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फसल खरीदी केंद्र पर किसान परेशान, कांग्रेस विधायक ने की 2 हजार रुपये देने की मांग - Shivraj Singh Chauhan

कांग्रेस विधायक ने राज्य सरकार से मांग की है कि समय पर गेंहूं नहीं बिकने के कारण किसान को ज्यादा किराया चुकाना पड़ रहा है ऐसे में किसानों 2 हजार की राशि दी जाए.

Kunal Chaudhary demanded
शिवराज सिंह कुणाल
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Published : May 21, 2020, 1:24 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश युवा अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते है, लेकिन उन्होंने किसानों की परेशानी बढ़ाई हैं. किसानों को फसल खरीदी केंद्र पर भूखे-प्यासे, तपती धूप में 5 से 6 दिन लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. कुणाल चौधरी ने मांग की है कि अगर किसानों को लाईनों में एक दिन से ज्यादा लगना पड़ता है, तो सरकार उन्हें कम से कम 1500 रुपये ट्रैक्टर के किराए का और 500 रुपये ढुलाई यानी कुल 2000 रुपए की सहायता राशि के तौर पर प्रदान करें. ताकि किसान को अतिरिक्त भार से राहत मिल जाए.

किसानों के लिए मांग

कुणाल चौधरी का कहना है कि जब किसान किराए से ट्रैक्टर कर लेकर केंद्र पर पहुंचता है, तो उसे 1500-2000 तक का भाड़ा प्रति दिन के हिसाब से तब तक देना पड़ता है, इसके बाद कई दिनों का लाईन में लगने के बाद किसानों को फसल बेचने के लिए लगभग से 10 हज़ार रुपया अधिक वहन करना पड़ता है.

कम किसानों को मिल रहे एसएमएस

कुणाल ने कहा कि एसएमएस के माध्यम से किसानों को सूचना पहुंचाई जा रही है लेकिन खरीदी केंद्र पर उनका नंबर आने पर मैसेज को 8 दिन पुराना बताकर कई और कारणों को गिनाकर गेहूं तोलने से मना कर दिया जाता है. किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है. उन्होंने कहा कि आधे से भी कम किसानों के पास एसएमएस पहुंच रहे हैं और कहीं न कहीं इस में भी कुछ घालमेल किया जा रहा है. सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों को यह सुविधा पहले मिल रही है और माफियाओं को फायदा पहुंचाया जा रहा है. प्रदेश में गरीब किसान के हाथ सिर्फ निराशा ही लग रही है.

मौसम की मार झेल रहा किसान

बेमौसम बारिश ने किसानों के लिए परेशानियों का अम्बार लगा दिया है, बारिश की वजह से मंडी में रखी हजारों क्विंटल गेहूं की फसल चौपट होने के कगार पर पहुंच गई है. इसके आलावा प्याज की फसल को भी इस बारिश की वजह से भारी नुकसान हुआ है. मौसम की यही हालत रही तो किसानों की फसल की लागत के भी लाले पड़ जाएंगे, इन सभी कारणों से किसान परेशान है.

किसान को किया जा रहा प्रताड़ित

कुणाल चौधरी ने कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार सिर्फ अपने पिछले कार्यकाल की तरह किसानों की छाती पर गोली मारने की तरह उन्हें प्रताड़ित कर रही है. सीएम खुद को किसान का बेटा बताते हैं, लेकिन वे खुद किसानों के दर्द नहीं समझते हैं औप सिर्फ माफियाओं को मदद पहुंचने में लगे रहते हैं. कांग्रेस विधायक ने यह भी कहा कि पिछली सरकार में किसानों की हित को ध्यान में रखते हुए सर्वश्रेष्ठ गेहूं की खरीदी की गई थी. जिसमें किसानों को 5 से 7 घंटे के भीतर ही गेहूं खरीदी कर किसानों को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक राहत दी थी.

पूंजीपतियों का फायदा सोचती है सरकार

मध्यप्रदेश सरकार ने श्रम और मंडी अधिनियम में कई संशोधन किये हैं. इस निर्णय पर कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश किसानों का प्रदेश है और मंडियों की स्थापना किसानों को कवच प्रदान करने के लिए दी गयी थी, ताकि उनकी उपज सही जगह बिक पाए और सही दाम मिल पाए, लेकिन अब सरकार ने श्रम कानून में बदलाव की तर्ज पर मंडी अधिनियम कानून में बदलाव कर चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये फैसला लिया है. जब कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी तो किसानो की बात सीएम कमलनाथ सुना करते थे और इसीलिए कई किसानों के कर्ज भी माफ हुए. किसानों को उनकी खरीद का सही दाम भी मिला. जिस वजह से किसानों को दर-दर भटकने की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन जब से शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं. प्रदेश के किसान के साथ भेद भाव हो रहा है.

