भोपाल। जब से मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बनी है, तब से शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए कामकाज की जांच की जा रही है. अब कमलनाथ सरकार शासकीय आवासों के आवंटन की जांच की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार को शिकायत मिली है कि पिछले 15 सालों में शासकीय आवासों का आवंटन अपात्र व्यक्तियों को मनमाने तरीके से किया गया है.
इसी वजह से कमलनाथ सरकार ने फैसला लिया है कि अब वह डोर टू डोर सर्वे कराकर सरकारी आवास के आवंटन की जांच करेगी और अपात्र व्यक्तियों को हुए मकान आवंटन पर कार्रवाई करेगी. शासकीय आवास के आवंटन के मामले में हाईकोर्ट के साफ निर्देश हैं, इसके बावजूद राजधानी भोपाल में सरकारी आवासों पर अपात्र लोगों के कब्जे की कई शिकायतें सरकार को मिली हैं.
इस तरह की मिली शिकायत
कई अपात्र व्यक्तियों के अलावा अपात्र गैर सरकारी संगठन और दूसरी संस्थाओं को शासकीय आवास का आवंटन किया गया है. कई शिकायतें तो ऐसी हैं कि आवंटन किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर है, लेकिन वहां रह कोई और रहा है. इसके अलावा कई संगठन और व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्होंने अपने नाम पर शासकीय आवास तो आवंटित करा लिया और उसके बाद आवास पर ताला लगाकर गायब हैं.
डोर टू डोर होगा सर्वे
इस तरह की कई शिकायतों को देखते हुए कमलनाथ सरकार ने फैसला किया है कि अब सरकारी आवासों के आवंटन का डोर टू डोर सर्वे कराया जाएगा और इन आवासों में रहने वाले व्यक्तियों की जांच पड़ताल की जाएगी. अगर आवंटन गलत पाया गया, तो तत्काल इसे निरस्त किया जाएगा और अगर कोई अनियमितता पाई गई, तो उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. सरकार अपात्र व्यक्तियों और संस्थाओं से जुर्माना भरवाने की भी तैयारी कर रही है.
कांग्रेस ने सख्त कार्रवाई की मांग की
सरकार के इस कदम को मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत उचित ठहरा रहे हैं. रामनिवास रावत का कहना है कि बीजेपी ने कई अपात्र व्यक्तियों की ही नहीं बल्कि कई ऐसे एनजीओ और संगठनों के नाम पर बंगले दिए हैं, जिनका कहीं अता-पता तक नहीं है. रामनिवास रावत का कहना है कि पिछले 15 सालों में जितने भी बंगलों का आवंटन व्यक्तियों या संस्थाओं के अलावा जिन-जिन को हुआ है, उनकी जानकारी सरकार को एकत्रित करनी चाहिए और अनियमित तरीके से हुए आवंटनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.