भोपाल में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने एक बार फिर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. जूडा ने कहा है कि एक महीने पहले 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार ने भरोसा दिया था लेकिन आजतक मांगों पर कुछ नहीं हुआ है इसलिये अगर 30 मई तक मांगों नहीं मानी गई हैं तो 31 तारीख से इमरजेंसी सेवाएं बंद करेंगे और 1 जून से कोरोना की सेवाएं भी बंद करेंगे. बता दें कि स्टायपेंड प्रशस्ति पत्र, बॉन्ड से संबंधित समेत 6 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने लेटर लिखा है.
जूनियर डॉक्टर सरकार के खिलाफ लामबंद
कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के बाद अब प्रदेश के जूनियर डॉक्टर सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. जूनियर डॉक्टरों ने शनिवार शाम सरकार को हड़ताल पर जाने की चेतावनी देते हुए पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि सरकार के कहने पर उन्होंने पहले भी हड़ताल स्थगित की थी. लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. ऐसे में एक बार फिर वह हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मीना का कहना है कि इन्होंने अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर पहले भी सरकार को अवगत कराया था. लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. बता दें कि 6 सूत्रीय मांगों में सबसे प्रमुख मांग स्टाइपेंड की है. साथ ही इनको कोरोना काल मे किए जाने वाले कार्यों को लेकर एक सरकारी दस्तावेज के रूप में प्रशस्ति पत्र चाहिए जो इनके जीवन में आगे भी काम आए . वहीं उन्होने 1 साल के बॉन्ड को भरने पर भी ऐतराज जताया है. साथ ही जल्द से जल्द एग्जाम हो इसके लिए भी सरकार से गुजारिश की है.
हाईलाइट्स
- जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने दी चेतावनी
- 30 मई तक लिखित में नहीं मानी मांगें तो फिर करेंगे प्रदेश में हड़ताल
- 23 दिन पहले मिला था सरकार से आश्वासन
- पहले भी कई बार कर चुके हैं मांगों के लिए प्रदर्शन
- 30 तारीख तक का दिया है सरकार को समय
- 31 तारीख से इमरजेंसी सेवाएं करेंगे बंद
- 1 जून से कोरोना की सेवाएं भी करेंगे बंद
- सरकार को लिखा चेतावनी भरा पत्र
- 6 सूत्रीय मांगों का अभी तक नहीं हुआ है निराकरण
- स्टायपेंड प्रशस्ति पत्र और बॉन्ड से संबंधित हैं मांगें
फिलहाल तो जूनियर डॉक्टर सरकार को दिए अपने पत्र का क्या जवाब आता है उसका इंतजार कर रहे हैं. लेकिन एक बात साफ है कि एक ओर कोरोना महामारी का प्रकोप तो दूसरी ओर स्वास्थ्य कर्मचारी बार-बार हड़ताल पर जाकर सरकार पर भी मानसिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. फ़िलहाल देखना होगा कि सरकार इनको भी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की तरह मना पाती है या नहीं.