भोपाल। मध्यप्रदेश युवा अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते है, लेकिन उन्होंने किसानों की परेशानी बढ़ाई हैं. किसानों को फसल खरीदी केंद्र पर भूखे-प्यासे, तपती धूप में 5 से 6 दिन लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. कुणाल चौधरी ने मांग की है कि अगर किसानों को लाईनों में एक दिन से ज्यादा लगना पड़ता है, तो सरकार उन्हें कम से कम 1500 रुपये ट्रैक्टर के किराए का और 500 रुपये ढुलाई यानी कुल 2000 रुपए की सहायता राशि के तौर पर प्रदान करें. ताकि किसान को अतिरिक्त भार से राहत मिल जाए.

किसानों के लिए मांग

कुणाल चौधरी का कहना है कि जब किसान किराए से ट्रैक्टर कर लेकर केंद्र पर पहुंचता है, तो उसे 1500-2000 तक का भाड़ा प्रति दिन के हिसाब से तब तक देना पड़ता है, इसके बाद कई दिनों का लाईन में लगने के बाद किसानों को फसल बेचने के लिए लगभग से 10 हज़ार रुपया अधिक वहन करना पड़ता है.

कम किसानों को मिल रहे एसएमएस

कुणाल ने कहा कि एसएमएस के माध्यम से किसानों को सूचना पहुंचाई जा रही है लेकिन खरीदी केंद्र पर उनका नंबर आने पर मैसेज को 8 दिन पुराना बताकर कई और कारणों को गिनाकर गेहूं तोलने से मना कर दिया जाता है. किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है. उन्होंने कहा कि आधे से भी कम किसानों के पास एसएमएस पहुंच रहे हैं और कहीं न कहीं इस में भी कुछ घालमेल किया जा रहा है. सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों को यह सुविधा पहले मिल रही है और माफियाओं को फायदा पहुंचाया जा रहा है. प्रदेश में गरीब किसान के हाथ सिर्फ निराशा ही लग रही है.

मौसम की मार झेल रहा किसान

बेमौसम बारिश ने किसानों के लिए परेशानियों का अम्बार लगा दिया है, बारिश की वजह से मंडी में रखी हजारों क्विंटल गेहूं की फसल चौपट होने के कगार पर पहुंच गई है. इसके आलावा प्याज की फसल को भी इस बारिश की वजह से भारी नुकसान हुआ है. मौसम की यही हालत रही तो किसानों की फसल की लागत के भी लाले पड़ जाएंगे, इन सभी कारणों से किसान परेशान है.

किसान को किया जा रहा प्रताड़ित

कुणाल चौधरी ने कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार सिर्फ अपने पिछले कार्यकाल की तरह किसानों की छाती पर गोली मारने की तरह उन्हें प्रताड़ित कर रही है. सीएम खुद को किसान का बेटा बताते हैं, लेकिन वे खुद किसानों के दर्द नहीं समझते हैं औप सिर्फ माफियाओं को मदद पहुंचने में लगे रहते हैं. कांग्रेस विधायक ने यह भी कहा कि पिछली सरकार में किसानों की हित को ध्यान में रखते हुए सर्वश्रेष्ठ गेहूं की खरीदी की गई थी. जिसमें किसानों को 5 से 7 घंटे के भीतर ही गेहूं खरीदी कर किसानों को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक राहत दी थी.

पूंजीपतियों का फायदा सोचती है सरकार

मध्यप्रदेश सरकार ने श्रम और मंडी अधिनियम में कई संशोधन किये हैं. इस निर्णय पर कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश किसानों का प्रदेश है और मंडियों की स्थापना किसानों को कवच प्रदान करने के लिए दी गयी थी, ताकि उनकी उपज सही जगह बिक पाए और सही दाम मिल पाए, लेकिन अब सरकार ने श्रम कानून में बदलाव की तर्ज पर मंडी अधिनियम कानून में बदलाव कर चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये फैसला लिया है. जब कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी तो किसानो की बात सीएम कमलनाथ सुना करते थे और इसीलिए कई किसानों के कर्ज भी माफ हुए. किसानों को उनकी खरीद का सही दाम भी मिला. जिस वजह से किसानों को दर-दर भटकने की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन जब से शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं. प्रदेश के किसान के साथ भेद भाव हो रहा है.

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