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जेईई-नीट की परीक्षा कराना छात्रों की जान से खिलवाड़ः कुणाल चौधरी

कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार छात्रों की जान से खिलवाड़ कर रही है. कोरोना काल में जेईई-नीट की परीक्षाएं आयोजित करना उचित नहीं है.

Kunal Chaudhary targeted the government
कुणाल चौधरी ने सरकार पर साधा निशाना
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Published : Aug 31, 2020, 2:18 PM IST

भोपाल। कोरोना काल में जेईई और नीट की परीक्षा कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष और कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन की न सिर्फ अवहेलना कर रही है, बल्कि देश के भविष्य के जीवन को भी खतरे में डाल रही है. बीजेपी सरकार को उपदेश देने की बजाय छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं, ऐसी स्थिति में परीक्षाएं कैसे कराई जा सकती हैं.

कुणाल चौधरी

उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में परीक्षाओं का आयोजन केंद्र सरकार की हठधर्मिता है. लाखों विद्यार्थियों को देश भर के परीक्षा केंद्र पर जाना पड़े और इस दौरान उनके साथ उनके माता-पिता या परिजन भी होंगे. ऐसे में उन सभी परीक्षार्थियों और उनके परिजनों को संक्रमण का खतरा है और बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कांग्रेस बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी.

बच्चों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण मुद्दा

चौधरी ने कहा कि परीक्षा देने वाले छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण मुद्दा है. बड़ा सवाल ये भी है कि इस परीक्षा के लिए छात्रों को सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था कैसे होगी? इसके अलावा कौन से अनिवार्य नीति नियम होंगे, जिनके आधार पर ये परीक्षा आयोजित कर पाएंगे. सरकार भूल गई है कि देश में रोजाना 60 से 70 हजार नए कोरोना के मरीज मिल रहे हैं. इस दौरान साढे 16 लाख छात्र नीट और 9 लाख छात्र जेईई में शामिल होंगे. ये छात्रों की जान से खिलवाड़ करना है.

जेईई के लिए मात्र 660 सेंटर

देश में जहां 34 लाख कोरोना संक्रमित हैं और 60 हजार की मृत्यु हो चुकी है. ऐसी स्थिति में जेईई के लिए मात्र 660 सेंटर रखे गए हैं. हर परीक्षा केंद्र पर 14 से 15 सौ छात्र परीक्षा देंगे. सरकार ने अचानक एक फरमान जारी कर दिया कि 1 सितंबर से पहली परीक्षा शुरू होगी और 13 सितंबर से दूसरी परीक्षा शुरू होगी, लोग कैसे सामंजस्य बना पाएंगे. जेईई-नीट परीक्षार्थियों के भविष्य के लिए यह सबसे कठिन और महत्वपूर्ण परीक्षा है. इन परिस्थितियों में बिना तैयारी के परीक्षा देना भी बच्चों के लिए मुश्किल होगा.

विशेष शेड्यूल बनाए सरकार

उन्होंने कहा कि कोई नहीं चाहता है कि बच्चों का साल बर्बाद हो जाए, लेकिन सरकार को कोरोना वायरस के चलते इस साल विशेष शेड्यूल बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत का मकसद भविष्य सवारना हैं, लेकिन सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेना चाहिए. सरकार को रास्ता निकालना चाहिए कि साल भी बर्बाद ना हो और परीक्षार्थियों को सुरक्षित परीक्षा देने का मौका भी मिले.

कोरोनाग्रस्त अभ्यार्थियों का क्या होगा ?

विधायक ने कहा कि परीक्षार्थियों से कोविड-19 अंडरटेकिंग भरवाया जा रहा है. जिसमें उन्हें अलग-अलग निर्देश दिए जा रहे हैं. कोरोना के लिए क्या-क्या करना, इस बारे में भी वेबसाइट पर बार-बार निर्देश मिल रहे हैं. ऐसी स्थिति में बच्चे पढ़ाई पर ध्यान दें या दिनभर वेबसाइट पर निर्देश देखें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वैश्विक महामारी में जो परीक्षार्थी कोरोना ग्रस्त होंगे या क्वारेंनटाइन होंगे, तो वह परीक्षा से वंचित रहेंगे. वहीं महामारी के शिकार बच्चों के भविष्य का फिर क्या होगा.

कोरोना से बेमौत मर रहे लोग

कुणाल चौधरी ने कहा है कि देश में लोग कोरोना से बेमौत मर रहे हैं और सरकार एक एग्जाम कराने में पूरी ताकत क्यों लगा रही है. लोग जिंदा रहेंगे, तो अगले साल फिर एग्जाम दे देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एग्जाम के पीछे इसलिए पड़े हैं, ताकि आर्थिक बर्बादी और बेरोजगारी से जनता का ध्यान भटका या जाए और सरकारी मीडिया रिया... और एग्जाम क्यों नहीं हो रिया... दिखाती रहे.

पसंद का सेंटर दिए जाने को लेकर सवाल

कुणाल चौधरी ने कहा है कि 90 फीसदी नीट और जेईई स्टूडेंट्स को पसंद का सेंटर दिए जाने की बात हो रही है. लगभग 27 लाख स्टूडेंट एग्जाम में बैठेंगे, इनमें से 90 फीसदी को पसंद का सेंटर देने कितना पैसा खर्च होगा, कितना स्टाफ लगेगा, कितनी मशीनरी होगी. यह सब तो जल्दी लगा लिया, लेकिन यह बताएं कि बाकी बचे 10 फीसदी मतलब 2 लाख 80 हजार स्टूडेंट्स को तो सफर करना पड़ेगा. घर से बाहर निकलना पड़ेगा, उनकी पसंद का सेंटर नहीं मिलेगा. वह कैसे एग्जाम दे पाएंगे और क्या सरकार गारंटी लेगी कि किसी भी स्टूडेंट्स को कोरोना नहीं होगा.

