भोपाल। राम भक्त हनुमान सभी कष्टों को हरने वाले माने जाते है. कई गुणों के वाहक हैं तभी तो हमारे पुराण इन्हें सकलगुणनिधान भी कहते हैं. जो भी इनकी शरण में आता है वो सबका प्रिय भी हो जाता है. गोस्वामी तुलसीदास भी लिखते हैं- सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ' इसका अर्थ है कि जो भी आपकी शरण में आता है, उन सब लोगों को आनन्द की प्राप्ति होती है. जब आप किसी व्यक्ति के रक्षक बन गए हैं तो फिर उसे किसी और से डरने की क्या जरूरत है. तभी तो इनके नाम का डंका जग में बजता है. कहते हैं इनका व्रत (Mangalwar Vrat ) करने से कुंडली में मौजूद सभी ग्रह शांत हो जाते हैं और इनकी असीम कृपा प्राप्त होती है. आइए बताते हैं आपको अंजनी नंदन की पूजा कैसे करें , व्रत कथा क्या है और इन्हें करने से क्या फल मिलता है.
हनुमान व्रत पूजन विधि (Mangalwar Vrat Pujan Vidhi )
- कहा जाता है कि हनुमानजी का व्रत लगातार 21 मंगलवार तक करना चाहिए.
- मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान वगैरह से निवृत्त होकर सबसे पहले हनुमानजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करें.
- ईशान कोण की दिशा (उत्तर-पूर्व कोने) में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
- गंगाजल के छीटें देकर उनको लाल कपड़ा धारण कराएं.
- पुष्प, रोली और अक्षत के छीटें दें. इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं और तेल की कुछ छीटें मूर्ति या तस्वीर पर डाल दें.
- इसके बाद हनुमानजी को फूल अर्पित करें और अक्षत व फूल हाथ में रखकर उनकी कथा सुनें और हनुमान चालिसा और सुंदरकांड का पाठ भी करें.
- इसके बाद आप भोग लगाएं और अपनी मनोकामना बाबा से कहें और प्रसाद सभी में वितरण कर दें.
- अगर संभव हो सके तो दान जरूर करें.
- शाम के समय भी हनुमान मंदिर जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड का पाठ करें और उनकी आरती करें.
- 21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान के साथ बजरंगबली का पूजा कर उन्हें चोला चढ़ाएं.
- उसके बाद 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें.
हनुमान व्रत का महत्व (Significance of Hanuman Vrat)
- संतान प्राप्ति के लिए हनुमानजी का व्रत फलदायी माना जाता है.
- इस व्रत को करने से भूत-प्रेत और काली शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है.
- मंगलवार का व्रत करने से सम्मान, साहस और पुरुषार्थ बढ़ता है.
मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha)
एक समय की बात है एक ब्राह्मण दंपत्ति प्रेमभाव से साथ-साथ रहते थे लेकिन उनकी कोई संतान ना होने के कारण दुखी रहते थे. ब्राह्मण हर मंगलवार के वन जाकर हनुमानजी की पूजा करने जाता था और संतान की कामना करता था. ब्राह्मण की पत्नी भी हनुमानजी की बहुत बड़ी भक्त थी और मंगलवार का व्रत रखती थी. वह हमेशा मंगलवार के दिन हनुमानजी का भोग लगाकर ही भोजन करती थी. एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी भोजन नहीं बना पाई, जिससे हनुमानजी का भोग नहीं लग सका. तब उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमानजी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी. वह छह दिन तक भूखी-प्यासी रही और मंगलवार के दिन व्रत के दौरान बेहोश हो गई.
ब्राह्मणी की निष्ठा और लगन को देखकर हनुमानजी बहुत प्रसन्न हुए. आशीर्वाद के रूप में एक संतान दी और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा. संतान पाकर ब्राह्मणी बहुत प्रसन्न हुई और उसने बालक का नाम मंगल रखा. कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर आया, तो घर में बच्चे की आवाज सुनाई दी और अपनी पत्नी से पूछा कि आखिर यह बच्चा कौन है? ब्राह्मणी की पत्नी ने कहा कि हनुमानजी ने व्रत से प्रसन्न होकर अपने आशीर्वाद के रूप में यह संतान हम दोनो की दी है. ब्राह्मण को अपनी पत्नी की इस बात पर विश्वास नहीं हुआ. एक दिन जब ब्राह्मणी घर पर नहीं थी तो ब्राह्मण ने मौका देखकर बच्चे को कुएं में गिरा दिया.
जब ब्राह्मणी घर लौटी तो उसने मंगल के बारे में पूछा. तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया और ब्राह्मण बच्चे को देखकर आश्चर्य चकित रह गया. रात को हनुमानजी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह संतान तुम्हारी है. ब्राह्मण सत्य जानकर बहुत खुश हुआ. इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखने लगे. शास्त्रों के अनुसार, जो भी मनुष्य मंगलवार व्रत और कथा पढ़ता या सुनता है, उसे हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है. उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और हनुमानजी की दया के पात्र बनते हैं.