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कमलनाथ सरकार ने तैयार किया राइट टू वाटर एक्ट का ड्राफ्ट, आगामी बजट सत्र में होगा पारित

प्रदेश वासियों को जल्द ही पानी का कानूनी अधिकार मिल सकता है. इसके लिए कमलनाथ सरकार ने राइट टू वाटर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. पीएचई मंत्री के अनुसार इसे आगामी बजट सत्र में पारित किया जाएगा.

draft of right to water act
राइट टू वाटर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार
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Published : Nov 28, 2019, 9:22 PM IST

Updated : Nov 28, 2019, 9:46 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने 'राइट-टू-वाटर' एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा है कि 'राज्य सरकार प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में हर घर नल से जल पहुंचाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है'. उन्होंने बताया कि प्रदेशवासियों को पानी का अधिकार दिलाने के लिये विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में 'राइट-टू-वाटर' एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. विधानसभा के आगामी बजट सत्र में इस एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा.

राइट टू वाटर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार

सुखदेव पांसे ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने पर मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहां लोगों को पानी का कानूनी अधिकार मिलेगा. उन्होंने बताया कि पानी का अधिकार कानून लागू करने के लिये बजट में एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मध्यप्रदेश में 5 करोड़ 88 लाख आबादी ग्रामीण क्षेत्रों निवास करती है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर जब जानकारी एकत्र की गई तो पता चला कि मात्र 12 फीसदी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है. मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर प्रदेश सरकार ने 68 हजार करोड़ रूपये की एक विस्तृत कार्य योजना बनाई है, जिससे प्रदेश के सभी गांवों के प्रत्येक घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

वर्तमान में 19 समूह जल योजनाओं के कार्य पूर्ण कर 802 गांवों की लगभग 11 लाख 45 हजार जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जल सप्लाई शुरू कर दी गई है. इसके अतिरिक्त 6672 करोड़ रुपये लागत की 39 योजनाओं के कार्य प्रगतिरत हैं. इन योजनाओं के कार्य आगामी 2 वर्षों में पूर्ण होना लक्षित हैं, जिससे 6091 ग्रामों की लगभग 64 लाख आबादी लाभान्वित होगी. विभिन्न जिलों के 14510 ग्रामों की 45 समूह जल प्रदाय योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसकी लागत 22484 करोड़ रूपये है.

300 मीटर के दायरे जल स्त्रोत होगा उपलब्ध

पेयजल की उपलब्धता सुलभ करने हेतु नई नीति तैयार की गई है. जिसके अनुसार ऐसी बसाहटों में जिनमें ग्रीष्म ऋतु में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें भी नवीन हैण्डपंप स्थापित किये जाने का प्रावधान, नई नीति में किया गया है. पूर्व की नीति अनुसार किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान था, जिसे कम कर 300 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय जल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. नवीन नीति में हैण्डपंप स्थापना हेतु ग्रामों के चयन में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को प्राथमिकता देने का भी प्रावधान किया गया है, जिससे वंचित तपके को प्राथमिकता के आधार पर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी.

बेहतर पेयजल योजनाओं की बात, आईआईटी दिल्ली के साथ
राज्य की पेयजल योजनाओं की बेहतर प्लानिंग हेतु आईआईटी दिल्ली से अनुबंध किया गया है. समूचे प्रदेश में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक एवं नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु पहल की गई है. न्यू डेवलपमेंट बैंक से विभाग को 4500 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. साथ ही जायका से नीमच तथा मंदसौर जिले के समस्त एवं रतलाम जिले के आलोट विकासखंड के कुल 1735 ग्रामों के लिए समूह पेयजल योजना हेतु ऋण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, इस योजना को अतिशीघ्र आकार दिया जायेगा.

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने 'राइट-टू-वाटर' एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा है कि 'राज्य सरकार प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में हर घर नल से जल पहुंचाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है'. उन्होंने बताया कि प्रदेशवासियों को पानी का अधिकार दिलाने के लिये विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में 'राइट-टू-वाटर' एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. विधानसभा के आगामी बजट सत्र में इस एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा.

