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इंदौर में कोरोना से हुई रेसिडेंट डॉक्टर की मौत, जूडा ने उठाई जांच की मांग - जूडा

राजधानी भोपाल में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने इंदौर डॉक्टर की संक्रमण से हुई मौत के मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को पत्र लिखा है.

Juda demands for investigation
रेसिडेंट डॉक्टर की मौत पर जूडा ने जांच की मांग
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Published : Sep 12, 2020, 7:49 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत सभी जूनियर डॉक्टर्स अपने सीनियर्स के साथ ड्यूटी कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान कई जूनियर डॉक्टर्स संक्रमित भी हो चुके है, जिसमें इंदौर के अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के रेसिडेंट डॉक्टर की संक्रमण से मौत दर्ज की गई हैं. अब इसे लेकर प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को पत्र लिखा है.

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का कहना है कि मृतक डॉक्टर के इलाज में लापरवाही की गई है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. पत्र में मृतक डॉक्टर के मामले का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि डॉक्टर ड्यूटी के दौरान ही कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे. सिटी स्कैन की रिपोर्ट में साफ तौर पर पाया गया था कि उनके फेफड़ों में 35 से 40 फीसदी तक इंफेक्शन फैल चुका है, जिसके बाद एक सितंबर को उन्हें भर्ती किया गया, पर उनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी डॉक्टर में कोरोना वायरस के सारे लक्षण थे. लगातार हालत गंभीर होने की वजह से सात सितंबर को उनकी मौत हो गई.

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की मांग है कि स्वर्गीय डॉक्टर को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए. उनकी फैमिली को 50 लाख रुपए तक का मुआवजा भी दिया जाए. इसके साथ ही पूरे मामले की जांच की जाए, ताकि मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सकें. वहीं अगर इलाज में कहीं लापरवाही हुई है, तो उसे भी सामने लाया जाए.

भोपाल। कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत सभी जूनियर डॉक्टर्स अपने सीनियर्स के साथ ड्यूटी कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान कई जूनियर डॉक्टर्स संक्रमित भी हो चुके है, जिसमें इंदौर के अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के रेसिडेंट डॉक्टर की संक्रमण से मौत दर्ज की गई हैं. अब इसे लेकर प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को पत्र लिखा है.

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का कहना है कि मृतक डॉक्टर के इलाज में लापरवाही की गई है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. पत्र में मृतक डॉक्टर के मामले का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि डॉक्टर ड्यूटी के दौरान ही कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे. सिटी स्कैन की रिपोर्ट में साफ तौर पर पाया गया था कि उनके फेफड़ों में 35 से 40 फीसदी तक इंफेक्शन फैल चुका है, जिसके बाद एक सितंबर को उन्हें भर्ती किया गया, पर उनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी डॉक्टर में कोरोना वायरस के सारे लक्षण थे. लगातार हालत गंभीर होने की वजह से सात सितंबर को उनकी मौत हो गई.

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की मांग है कि स्वर्गीय डॉक्टर को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए. उनकी फैमिली को 50 लाख रुपए तक का मुआवजा भी दिया जाए. इसके साथ ही पूरे मामले की जांच की जाए, ताकि मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सकें. वहीं अगर इलाज में कहीं लापरवाही हुई है, तो उसे भी सामने लाया जाए.

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