भोपाल। गौरक्षकों को लात मारकर जेल में डाल देना चाहिए. यह बयान कर्नाटक के पंचायत मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक खरगे ने दिया है. इस बयान पर एमपी में बवाल और बयानबाजी शुरू हो गई है. एमपी के होम मिनिस्टर नरोत्तम मिश्रा ने इस बयान को लेकर एक पत्र एमपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि 'मेरे संज्ञान में कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियंक खरगे का एक बयान आया है. जिसमें वे पुलिस अधिकारियों को गौरक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और लात मारने जैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. गौमाता के बारे में इस तरह की घोर निंदनीय व शर्मनाक प्रतिक्रिया से आप क्या सहमत हैं?'
नरोत्तम मिश्रा ने पूछा कमलनाथ से सवाल: नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा कि मैं पूर्व सीएम कमलनाथ को यह पत्र भेज रहा हूं. वे बहुत गौशाला खोलने की बात करते थे. अब इस पर अपनी राय बताएं. कांग्रेस की एक सरकार बनी है. अभी विधेयक वापस हुआ है. बेटियों को लेकर दिए गए बयान के बाद दूसरा बयान पंचायत मंत्री का आ गया है. पत्र लिखकर कमलनाथ से पूछना चाहता हूं कि आपका इस बयान पर क्या कहना है? हालांकि इस मामले में अब तक कांग्रेस की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.
कौन सर्वेसर्वा, यही साफ नहीं: कांग्रेस नेताओं के पोस्टर पॉलिटिक्स के बाद अब फेक फोन की बात सामने आ रही है. कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने एक रिपोर्ट लिखाई है कि उनको फोन पर किसी ने राहुल गांधी का नाम लेकर बुलाया है. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यह क्रिया की प्रतिक्रिया हो रही है. पोस्टर कार्यालय तक आ गए. जब लगा था तभी कहा था कि अब फेक कॉल आ गया. अब इससे समझ सकते हैं कि किस तरह कांग्रेस में एक दूसरे को परेशान करने का सिलसिला चल रहा है. वहीं यह भी साफ नहीं है कि कौन सर्वेसर्वा है?
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कांग्रेस में अंदरूनी कलह: गृह मंत्री ने कहा कि इधर दिग्विजय सिंह खुद कार्यालय का शुभारंभ करने के बाद टिकट बांटते हैं और कहते हैं कि सर्वेसर्वा कमलनाथ हैं. नाम किसी का और काम किसी का. यह कांग्रेस की अंदरूनी कलह है, जो सबके सामने आ रही है. ऊपर से अब कह रहे हैं कि भाजपा के कई कार्यकर्ता उनके संपर्क में हैं. ऐसा ही पहले जब वे सरकार में मुख्यमंत्री थे, तब भी ऐसे ही कहते थे कि कई विधायक संपर्क में हैं. पूरी सरकार खो बैठे और इनके विधायक चले गए. ज्यादा ऐसा कहेंगे तो कही ऐसा ना हो कि कांग्रेस की हवा टूट जाए. ऊपर से दिग्विजय सिंह को न्यायालय पर ही भरोसा नहीं है. चुनाव हार जाए तो ईवीएम पर भी भरोसा नहीं करते हैं. कभी भी ऐसे सवाल उठाते ही रहते हैं. जिससे देश का मान घटे, संवैधानिक संस्थाओं का मान घटे. उनकी नजर में तो जाकिर नाइक ही शांतिदूत है.