राइट टू वाटर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार

सुखदेव पांसे ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने पर मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहां लोगों को पानी का कानूनी अधिकार मिलेगा. उन्होंने बताया कि पानी का अधिकार कानून लागू करने के लिये बजट में एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मध्यप्रदेश में 5 करोड़ 88 लाख आबादी ग्रामीण क्षेत्रों निवास करती है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर जब जानकारी एकत्र की गई तो पता चला कि मात्र 12 फीसदी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है. मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर प्रदेश सरकार ने 68 हजार करोड़ रूपये की एक विस्तृत कार्य योजना बनाई है, जिससे प्रदेश के सभी गांवों के प्रत्येक घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

वर्तमान में 19 समूह जल योजनाओं के कार्य पूर्ण कर 802 गांवों की लगभग 11 लाख 45 हजार जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जल सप्लाई शुरू कर दी गई है. इसके अतिरिक्त 6672 करोड़ रुपये लागत की 39 योजनाओं के कार्य प्रगतिरत हैं. इन योजनाओं के कार्य आगामी 2 वर्षों में पूर्ण होना लक्षित हैं, जिससे 6091 ग्रामों की लगभग 64 लाख आबादी लाभान्वित होगी. विभिन्न जिलों के 14510 ग्रामों की 45 समूह जल प्रदाय योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसकी लागत 22484 करोड़ रूपये है.

300 मीटर के दायरे जल स्त्रोत होगा उपलब्ध

पेयजल की उपलब्धता सुलभ करने हेतु नई नीति तैयार की गई है. जिसके अनुसार ऐसी बसाहटों में जिनमें ग्रीष्म ऋतु में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें भी नवीन हैण्डपंप स्थापित किये जाने का प्रावधान, नई नीति में किया गया है. पूर्व की नीति अनुसार किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान था, जिसे कम कर 300 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय जल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. नवीन नीति में हैण्डपंप स्थापना हेतु ग्रामों के चयन में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को प्राथमिकता देने का भी प्रावधान किया गया है, जिससे वंचित तपके को प्राथमिकता के आधार पर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी.

बेहतर पेयजल योजनाओं की बात, आईआईटी दिल्ली के साथ
राज्य की पेयजल योजनाओं की बेहतर प्लानिंग हेतु आईआईटी दिल्ली से अनुबंध किया गया है. समूचे प्रदेश में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक एवं नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु पहल की गई है. न्यू डेवलपमेंट बैंक से विभाग को 4500 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. साथ ही जायका से नीमच तथा मंदसौर जिले के समस्त एवं रतलाम जिले के आलोट विकासखंड के कुल 1735 ग्रामों के लिए समूह पेयजल योजना हेतु ऋण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, इस योजना को अतिशीघ्र आकार दिया जायेगा.

Intro:भोपाल। कमलनाथ सरकार के पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में हर घर नल से जल पहुँचाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। प्रदेशवासियों को पानी का अधिकार दिलाने के लिये विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में 'राइट-टू-वाटर' एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। विधानसभा के आगामी बजट सत्र में यह एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा। सुखदेव पांसे ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने पर मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहाँ लोगों को पानी का कानूनी अधिकार मिलेगा। उन्होंने बताया कि पानी का अधिकार कानून लागू करने के लिये बजट में एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।Body:कमलनाथ सरकार के मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस बात का गौरव हासिल होने वाला है कि वे देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे। जो अपने प्रदेशवासियों को पानी का कानूनी (राइट-टू-वाॅटर)अधिकार सौंपने जा रहे हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 5 करोड़ 88 लाख आबादी ग्रामीण क्षेत्रों की 128231 बसाहटों में निवास करती है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर जब जानकारी एकत्र की तो पता कि मात्र 12 फीसदी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर हमने 68 हजार करोड़ रूपये की एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी है। जिससे प्रदेश के सभी गांवों के प्रत्येक घरों में हम नल से जल पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्तमान में हमने 19 समूह जल योजनाओं के कार्य पूर्ण कर 802 गांवों की लगभग 11 लाख 45 हजार जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जल प्रदान प्रारंभ कर दिया है। इसके अतिरिक्त 6672 करोड़ रूपये लागत की 39 योजनाओं के कार्य प्रगतिरत हैं। इन योजनाओं के कार्य आगामी 2 वर्षों में पूर्ण होना लक्षित हैं, जिससे 6091 ग्रामों की लगभग 64 लाख आबादी लाभान्वित होगी। हमारे द्वारा विभिन्न जिलों के 14510 ग्रामों की 45 समूह जल प्रदाय योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसकी लागत 22484 करोड़ रूपये है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन से लगभग एक करोड़ आबादी लाभान्वित हो सकेगी।

