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औरंगाबाद हादसे पर कमलनाथ का बयान, कहा- लापरवाही की भेंट चढ़े मजदूर

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Published : May 8, 2020, 11:04 PM IST

औरंगाबाद हादसे को लेकर एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने बयान जारी कर कहा कि 16 मजदूरों की मौत एक दुर्घटना नहीं होकर बल्कि ये मजदूर लापरवाही की भेंट चढ़े हैं.

Kamal Nath's statement on Aurangabad accident
औरंगाबाद हादसे पर कमलनाथ का बयान

भोपाल। औरंगाबाद हादसे को लेकर एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मध्यप्रदेश के शहडोल और उमरिया जिले के मजदूर भाइयों के साथ हुई रेल दुर्घटना बेहद दुखद है. इसमें 16 लोगों की मौत हुई है और कई मजदूर भाई घायल हैं.

उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से कई दिनों से यह मांग कर रहा हूं कि कोरोना महामारी के लॉकडाउन के कारण प्रदेश के हमारे हजारों मजदूर भाई जो विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं, उन्हें लाने के लिए सरकार तत्काल आवश्यक सभी प्रबंध करे.

सरकार उन्हें अपने साधनों से वापस प्रदेश लेकर आए. कांग्रेस इस संबंध में बार-बार केंद्र की सरकार से भी यही मांग कर रही थी कि इन मज़दूर भाइयों के लिये विशेष ट्रेन चलाई जाए. करीब 1 महीने बाद केंद्र सरकार ने निर्णय लिया और मजदूरों के लिए विशेष ट्रेन चलाने की घोषणा की.

उस समय यह कहा गया कि मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया जाएगा, राज्य सरकारें उसका भुगतान करेंगी. बाद में 85 फीसदी केंद्र सरकार और 15% राज्य सरकार के देने की बात भी सामने आई. लेकिन उसके बाद भी हमने देश भर में वह तस्वीरें देखीं, जिसमें मजदूरों से आने का किराया वसूला गया.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह निर्णय लिया कि इन मजदूरों का किराया कांग्रेस वहन करेगी. प्रदेश में भी हमने सीएम शिवराज को पत्र लिखकर मजदूरों की जानकारी मांगी और उनका किराया वहन करने की जानकारी उन्हें दी.

शिवराज सरकार मजदूरों को लाने के भले जितने भी बड़े-बड़े दावे करें, अभी तक एक लाख मजदूरों को वापस लाने की बात कहें. लेकिन सच्चाई इसके पूरी तरह विपरीत है. आज भी प्रदेश की सीमाएं, प्रदेश के राजमार्ग देख लें, मजदूरों से भरे पड़े हैं.

सिर्फ़ दावे जरूर बड़े-बड़े किये जा रहे हैं. सैकड़ों स्वयंसेवी संगठन प्रदेश की सीमाओं पर और विभिन्न राजमार्गों पर मजदूरों को अपने अपनी ओर से खाना खिला रहे हैं. कोई उन्हें धूप से बचने के लिये चप्पले भेंट कर रहा है, कोई पानी पिला रहा है, यह तस्वीरें हम रोज देख रहे हैं. सरकार के कोई इंतजाम नहीं हैं.

कमलनाथ ने सीएम शिवराज से अपील करते हुए कहा कि वह वल्लभ भवन छोड़कर जरा प्रदेश की सीमाओं पर और इन राजमार्गों पर एक बार जाकर इन मजदूरों की स्थिति अपनी आंखों से तो देख लें, तो शायद उनकी सरकार के अभी तक के सारे दावों की वास्तविकता उन्हें खुद पता चल जाएगी.

आज रेल दुर्घटना में हुई 16 मजदूरों की मौत एक दुर्घटना नहीं होकर बल्कि यह मज़दूर लापरवाही की भेंट चढ़े हैं. यदि पूर्व में ही हमारी मांग पर ठोस कार्य योजना बना ली जाती तो हमारे मजदूर भाइयों कि इस तरह दुखद मौत नहीं होती.

भोपाल। औरंगाबाद हादसे को लेकर एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मध्यप्रदेश के शहडोल और उमरिया जिले के मजदूर भाइयों के साथ हुई रेल दुर्घटना बेहद दुखद है. इसमें 16 लोगों की मौत हुई है और कई मजदूर भाई घायल हैं.

उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से कई दिनों से यह मांग कर रहा हूं कि कोरोना महामारी के लॉकडाउन के कारण प्रदेश के हमारे हजारों मजदूर भाई जो विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं, उन्हें लाने के लिए सरकार तत्काल आवश्यक सभी प्रबंध करे.

सरकार उन्हें अपने साधनों से वापस प्रदेश लेकर आए. कांग्रेस इस संबंध में बार-बार केंद्र की सरकार से भी यही मांग कर रही थी कि इन मज़दूर भाइयों के लिये विशेष ट्रेन चलाई जाए. करीब 1 महीने बाद केंद्र सरकार ने निर्णय लिया और मजदूरों के लिए विशेष ट्रेन चलाने की घोषणा की.

उस समय यह कहा गया कि मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया जाएगा, राज्य सरकारें उसका भुगतान करेंगी. बाद में 85 फीसदी केंद्र सरकार और 15% राज्य सरकार के देने की बात भी सामने आई. लेकिन उसके बाद भी हमने देश भर में वह तस्वीरें देखीं, जिसमें मजदूरों से आने का किराया वसूला गया.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह निर्णय लिया कि इन मजदूरों का किराया कांग्रेस वहन करेगी. प्रदेश में भी हमने सीएम शिवराज को पत्र लिखकर मजदूरों की जानकारी मांगी और उनका किराया वहन करने की जानकारी उन्हें दी.

शिवराज सरकार मजदूरों को लाने के भले जितने भी बड़े-बड़े दावे करें, अभी तक एक लाख मजदूरों को वापस लाने की बात कहें. लेकिन सच्चाई इसके पूरी तरह विपरीत है. आज भी प्रदेश की सीमाएं, प्रदेश के राजमार्ग देख लें, मजदूरों से भरे पड़े हैं.

सिर्फ़ दावे जरूर बड़े-बड़े किये जा रहे हैं. सैकड़ों स्वयंसेवी संगठन प्रदेश की सीमाओं पर और विभिन्न राजमार्गों पर मजदूरों को अपने अपनी ओर से खाना खिला रहे हैं. कोई उन्हें धूप से बचने के लिये चप्पले भेंट कर रहा है, कोई पानी पिला रहा है, यह तस्वीरें हम रोज देख रहे हैं. सरकार के कोई इंतजाम नहीं हैं.

कमलनाथ ने सीएम शिवराज से अपील करते हुए कहा कि वह वल्लभ भवन छोड़कर जरा प्रदेश की सीमाओं पर और इन राजमार्गों पर एक बार जाकर इन मजदूरों की स्थिति अपनी आंखों से तो देख लें, तो शायद उनकी सरकार के अभी तक के सारे दावों की वास्तविकता उन्हें खुद पता चल जाएगी.

आज रेल दुर्घटना में हुई 16 मजदूरों की मौत एक दुर्घटना नहीं होकर बल्कि यह मज़दूर लापरवाही की भेंट चढ़े हैं. यदि पूर्व में ही हमारी मांग पर ठोस कार्य योजना बना ली जाती तो हमारे मजदूर भाइयों कि इस तरह दुखद मौत नहीं होती.

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