भोपाल। वर्तमान में कोरोना से बचाव के लिए सबसे बड़ा हथियार मास्क और सोशल डिस्टेसिंग को माना जा रहा है. वहीं एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए तो संक्रमित, संदिग्ध व्यक्तियों से बचना सबसे ज्यादा जरूरी है. स्वस्थ व्यक्ति संदिग्ध व्यक्तियों, संक्रमित व्यक्तियों या ऐसी चीजों से दूरी बनाकर रखे, जो कोरोना वायरस के संपर्क में आए हो. कोरोना वायरस से बचाव के लिए हर तरफ से तमाम हिदायतें दी जा रही हैं.
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के सीधे सम्पर्क में आने वाला मेडिकल स्टाफ जो प्रोटेक्टिव गियर पीपीई किट, N-95 मास्क और ग्लव्स इस्तेमाल करते हैं. उसके इस्तेमाल के बाद इस बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन किया जाए, क्योंकि ये बायोमेडिकल वेस्ट कोरोना संक्रमण का एक बहुत ही हानिकारक जरिया बन सकता है. यह पर्यावरण और मानव के लिए कितना हानिकारक साबित हो सकता है.
पर्यावरण से ज्यादा इंसानों के लिए है खतरनाक
इस बारे में एम्स भोपाल की बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर सेक्रेटरी डॉ देबाशीष विश्वास ने कहा कि कोविड-19 का बायो मेडिकल वेस्ट पर्यावरण से ज्यादा इंसानों के लिए खतरनाक है. यदि कोई व्यक्ति बायो मेडिकल वेस्ट के संपर्क में आता है तो उसे भी इस वायरस का संक्रमण हो सकता है, क्योंकि यह वायरस किसी भी सतह पर काफी लंबे समय तक मौजूद रहता है.
48-72 घंटे जिंदा रहता है वायरस
अध्ययन के मुताबिक यह वायरस एक सतह पर 48 घंटे से 72 घंटे तक जिंदा रहता है. अगर इस बायो मेडिकल वेस्ट को ठीक से निष्पादित नहीं किया जाता है और कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आता है तो वो इस वायरस से संक्रमित हो जाएगा. इसलिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि प्रोटेक्टिव गियर के इस्तेमाल के बाद उसे भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत निष्पादित किया जाए. जिससे ना केवल पर्यावरण बल्कि इंसानों को भी इस कचरे से संक्रमण का खतरा ना हो.
इस्तेमाल के बाद वेस्ट करने की सख्त हिदायत
बता दें कि भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत कोविड-19 के बायो मेडिकल वेस्ट को अस्पताल के सामान्य मेडिकल वेस्ट से अलग रखा जाता है. इसकी प्रक्रिया अस्पताल में ही तीन स्तरों में पूरी होती है. जिससे कोई अन्य व्यक्ति या मेडिकल स्टाफ इसके सीधे संपर्क में ना आए. साथ ही प्रोटेक्टिव गियर इस्तेमाल करने वाले सभी मेडिकल स्टाफ को ये हिदायत दी गई है कि उन्हें केवल एक बार ही इस्तेमाल किया जाए. उसके बाद इसे वेस्ट में डाल दिया जाए. भोपाल के एम्स, हमीदिया अस्पताल और कोविड-19 के सभी सेंटरों में इसी गाइडलाइन के तहत बायो मेडिकल वेस्ट को निष्पादित किया जा रहा है.