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संगठन को सक्रिय करने के लिए कमलनाथ ने खोला पदों का पिटारा, पदाधिकारियों की संख्या हजारों में पहुंची

मध्य प्रदेश में संगठन को मजबूत और सक्रिय करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पदों का पिटारा खोल दिया है, जहां पदाधिकारियों की संख्या अब हजारों में पहुंच गई है.

Kamalnath released various posts
कमलनाथ ने पदाधिकारियों के लिए निकाला पद
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Published : Oct 17, 2020, 10:13 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में जब से कमलनाथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से उन्होंने कार्यकर्ताओं के पदों का पिटारा खोल दिया है. पूरे प्रदेश में सक्रिय और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पद देने के लिए यह कवायद की गई है. इन दिनों विधानसभा उपचुनाव की कशमकश के चलते सरकार गिरने के बाद कमलनाथ लगातार कार्यकर्ताओं को बड़े-बड़े पद देकर खुश कर रहे हैं. खास तौर पर प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, प्रदेश सचिव, प्रवक्ता, कार्यकारी जिला अध्यक्ष जैसे पद भारी संख्या में बांटे जा रहे हैं. स्थिति यह है कि इन पदों की संख्या का अंदाजा अब कांग्रेस को भी नहीं रहा है. वहीं दूसरी तरफ से जिला संगठनों को भी उन्होंने इसी फार्मूले पर काम करने के लिए कहा है.

कमलनाथ ने पदाधिकारियों के लिए निकाला पद
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दरअसल, कमलनाथ कई बार अनौपचारिक चर्चा में यह बात कहती रही हैं कि, अगर कुछ दिन और मध्य प्रदेश के संगठन पर गौर नहीं किया जाता, तो कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह हो गई होती. 1 मई 2018 को कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. उनके अध्यक्ष बनने के साथ-साथ मध्य प्रदेश में चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों की भी ताजपोशी की गई थी, जिनमें बाला बच्चन, जीतू पटवारी, रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी के नाम थे.

2018 विधानसभा की तैयारियों के मद्देनजर कमलनाथ ने भारी संख्या में पदों का वितरण शुरू कर दिया था. सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस के तमाम विभाग, मोर्चा और प्रकोष्ठों की बैठक ली. उसके बाद उन्होंने सभी जिला इकाइयों की बैठक लेकर निर्देश दिए कि, अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा पद बांटो, ताकि वह सक्रिय हो और उत्साह के साथ पार्टी के लिए काम कर सकें. इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की 60 जिला इकाइयों में 4-4 कार्यकारी जिला अध्यक्ष प्रदेश संगठन की तर्ज पर बनाए गए. इसके अलावा प्रभावशाली और वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय करने के लिए कमलनाथ ने उन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव जैसे पद पर बिठाया. इसके अलावा उन्होंने भारी संख्या में प्रवक्ताओं की भी नियुक्ति की.


लॉकडाउन के दौरान कमलनाथ ने अपने शासकीय आवास पर तमाम जिलों के नेताओं की बैठक करके उन्हें फिर से सक्रिय किया. खासकर उन जिलों में जहां उपचुनाव होने वाले है. इस फार्मूले से कमलनाथ ने उन नेताओं को भी सक्रिय कर दिया है, जो पिछले 15 साल में कांग्रेस की सरकार ना होने के चलते निष्क्रिय हो गए थे. कई वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता अब ऊर्जा और उत्साह के साथ काम कर रहे हैं.

प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव के पदाधिकारियों की संख्या का आंकड़ा हजार पार कर चुका है. इसके अलावा प्रदेश सचिव की पद पर भारी संख्या में लोगों की नियुक्तियां की गई है. इनकी संख्या करीब 3 हजार के करीब बताई जा रही है. अकेले भोपाल में 123 प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं. वहीं संभागीय स्तर और जिला स्तर पर मीडिया विभाग का गठन प्रदेश स्तर की तर्ज पर किया गया है. साथ ही कमलनाथ ने अलग-अलग व्यवसाय, जाति और कामकाज के आधार पर भी प्रकोष्ठ का गठन किया है, जिनमें कई लोगों को स्थान दिया गया है.

