भोपाल। उपभोक्ता संरक्षण दिवस के मौके पर प्रदेश के कांग्रेस कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कांग्रेस पदाधिकारियों, उपभोक्ता जानकारों ने वहां मौजूद जनसमुदाय को उपभोक्ता कानून की जानकारी दी. साथ ही बताया कि प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने के बाद खाली पड़ी उपभोक्ता अदालतों को मजबूत किया गया और लोगों को न्याय मिले इसके लिए शक्तिशाली बनाया जा रहा है.
कब हुआ उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू
बता दें 24 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने अपने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम देश की जनता को उपहार में दिया था. इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के उपभोक्ता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हरिशंकर शुक्ला ने बताया कि 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था. जो विश्व में अपनी तरह का एक अलग कानून है. उन्होंने बताया की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का सपना था जिसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साकार किया था. साथ ही कहा था कि देश में ऐसा कानून हो जो लोगों को सच्चा और सुलभ न्याय दिला सकें.
जाने क्या है उपभोक्ता संरक्षण कानून
हरिशंकर शुक्ला ने कहा कि आज उपभोक्ता संरक्षण कानून परिपक्व हो गया है, जिसमें उपभोक्ताओं को सभी अधिकार दिया गया है. उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक किसी प्रकार की गड़बड़ी, ठगी और बेइमानी होती है, तो उसका निराकरण उपभोक्ता कानून के माध्यम से किया जाएगा. इसके लिए त्रिस्तरीय प्रणाली बनाई गई है. जिला उपभोक्ता फोरम में एक करोड़ तक की सुनवाई होगी, 10 करोड़ तक की सुनवाई राज्य उपभोक्ता फोरम में होगी और इसके ऊपर राष्ट्रीय आयोग में होती है.
उपभोक्ता अदालतों से संबंधित अपील हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नहीं सुन सकता है. इस कानून की सबसे बड़ी व्यवस्था ये है कि किसी अन्य कानून में पीड़ित को न्याय नहीं मिलता है. इस कानून में उपभोक्ता को मुआवजा के तौर पर राहत राशि मिलती है. साथ ही 90 दिन के अंदर फैसले का प्रावधान है.
हरिशंकर शुक्ला का कहना है कि मध्य प्रदेश में पिछले 15 साल से उपभोक्ता अदालतें शून्य पड़ी थी, जज नहीं थे, लेकिन सीएम कमलनाथ ने एक आदेश किया कि हर उपभोक्ता अदालतों में न्याय प्रणाली चालू हो और 90 दिनों के अंदर सुनवाई और फैसला दिया जाए. जिसके बाद ये प्रक्रिया मध्य प्रदेश में लागू हो गई है.