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Kalashtami July 2021: होती है भैरव देव की पूजा, व्रती हैं तो भूल कर भी न करें ये काम!

आषाढ़ मास की कालाष्टमी (Kalashtami july 2021) पर दंडपाणि भैरव देव की उपासना की जाती है. भैरव जो भय को हरते हैं. इस दिन भैरव देव के साथ ही भगवान शिव शंकर की पूजा का भी विधान है. व्रतियों के लिए कुछ खास नियम भी हैं. कहा जाता है कि अगर इन 'कुछ खास नियमों' को निभाया तो भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है.

kalashtami 2021
कालाष्टमी 2021
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Published : Jul 1, 2021, 7:10 AM IST

भोपाल। कालाष्टमी (Kalashtami July 2021) भगवान शिव के विग्रह रूप भैरव देव (Bhairav Dev) की उपासना का पर्व है. इस दिन भगवान भैरव देव (Bhairav Dev) की पूजा विधि-विधान से की जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है और आषाढ़ मास का कालाष्टमी व्रत 1 जुलाई को है. भैरव देव, भगवान शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं. भैरव देव अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं. इस व्रत से किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है. साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं.

कौन हैं भैरव देव? (Who is Bhairav Dev)

भैरव का अर्थ होता है भय को हर के जगत की रक्षा करने वाला. ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है. इनकी शक्ति का नाम है 'भैरवी गिरिजा है, जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं. इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है. कालभैरव के साथ शिवलिंग की भी पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव और काल भैरव प्रसन्न होते हैं.

दंडपाणि काल भैरव (Kal Bhairav)

कहा जाता है कि भगवान भैरव जी से काल भी भयभीत रहता है इसलिए इन्हें काल भैरव एवं हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण इन्हें दंडपाणि भी कहा जाता है. इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है.

जन्म जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति (Get Rid Of Sins)

नंदीश्वर भी कहते हैं कि जो शिव भक्त शंकर के भैरव रूप की आराधना नित्य प्रति करता है उसके जन्म-जन्मों में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं. इनके स्मरण और दर्शन मात्र से ही प्राणी के सब दुःख दूर होकर वह निर्मल हो जाता है. मान्यता है कि इनके भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता.

इस दिन करें ये उपाय (Upay On Kalashtami)

कालिका पुराण के अनुसार भैरव जी का वाहन श्वान यानी कुत्ता है इसलिए विशेष रूप से इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से भैरव के कृपा पात्र बनते हैं. ऐसा करने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ आर्थिक तंगी की समस्या से भी राहत मिलती है. भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कालभैवाष्टक का पाठ करना चाहिए,ऐसा करने से आदि-व्याधि दूर होती है.

अगर कर रहें हैं व्रत तो भूलकर भी न करें ये काम (Kalashtami Puja 2021)

  • भक्त को झूठ नहीं बोलना चाहिए. इससे भक्त को नुकसान हो सकता है.
  • कालाष्टमी व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.
  • इस दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए.
  • कालाष्टमी व्रत को नमक भी नहीं खाना चाहिए. शरीर में नमक की कमी महसूस हो तो काला नमक का सेवन करना चाहिए.
  • काल भैरव की पूजा किसी के नाश के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
  • गृहस्थ जीवन में भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. बल्कि बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए. इनकी पूजा सौम्य मानी जाती है.

कालाष्टमी, शुभ मुहूर्त 1 जुलाई 2021(Shubh Muhurat Of Kalashtami 2021)

अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 01 जुलाई 2021, दोपहर 02:01 बजे.

अष्टमी तिथि समापन: 02 जुलाई 2021, दोपहर 03:28 बजे.

भोपाल। कालाष्टमी (Kalashtami July 2021) भगवान शिव के विग्रह रूप भैरव देव (Bhairav Dev) की उपासना का पर्व है. इस दिन भगवान भैरव देव (Bhairav Dev) की पूजा विधि-विधान से की जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है और आषाढ़ मास का कालाष्टमी व्रत 1 जुलाई को है. भैरव देव, भगवान शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं. भैरव देव अपने भक्तों के सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं. इस व्रत से किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है. साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं.

कौन हैं भैरव देव? (Who is Bhairav Dev)

भैरव का अर्थ होता है भय को हर के जगत की रक्षा करने वाला. ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है. इनकी शक्ति का नाम है 'भैरवी गिरिजा है, जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं. इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है. कालभैरव के साथ शिवलिंग की भी पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव और काल भैरव प्रसन्न होते हैं.

दंडपाणि काल भैरव (Kal Bhairav)

कहा जाता है कि भगवान भैरव जी से काल भी भयभीत रहता है इसलिए इन्हें काल भैरव एवं हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण इन्हें दंडपाणि भी कहा जाता है. इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है.

जन्म जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति (Get Rid Of Sins)

नंदीश्वर भी कहते हैं कि जो शिव भक्त शंकर के भैरव रूप की आराधना नित्य प्रति करता है उसके जन्म-जन्मों में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं. इनके स्मरण और दर्शन मात्र से ही प्राणी के सब दुःख दूर होकर वह निर्मल हो जाता है. मान्यता है कि इनके भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता.

इस दिन करें ये उपाय (Upay On Kalashtami)

कालिका पुराण के अनुसार भैरव जी का वाहन श्वान यानी कुत्ता है इसलिए विशेष रूप से इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से भैरव के कृपा पात्र बनते हैं. ऐसा करने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ आर्थिक तंगी की समस्या से भी राहत मिलती है. भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कालभैवाष्टक का पाठ करना चाहिए,ऐसा करने से आदि-व्याधि दूर होती है.

अगर कर रहें हैं व्रत तो भूलकर भी न करें ये काम (Kalashtami Puja 2021)

  • भक्त को झूठ नहीं बोलना चाहिए. इससे भक्त को नुकसान हो सकता है.
  • कालाष्टमी व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.
  • इस दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए.
  • कालाष्टमी व्रत को नमक भी नहीं खाना चाहिए. शरीर में नमक की कमी महसूस हो तो काला नमक का सेवन करना चाहिए.
  • काल भैरव की पूजा किसी के नाश के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
  • गृहस्थ जीवन में भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. बल्कि बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए. इनकी पूजा सौम्य मानी जाती है.

कालाष्टमी, शुभ मुहूर्त 1 जुलाई 2021(Shubh Muhurat Of Kalashtami 2021)

अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 01 जुलाई 2021, दोपहर 02:01 बजे.

अष्टमी तिथि समापन: 02 जुलाई 2021, दोपहर 03:28 बजे.

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