ETV Bharat / state

दगाबाज या वफादार! पठान दोस्त मोहम्मद खान का जानें इतिहास, जिस पर छिड़ा है संग्राम

author img

By

Published : Nov 15, 2021, 6:40 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 2:13 PM IST

पठान दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) गद्दार था या इमानदार था, आजकल इसी बात पर बहस छिड़ी है, इसके पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का एक ट्वीट है, जिस पर इतिहासकार और विद्वान दो खेमों में बंट गए हैं, एक जो दोस्त मोहम्मद खान को इमानदार मानता है और दूसरा जो गद्दार मानता है, भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखने के बाद इस पर बहस और बढ़ गई है.

Dost Mohammad Khan
पठान दोस्त मोहम्मद खान रानी कमलापति

अफगानिस्तान के तराह शहर से नूर मोहम्मद खान और उनके साहबजादे दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) निर्वासन के बाद भारत आए, तब भोपाल में रानी कमलापति का राज था. रानी के पति को उनके भतीजों ने जहर देकर मार दिया था. इस बात से रानी बहुत परेशान थीं और बदला लेना चाहती थी. उसने बदला लेने वाले व्यक्ति को एक लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा भी की थी. रानी के पति की मौत का बदला दोस्त मोहम्मद खान ने लिया, जिसके बदले में रानी ने पचास हजार रुपये नगद और बाकी पचास हजार के बदले तत्कालीन फतेहगढ़ को दस हजार के वार्षिक लगान के साथ दोस्त मोहम्मद खान को सौंप दिया. बाद में दोस्त मोहम्मद खान ने ही इस जगह पर फतेहगढ़ किले का निर्माण कराया. बताया जाता है कि किले की नींव का पत्थर काजी मोहम्मद मोअज्जम साहब ने रखा था. किले की पश्चिमी दिशा में स्थित बुर्ज को मस्जिद की शक्ल दी गई थी, इस तरह वर्ष 1716 में 'ढाई सीढ़ी की मस्जिद' भोपाल की पहली मस्जिद बनी.

भोपाल में आमने-सामने मौजूद हैं एशिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी मस्जिद, जानिए इनका रोचक इतिहास

भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान ने ही आधुनिक शहर भोपाल की स्थापना की थी, जिसे बाद में प्रदेश की राजधानी बनाया गया. अफगानिस्तान के तिराह शहर से एक पश्तून दोस्त मोहम्मद खान 1703 में दिल्ली में मुगल सेना में शामिल हुआ था, वह तेजी से रैंकों के माध्यम से उठा और उसे मध्य भारत का मालवा प्रांत को सौंपा गया. औरंगजेब की मृत्यु के बाद खान ने राजनीतिक रूप से अस्थिर मालवा क्षेत्र में कई स्थानीय सरदारों को भाड़े की सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया. 1709 में उसने मंगलगढ़ की छोटी राजपूत रियासत की भाड़े के रूप में सेवा करते हुए बैरसिया एस्टेट को लीज पर ले लिया और उत्तराधिकारी दहेज रानी की मृत्यु के बाद राज्य पर अधिकार कर लिया.

CM शिवराज के ट्वीट से खड़ा हुआ विवाद, रानी कमलापति के ताल्लुकदारों और हिस्टोरियन ने नकारा कहा- वफादार था दोस्त मोहम्मद खान

दोस्त खान ने मालवा के स्थानीय राजपूत प्रमुखों के साथ मिलकर मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक विद्रोह किया था, जिसमें वह हार गया और आगामी लड़ाई में घायल हो गया, उन्होंने सय्यद ब्रदर्स में से एक घायल सैय्यद हुसैन अली खान बरहा की मदद की, इससे उन्हें सैय्यद ब्रदर्स की दोस्ती हासिल करने में मदद मिली, जो मुगल दरबार में अत्यधिक प्रभावशाली राजा-निर्माता बन गए थे. इसके बाद खान ने मालवा के कई प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया. खान ने छोटे गोंड साम्राज्य की शासक रानी कमलापति को भाड़े की सेवाएं प्रदान की और भुगतान के एवज में भोपाल का क्षेत्र प्राप्त किया. रानी की मृत्यु के बाद उसने बेटे को मार डाला और गोंड साम्राज्य को नष्ट कर दिया. 1720 के दशक की शुरुआत में उसने भोपाल के गांव को एक गढ़वाले शहर में बदल दिया और नवाब की उपाधि का दावा किया, जिसका उपयोग भारत में रियासतों के मुस्लिम शासकों द्वारा किया जाता था. इस तरह उसने भोपाल की स्थापना की.

  • रानी कमलापति की बुद्धिमत्ता,साहस और अद्वितीय शासकीय गुणों से हम सभी परिचित हैं। उन्होंने जल समाधि लेकर नारी सम्मान के साथ-साथ धर्म और संस्कृति की भी रक्षा की।

    भोपाल रियासत का गौरव 'गोंड रानी कमलापतिःभोपाल की अन्तिम हिन्दू रानी' के विषय में मेरे विचार...https://t.co/Q4MAHjLIkW

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीएम ने ट्विटर पर लिखा
शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में लिखा कि ' हबीबगंज का नाम अंतिम हिंदू रानी कमलापति के नाम पर पर हो गया है, रानी कमलापति के राज्य को दोस्त मोहम्मद खान द्वारा हड़पने का षड्यंत्र किया गया था. उनके पुत्र की हत्या कर दी गई और रानी को लगा कि वे राज्य का संरक्षण नहीं कर पाएंगी, तो उन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए समाधि ले ली थी'.