भोपाल। कोरोना काल में जेईई और नीट की परीक्षा कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष और कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन की न सिर्फ अवहेलना कर रही है, बल्कि देश के भविष्य के जीवन को भी खतरे में डाल रही है. बीजेपी सरकार को उपदेश देने की बजाय छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं, ऐसी स्थिति में परीक्षाएं कैसे कराई जा सकती हैं.

कुणाल चौधरी

उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में परीक्षाओं का आयोजन केंद्र सरकार की हठधर्मिता है. लाखों विद्यार्थियों को देश भर के परीक्षा केंद्र पर जाना पड़े और इस दौरान उनके साथ उनके माता-पिता या परिजन भी होंगे. ऐसे में उन सभी परीक्षार्थियों और उनके परिजनों को संक्रमण का खतरा है और बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कांग्रेस बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी.

बच्चों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण मुद्दा

चौधरी ने कहा कि परीक्षा देने वाले छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण मुद्दा है. बड़ा सवाल ये भी है कि इस परीक्षा के लिए छात्रों को सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था कैसे होगी? इसके अलावा कौन से अनिवार्य नीति नियम होंगे, जिनके आधार पर ये परीक्षा आयोजित कर पाएंगे. सरकार भूल गई है कि देश में रोजाना 60 से 70 हजार नए कोरोना के मरीज मिल रहे हैं. इस दौरान साढे 16 लाख छात्र नीट और 9 लाख छात्र जेईई में शामिल होंगे. ये छात्रों की जान से खिलवाड़ करना है.

जेईई के लिए मात्र 660 सेंटर

देश में जहां 34 लाख कोरोना संक्रमित हैं और 60 हजार की मृत्यु हो चुकी है. ऐसी स्थिति में जेईई के लिए मात्र 660 सेंटर रखे गए हैं. हर परीक्षा केंद्र पर 14 से 15 सौ छात्र परीक्षा देंगे. सरकार ने अचानक एक फरमान जारी कर दिया कि 1 सितंबर से पहली परीक्षा शुरू होगी और 13 सितंबर से दूसरी परीक्षा शुरू होगी, लोग कैसे सामंजस्य बना पाएंगे. जेईई-नीट परीक्षार्थियों के भविष्य के लिए यह सबसे कठिन और महत्वपूर्ण परीक्षा है. इन परिस्थितियों में बिना तैयारी के परीक्षा देना भी बच्चों के लिए मुश्किल होगा.

विशेष शेड्यूल बनाए सरकार

उन्होंने कहा कि कोई नहीं चाहता है कि बच्चों का साल बर्बाद हो जाए, लेकिन सरकार को कोरोना वायरस के चलते इस साल विशेष शेड्यूल बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत का मकसद भविष्य सवारना हैं, लेकिन सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेना चाहिए. सरकार को रास्ता निकालना चाहिए कि साल भी बर्बाद ना हो और परीक्षार्थियों को सुरक्षित परीक्षा देने का मौका भी मिले.

कोरोनाग्रस्त अभ्यार्थियों का क्या होगा ?

विधायक ने कहा कि परीक्षार्थियों से कोविड-19 अंडरटेकिंग भरवाया जा रहा है. जिसमें उन्हें अलग-अलग निर्देश दिए जा रहे हैं. कोरोना के लिए क्या-क्या करना, इस बारे में भी वेबसाइट पर बार-बार निर्देश मिल रहे हैं. ऐसी स्थिति में बच्चे पढ़ाई पर ध्यान दें या दिनभर वेबसाइट पर निर्देश देखें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वैश्विक महामारी में जो परीक्षार्थी कोरोना ग्रस्त होंगे या क्वारेंनटाइन होंगे, तो वह परीक्षा से वंचित रहेंगे. वहीं महामारी के शिकार बच्चों के भविष्य का फिर क्या होगा.

कोरोना से बेमौत मर रहे लोग

कुणाल चौधरी ने कहा है कि देश में लोग कोरोना से बेमौत मर रहे हैं और सरकार एक एग्जाम कराने में पूरी ताकत क्यों लगा रही है. लोग जिंदा रहेंगे, तो अगले साल फिर एग्जाम दे देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एग्जाम के पीछे इसलिए पड़े हैं, ताकि आर्थिक बर्बादी और बेरोजगारी से जनता का ध्यान भटका या जाए और सरकारी मीडिया रिया... और एग्जाम क्यों नहीं हो रिया... दिखाती रहे.

पसंद का सेंटर दिए जाने को लेकर सवाल

कुणाल चौधरी ने कहा है कि 90 फीसदी नीट और जेईई स्टूडेंट्स को पसंद का सेंटर दिए जाने की बात हो रही है. लगभग 27 लाख स्टूडेंट एग्जाम में बैठेंगे, इनमें से 90 फीसदी को पसंद का सेंटर देने कितना पैसा खर्च होगा, कितना स्टाफ लगेगा, कितनी मशीनरी होगी. यह सब तो जल्दी लगा लिया, लेकिन यह बताएं कि बाकी बचे 10 फीसदी मतलब 2 लाख 80 हजार स्टूडेंट्स को तो सफर करना पड़ेगा. घर से बाहर निकलना पड़ेगा, उनकी पसंद का सेंटर नहीं मिलेगा. वह कैसे एग्जाम दे पाएंगे और क्या सरकार गारंटी लेगी कि किसी भी स्टूडेंट्स को कोरोना नहीं होगा.

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