पढ़े: सीएम शिवराज का कमलनाथ पर तंज, कहा- बंगाल के जादूगर हैं कमलनाथ

कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि, 'प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से बहुत बड़ा प्रदेश है. दूसरी बात मध्य प्रदेश कांग्रेस बहुत ज्यादा सक्रिय है, तो कई वरिष्ठ कांग्रेस जिन्हें पद नहीं मिल पाता है, ऐसे में वरिष्ठता को देखते हुए जरूरत के हिसाब से उन्हें पद दिया जाता है.' पदाधिकारियों की संख्या के सवाल पर राजीव सिंह कहते हैं कि, 'राजनीतिक दल बहुत बड़ा और सक्रिय दल है, तो संख्या सीमित नहीं हैं और ना ही कोई बाध्यता है. अगर कांग्रेस की 60 जिलों की ईकाइयों को देखे, तो वहां हर जगह सक्रिय कार्यकर्ता हैं. निश्चित रूप से 230 विधानसभा हैं. इसलिए सबको संगठन में समावेश करना होता है, जिसकी संख्या निर्धारित नहीं है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में जब से कमलनाथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से उन्होंने कार्यकर्ताओं के पदों का पिटारा खोल दिया है. पूरे प्रदेश में सक्रिय और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पद देने के लिए यह कवायद की गई है. इन दिनों विधानसभा उपचुनाव की कशमकश के चलते सरकार गिरने के बाद कमलनाथ लगातार कार्यकर्ताओं को बड़े-बड़े पद देकर खुश कर रहे हैं. खास तौर पर प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, प्रदेश सचिव, प्रवक्ता, कार्यकारी जिला अध्यक्ष जैसे पद भारी संख्या में बांटे जा रहे हैं. स्थिति यह है कि इन पदों की संख्या का अंदाजा अब कांग्रेस को भी नहीं रहा है. वहीं दूसरी तरफ से जिला संगठनों को भी उन्होंने इसी फार्मूले पर काम करने के लिए कहा है.

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दरअसल, कमलनाथ कई बार अनौपचारिक चर्चा में यह बात कहती रही हैं कि, अगर कुछ दिन और मध्य प्रदेश के संगठन पर गौर नहीं किया जाता, तो कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह हो गई होती. 1 मई 2018 को कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. उनके अध्यक्ष बनने के साथ-साथ मध्य प्रदेश में चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों की भी ताजपोशी की गई थी, जिनमें बाला बच्चन, जीतू पटवारी, रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी के नाम थे.

2018 विधानसभा की तैयारियों के मद्देनजर कमलनाथ ने भारी संख्या में पदों का वितरण शुरू कर दिया था. सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस के तमाम विभाग, मोर्चा और प्रकोष्ठों की बैठक ली. उसके बाद उन्होंने सभी जिला इकाइयों की बैठक लेकर निर्देश दिए कि, अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा पद बांटो, ताकि वह सक्रिय हो और उत्साह के साथ पार्टी के लिए काम कर सकें. इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की 60 जिला इकाइयों में 4-4 कार्यकारी जिला अध्यक्ष प्रदेश संगठन की तर्ज पर बनाए गए. इसके अलावा प्रभावशाली और वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय करने के लिए कमलनाथ ने उन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव जैसे पद पर बिठाया. इसके अलावा उन्होंने भारी संख्या में प्रवक्ताओं की भी नियुक्ति की.


लॉकडाउन के दौरान कमलनाथ ने अपने शासकीय आवास पर तमाम जिलों के नेताओं की बैठक करके उन्हें फिर से सक्रिय किया. खासकर उन जिलों में जहां उपचुनाव होने वाले है. इस फार्मूले से कमलनाथ ने उन नेताओं को भी सक्रिय कर दिया है, जो पिछले 15 साल में कांग्रेस की सरकार ना होने के चलते निष्क्रिय हो गए थे. कई वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता अब ऊर्जा और उत्साह के साथ काम कर रहे हैं.

प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव के पदाधिकारियों की संख्या का आंकड़ा हजार पार कर चुका है. इसके अलावा प्रदेश सचिव की पद पर भारी संख्या में लोगों की नियुक्तियां की गई है. इनकी संख्या करीब 3 हजार के करीब बताई जा रही है. अकेले भोपाल में 123 प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं. वहीं संभागीय स्तर और जिला स्तर पर मीडिया विभाग का गठन प्रदेश स्तर की तर्ज पर किया गया है. साथ ही कमलनाथ ने अलग-अलग व्यवसाय, जाति और कामकाज के आधार पर भी प्रकोष्ठ का गठन किया है, जिनमें कई लोगों को स्थान दिया गया है.

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कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि, 'प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से बहुत बड़ा प्रदेश है. दूसरी बात मध्य प्रदेश कांग्रेस बहुत ज्यादा सक्रिय है, तो कई वरिष्ठ कांग्रेस जिन्हें पद नहीं मिल पाता है, ऐसे में वरिष्ठता को देखते हुए जरूरत के हिसाब से उन्हें पद दिया जाता है.' पदाधिकारियों की संख्या के सवाल पर राजीव सिंह कहते हैं कि, 'राजनीतिक दल बहुत बड़ा और सक्रिय दल है, तो संख्या सीमित नहीं हैं और ना ही कोई बाध्यता है. अगर कांग्रेस की 60 जिलों की ईकाइयों को देखे, तो वहां हर जगह सक्रिय कार्यकर्ता हैं. निश्चित रूप से 230 विधानसभा हैं. इसलिए सबको संगठन में समावेश करना होता है, जिसकी संख्या निर्धारित नहीं है.

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