अफगानिस्तान के तराह शहर से नूर मोहम्मद खान और उनके साहबजादे दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) निर्वासन के बाद भारत आए, तब भोपाल में रानी कमलापति का राज था. रानी के पति को उनके भतीजों ने जहर देकर मार दिया था. इस बात से रानी बहुत परेशान थीं और बदला लेना चाहती थी. उसने बदला लेने वाले व्यक्ति को एक लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा भी की थी. रानी के पति की मौत का बदला दोस्त मोहम्मद खान ने लिया, जिसके बदले में रानी ने पचास हजार रुपये नगद और बाकी पचास हजार के बदले तत्कालीन फतेहगढ़ को दस हजार के वार्षिक लगान के साथ दोस्त मोहम्मद खान को सौंप दिया. बाद में दोस्त मोहम्मद खान ने ही इस जगह पर फतेहगढ़ किले का निर्माण कराया. बताया जाता है कि किले की नींव का पत्थर काजी मोहम्मद मोअज्जम साहब ने रखा था. किले की पश्चिमी दिशा में स्थित बुर्ज को मस्जिद की शक्ल दी गई थी, इस तरह वर्ष 1716 में 'ढाई सीढ़ी की मस्जिद' भोपाल की पहली मस्जिद बनी.

भोपाल में आमने-सामने मौजूद हैं एशिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी मस्जिद, जानिए इनका रोचक इतिहास

भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान ने ही आधुनिक शहर भोपाल की स्थापना की थी, जिसे बाद में प्रदेश की राजधानी बनाया गया. अफगानिस्तान के तिराह शहर से एक पश्तून दोस्त मोहम्मद खान 1703 में दिल्ली में मुगल सेना में शामिल हुआ था, वह तेजी से रैंकों के माध्यम से उठा और उसे मध्य भारत का मालवा प्रांत को सौंपा गया. औरंगजेब की मृत्यु के बाद खान ने राजनीतिक रूप से अस्थिर मालवा क्षेत्र में कई स्थानीय सरदारों को भाड़े की सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया. 1709 में उसने मंगलगढ़ की छोटी राजपूत रियासत की भाड़े के रूप में सेवा करते हुए बैरसिया एस्टेट को लीज पर ले लिया और उत्तराधिकारी दहेज रानी की मृत्यु के बाद राज्य पर अधिकार कर लिया.

CM शिवराज के ट्वीट से खड़ा हुआ विवाद, रानी कमलापति के ताल्लुकदारों और हिस्टोरियन ने नकारा कहा- वफादार था दोस्त मोहम्मद खान

दोस्त खान ने मालवा के स्थानीय राजपूत प्रमुखों के साथ मिलकर मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक विद्रोह किया था, जिसमें वह हार गया और आगामी लड़ाई में घायल हो गया, उन्होंने सय्यद ब्रदर्स में से एक घायल सैय्यद हुसैन अली खान बरहा की मदद की, इससे उन्हें सैय्यद ब्रदर्स की दोस्ती हासिल करने में मदद मिली, जो मुगल दरबार में अत्यधिक प्रभावशाली राजा-निर्माता बन गए थे. इसके बाद खान ने मालवा के कई प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया. खान ने छोटे गोंड साम्राज्य की शासक रानी कमलापति को भाड़े की सेवाएं प्रदान की और भुगतान के एवज में भोपाल का क्षेत्र प्राप्त किया. रानी की मृत्यु के बाद उसने बेटे को मार डाला और गोंड साम्राज्य को नष्ट कर दिया. 1720 के दशक की शुरुआत में उसने भोपाल के गांव को एक गढ़वाले शहर में बदल दिया और नवाब की उपाधि का दावा किया, जिसका उपयोग भारत में रियासतों के मुस्लिम शासकों द्वारा किया जाता था. इस तरह उसने भोपाल की स्थापना की.

  • रानी कमलापति की बुद्धिमत्ता,साहस और अद्वितीय शासकीय गुणों से हम सभी परिचित हैं। उन्होंने जल समाधि लेकर नारी सम्मान के साथ-साथ धर्म और संस्कृति की भी रक्षा की।

    भोपाल रियासत का गौरव 'गोंड रानी कमलापतिःभोपाल की अन्तिम हिन्दू रानी' के विषय में मेरे विचार...https://t.co/Q4MAHjLIkW

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीएम ने ट्विटर पर लिखा
शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में लिखा कि ' हबीबगंज का नाम अंतिम हिंदू रानी कमलापति के नाम पर पर हो गया है, रानी कमलापति के राज्य को दोस्त मोहम्मद खान द्वारा हड़पने का षड्यंत्र किया गया था. उनके पुत्र की हत्या कर दी गई और रानी को लगा कि वे राज्य का संरक्षण नहीं कर पाएंगी, तो उन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए समाधि ले ली थी'.

Last Updated : Dec 2, 2021, 2:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.