में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) रमेश कुमार गुप्ता, पीसीसीएफ (वन्यजीव) जे एस चौहान और उनके डिप्टी सुभरंजन सेन शामिल हैं.

गर्मी का सामना नहीं कर सके शावक: सूत्रों ने बताया कि नेशनल टाइगर कंजरवेटिव अथॉरिटी (एनटीसीए) ने चीता टास्क फोर्स के साथ मिलकर स्थिति पर नजर रखने और महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए 11 सदस्यीय संचालन समिति का गठन किया है. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मुख्यमंत्री को बताया गया है कि हाल ही में मरने वाले शावकों का वजन 3 किलोग्राम के आदर्श वजन के मुकाबले 1.6 किलोग्राम कम था और चिलचिलाती गर्मी का सामना नहीं कर सकते थे.

गांधी सागर अभयारण्य और नौरादेही हो सकता है आशियाना: एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कुछ चीतों को गांधी सागर अभयारण्य और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया जा सकता है, अगर यह पाया गया कि 487 वर्ग किलोमीटर के बफर जोन के साथ 784 वर्ग किलोमीटर में फैले कूनो राष्ट्रीय उद्यान में जगह की कमी है. उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चीता को जंगल में स्वतंत्र रूप से घूमने के लिए कम से कम 100 वर्ग किलोमीटर की जरूरत होती है. सीएम को बताया गया है कि गांधी सागर छह से सात महीने में चीतों के लिए तैयार हो जाएगा, हालांकि नौरादेही में कुछ और समय लगेगा.

चीतों को भारत में बसाने की मिशन: चार शावक, जिनमें से तीन की मृत्यु हो गई, 1952 में चीतों के विलुप्त होने के बाद भारत में पैदा होने वाले चीतों का पहला समूह था. आखिरी चीते का शिकार 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में किया गया था. 17 सितंबर, 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नामीबिया से लाए गए पांच मादा और तीन नर चीतों को केएनपी में बाड़ों में छोड़ दिया गया था. 12 चीतों का एक और कुनबा फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और उन्हें एक अलग बाड़े में रखा गया था

Input: PTI

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