राईट-टू-वाॅटर - देश में पहली बार पानी का कानूनी अधिकार ।
         
पर्याप्त पानी, पीने योग्य पानी और पहुंच में पानी। इसी मूल मंत्र के साथ हमने राईट-टू-वाॅटर एक्ट का ड्राफ्ट, विषय विशेषज्ञों एवं सभी संबंधित विभागों से सामंजस्य स्थापित कर तैयार किया है। हम आगामी विधानसभा सत्र में इस एक्ट को प्रस्तुत करने की हर संभव कोशिश करेंगे। इस एक्ट के दृष्टिगत इस वित्तीय वर्ष के बजट में भी 1000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। हमारी सरकार द्वारा पेयजल की उपलब्धता सुलभ करने हेतु नई नीति तैयार की गई है। जिसके अनुसार ऐसी बसाहटों में जिनमें ग्रीष्मऋतु में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें भी नवीन हैण्डपंप स्थापित किये जाने का प्रावधान नई नीति में किया है। पूर्व की नीति अनुसार किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान था, जिसे कम कर 300 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान भी नवीन नीति में किया गया है, जिससे हमारी माताओं-बहिनों को पेयजल के लिये दूर तक नहीं जाना पड़ेगा। नवीन नीति में हैण्डपंप स्थापना हेतु ग्रामों के चयन में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को प्राथमिकता देने का भी प्रावधान किया गया है जिससे वंचित तपके को प्राथमिकता के आधार पर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

Conclusion:बेहतर पेयजल योजनाओं की बात,आईआईटी दिल्ली के साथ ।

राज्य की पेयजल योजनाओं की बेहतर प्लानिंग हेतु आईआईटी दिल्ली से अनुबंध किया गया है। समूचे प्रदेश में पेेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक एवं नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु पहल की गई है। न्यू डेवलपमेंट बैंक से विभाग को 4500 करोड़ रूपये की योजनाओं की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। साथ ही जायका से नीमच तथा मंदसौर जिले के समस्त एवं रतलाम जिले के आलोट विकासखंड के कुल 1735 ग्रामों के लिए समूह पेयजल योजना हेतु ऋण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, इस योजना को अतिशीघ्र आकार दिया जायेगा।



उपलब्धियों भरा साल-बेमिसाल:-
साथियों, इतना ही नहीं अब तक हमने बीते 11 माह में 6 हजार से अधिक नवीन हैण्डपंप स्थापित किये है, 600 से अधिक नवीन नलजल योजनाओं के कार्य पूर्ण कराकर इन योजनाओं से पेयजल प्रदाय प्रारंभ कर दिया गया है, 6 हजार 7 सौ से अधिक सिंगल फेस मोटर पंप भी स्थापित किये हैं, पूर्व सरकार की लगभग 3 हजार बंद नल-जल योजनाआंे को भी पुनः चालू किया है। पूर्व सरकार के समय बंद हैण्डपंपांे को भी एक विशेष अभियान चलाकर 3 लाख 12 हजार से अधिक हैण्डपंपों में सुधार कर पुनः चालू किया गया है। वहीं 65 हजार से अधिक हैण्डपंपों में लगभग 3.50 लाख मीटर राईजर पाईप बढ़ाकर/ बदल कर हैण्डपंपों को सतत् रूप से चालू रखा गया है।


Last Updated : Nov 28, 2019, 9:46 PM IST
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