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ओबीसी का रिजर्वेशन बढ़ाने की तैयारी में कमलनाथ सरकार,  हाई कोर्ट से लगा है स्टे

हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग का आरक्षण 27 प्रतिशत करने का फैसला लिया है. ऐसे में छात्र सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में जल्द ही अवमानना याचिका लगाएंगे.

वकील आदित्य संघी ओबीसी आरक्षण की जानकारी देते हुए
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Published : Jun 7, 2019, 10:22 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद OBC वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी कर ली है. छात्रों की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट का कहना कि वो हाई कोर्ट में जल्द ही अवमानना याचिका लगाएंगे.

वकील आदित्य संघी ओबीसी आरक्षण की जानकारी देते हुए

मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट ने ओबीसी वर्ग का आरक्षण14% से बढ़ाकर 27% करने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. इस फैसले को मॉनसून सत्र में विधानसभा में रखा जाएगा लेकिन इस फैसले को कोर्ट की अवमानना माना जा रहा है. क्योंकि कमलनाथ सरकार ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का अध्यादेश जनवरी में भी लाई थी, जिसके खिलाफ मेडिकल छात्रों ने हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने 1990 की इंदिरा साहनी केस को आधार बनाते हुए राज्य सरकार के अध्यादेश पर स्टे लगा दिया था.

वकील आदित्य संघी बताते हैं कि इंदिरा सहानी केस के फैसले के मुताबिक रिजर्वेशन या आरक्षण किसी भी तरीके से 50% से ज्यादा नहीं दिया जा सकता. अगर प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिया जाता है तो वो 63% के पास पहुंच जाएगा जो कि गलत है. इसलिए कोर्ट ने इस अध्यादेश पर स्टे लगाया था. इसके बाद अब तक ये मामला हाई कोर्ट में 5 बार लग चुका है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई नया दस्तावेज पेश नहीं किया गया.

सरकार ने हाई कोर्ट के सामने जल्द ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में ऑर्डर लेकर आने के लिए कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने ना तो सुप्रीम कोर्ट में कोई आवेदन नहीं किया बल्कि सीधे अध्यादेश को कैबिनेट के सामने रखकर पास कर लिया. आदित्य संघी का कहना है कि छात्र जल्द ही कोर्ट की अवमानना का मामला पेश करेंगे.

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद OBC वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी कर ली है. छात्रों की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट का कहना कि वो हाई कोर्ट में जल्द ही अवमानना याचिका लगाएंगे.

वकील आदित्य संघी ओबीसी आरक्षण की जानकारी देते हुए

मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट ने ओबीसी वर्ग का आरक्षण14% से बढ़ाकर 27% करने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. इस फैसले को मॉनसून सत्र में विधानसभा में रखा जाएगा लेकिन इस फैसले को कोर्ट की अवमानना माना जा रहा है. क्योंकि कमलनाथ सरकार ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का अध्यादेश जनवरी में भी लाई थी, जिसके खिलाफ मेडिकल छात्रों ने हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने 1990 की इंदिरा साहनी केस को आधार बनाते हुए राज्य सरकार के अध्यादेश पर स्टे लगा दिया था.

वकील आदित्य संघी बताते हैं कि इंदिरा सहानी केस के फैसले के मुताबिक रिजर्वेशन या आरक्षण किसी भी तरीके से 50% से ज्यादा नहीं दिया जा सकता. अगर प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिया जाता है तो वो 63% के पास पहुंच जाएगा जो कि गलत है. इसलिए कोर्ट ने इस अध्यादेश पर स्टे लगाया था. इसके बाद अब तक ये मामला हाई कोर्ट में 5 बार लग चुका है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई नया दस्तावेज पेश नहीं किया गया.

सरकार ने हाई कोर्ट के सामने जल्द ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में ऑर्डर लेकर आने के लिए कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने ना तो सुप्रीम कोर्ट में कोई आवेदन नहीं किया बल्कि सीधे अध्यादेश को कैबिनेट के सामने रखकर पास कर लिया. आदित्य संघी का कहना है कि छात्र जल्द ही कोर्ट की अवमानना का मामला पेश करेंगे.

Intro:कमलनाथ सरकार ने हाई कोर्ट की अवमानना करते हुए ओबीसी वर्ग को दिया 27% आरक्षण छात्रों की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट का कहना हाई कोर्ट में लगाएंगे अवमानना याचिका


Body:मध्य प्रदेश सरकार कि कैबिनेट ने ओबीसी को मौजूदा 14% आरक्षण को बढ़ाकर 27% करने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है इस प्रस्ताव को आने वाले मानसून सत्र में विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा लेकिन राज्य सरकार का यह फैसला कानूनी पचड़े में पड़ता हुआ नजर आ रहा है

क्योंकि इसके पहले कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का अध्यादेश जनवरी में भी लाई थी इस अध्यादेश के खिलाफ मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और हाईकोर्ट ने 1990 की इंदिरा साहनी केस को आधार बनाते हुए राज्य सरकार के अध्यादेश पर स्टे लगा दिया था दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रिजर्वेशन या आरक्षण किसी भी तरीके से 50% से ज्यादा नहीं दिया जा सकता जबकि यदि ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिया जाता है तो मध्यप्रदेश में कुल मिलाकर आरक्षण 63% के लगभग हो जाएगा जो सुप्रीम कोर्ट की आदेश के खिलाफ है इसलिए हाईकोर्ट ने इस मामले में स्टे लगा दिया था इसके बाद अब तक यह मामला हाई कोर्ट में 5 बार लग चुका है लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई नया दस्तावेज पेश नहीं किया गया हालांकि उस समय राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के सामने ऐसी पैरवी की थी कि वे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में ऑर्डर लेकर आ जाएंगे लेकिन राज्य सरकार ने ना तो सुप्रीम कोर्ट में कोई आवेदन किया और सीधे अध्यादेश को कैबिनेट के सामने रखकर पास कर लिया हाई कोर्ट में छात्रों की ओर से पैरवी करने वाले वकील आदित्य संघी का कहना है राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है और जैसे ही हाईकोर्ट की छुट्टियों के बाद कोर्ट खुलेंगे तो इस मामले में छात्रों की ओर से हाई कोर्ट की अवमानना का मामला पेश किया जाएगा


Conclusion:पूरे देश में कहीं पर भी आरक्षण 50% से अधिक नहीं दिया गया है जहां भी कोशिश हुई हैं वहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर राज्य सरकारों को अपने पैर पीछे लेने पड़े हैं यहां पर भी यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक नजर आ रहा है यदि कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को अनुमति नहीं दी तो राज्य सरकार के पास ओबीसी के लोगों के लिए जवाब होगा कि हमने तो कोशिश की थी लेकिन न्यायालय ने अनुमति नहीं दी
byte आदित्य संघी एडवोकेट हाई कोर्ट
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