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International Tiger Day 2023: मां से अलग हुए 5 माह के शावक, तो फैंसिंग फांदकर बच्चों से मिलने पहुंचता है पिता बाघ... ऐसा देख टाइगर एक्सपर्ट भी आश्चर्यचकित

हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है पूरे दुनिया में लगातार घटती बाघों की आबादी पर नियंत्रण करना. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा कहानी जिसमें शावकों के पास मां के ना होने पर उनका बायोलॉजिकल पिता(बाघ) उनकी परवरिश कर रहा है.

International Tiger Day
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस
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Published : Jul 29, 2023, 6:12 AM IST

Updated : Jul 29, 2023, 1:12 PM IST

International Tiger Day 2023: बाघों के व्यवहार को जितना भी समझा जाए उतना कम हैं. बाघों की दुनिया में आमतौर पर माना जाता है कि शावकों को पालने की भूमिका बाघिन निभाती है, लेकिन मध्यप्रदेश में एक बार फिर बाघ अपने व्यवहार से जानकारों को आश्चर्य में डाल रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2023 पर आपको बताते हैं एक ऐसे बाघ की कहानी, जो मां से बिछड़े अपने दोनों नन्हें शावकां की लगातार निगरानी कर रहा है. 3 से 4 दिन में यह बाघ करीब 7 फीट की चैनल फैसिंग लांघ कर अपने बच्चों से मिलने पहुंच जाता है, यह कहानी मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की है.

ऐसे शावकों से बिछड़ी मां: पन्ना टाइगर रिजर्व से इस साल बाघिन पी-234 के दो शावकों के जन्म की खुशखबरी आई थी, कई पर्यटकों ने बाघिन के शावकों के साथ अठखेलियां करते हुए देखा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन को दोनों पैरों से घिसट कर चलते हुए देखा. पार्क प्रबंधन ने बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर उसका इलाज शुरू किया, लेकिन सुधार न होते देख 10 जून को बाघिन को इलाज के लिए वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल भेज दिया गया.

शावकों को आई परेशानियां: बाघिन के भोपाल जाने के बाद सबसे बड़ी मुश्किल इस बाघिन के दो शावकों को लेकर हुई, क्योंकि इनकी उम्र महज 5 माह थी. पन्ना टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर बृजेश झा कहते हैं कि "आमतौर पर ऐसी स्थिति में शावकों को चिड़िया घर में भेज दिया जाता है, लेकिन वह पूरी उम्र जू में ही रहना पड़ता, इसलिए हमने उसे जंगल के लिए तैयार करने का निर्णय लिया."

शावकों से दूर हुई मां तो पिता करता है निगरानी: दोनों शावकों की उम्र 5 माह की है, एक साल तक शावक शिकार करने के योग्य नहीं होते, इन्हें दूसरे जानवरों से खतरे को देखते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व में 2 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बाड़ा बनाकर दोनों शावकों को इसमें रख दिया गया. नाम न बताने की शर्त पर टाइगर रिजर्व टीम के एक सदस्य बताते हैं कि "बच्चों से बाघिन दूर हुई तो अब इन दोनों शावकों का बायोलॉजिकल पिता इनकी वैसी ही निगरानी कर रहा है, जैसे कोई मां करती है. बाघ अपने दोनों शावकों से मिलने के लिए 3 से 4 दिन में यहां पहुंचता है, बाड़े में करीब 6 से 7 फीट की चैनल फैंसिंग भी है लेकिन बाघ उसे लांघकर अंदर पहुंच जाता है. बाड़े में लगाए गए कैमरे में लगातार बाघ के फुटेज कैप्चर हो रहे हैं, पहले इस बाड़े के नजदीक दो तेंदुए भी घूमते थे, लेकिन खतरे को भांप कर बाघ ने इन दोनों तेंदुए को भी यहां से खदेड़ दिया है."

1 साल का होने पर शावकों को बाड़े से बाहर किया जाएगा: पन्ना टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी बताते हैं कि "यह एक अच्छा संकेत है, क्योंकि ऐसी स्थिति में शावकों को पालकर बढ़ा करने में सबसे बड़ी चुनौती इन शावकों को वाइल्ड बनाने की होती है. यह काम उनकी मां करती है, उनके साथ ही रहकर शावक जंगल में शिकार करना और उन्हीं की तरह खूंखार बन पाते हैं. हालांकि बच्चे अभी 5 माह के हैं, यह खुद शिकार नहीं कर सकते इसलिए डॉक्टर की निगरानी में इन्हें 2 से 3 दिन में खाना दिया जाता है. 1 साल के होने के बाद इन्हें सही मायने में अपनी मां की जरूरत महसूस होगी, जब यह शिकार करना सीखते हैं. लेकिन हमें खुशी है कि इनका बायोलॉजिकल पिता लगातार इनकी निगरानी कर रहा है. 1 साल का होने पर इन्हें बाड़े से बाहर कर दिया जाएगा, तब यह अपने पिता के साथ रहकर शिकार करना सीखेंगे. वैसे आमतौर पर ऐसा नहीं होता, लेकिन यह दूसरा मौका है, जब पन्ना टाइगर रिजर्व में ऐसा देखने को मिल रहा है."

शावकों की चौबीस घंटे निगरानी: शावकों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे निगरानी की जा रही है, इसके लिए बाड़े में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. निगरानी के लिए 2 शिफ्टों में कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है, शावकों की हर फोटो ली जाती है. अगर फोटो ग्राफ में न आएं तो इनके पगमार्क देखे जाते हैं, साथ ही यह भी देखा जाता है कि किसी दूसरे जानवर के पगमार्क तो यहां नहीं हैं. पूर्व में यह वाइल्ड लाइफ सफारी का रास्ता था, लेकिन इस बाड़े के आसपास से गुजरने वाले रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यहां बाहरी लोगों के आने पर सख्ती से रोक लगाई गई है.

Must Read:

पन्ना में पहले भी बाघ पिता पाल चुका 4 शावक: वैसे देश के अन्य टाइगर रिजर्व के मामले में यह अनोखा मामला हो, लेकिन मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में ऐसा पहले भी हो चुका है. करीब 2 साल पहले पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन पी-213 (32) की मौत हो गई थी, उसके चार शावक थे. इसके बाद शावकों के बायोलॉजिकल पिता ने मां की भूमिका निभाई, बाघ इन शावकों के लिए शिकार कर उनके भोजन की व्यवस्था करता था, जो आमतौर पर बाघिन करती है. बाघ के साथ रहकर ही इन शावकों ने शिकार करना सीखा. रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी सुदेश बाघमारे कहते हैं कि "पन्ना में बाघ के मां की भूमिका निभाने इन शावकों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की जरूरत नहीं पड़ी, बाघों के व्यवहार को जितना समझा जाए उतना कम है."

2009 में दहाड़ हो गई थी खत्म: 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की दहाड़ पूरी तरह से खत्म हो गई थी, मार्च 2009 में बांधवगढ़ की टी-1 बाघिन और पेंच के टी-3 बाघ को यहां लाया गया था. टी-2 ने इस टाइगर रिजर्व को आबाद कर दिया, उसने 7 बार में 21 शावकों को जन्म दिया, जो पन्ना टाइगर रिजर्व के इतिहास में किसी एक बाघिन द्वारा जन्मे सबसे अधिक शावक हैं. बाघों को पुर्नस्थापित करने के मामले में पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूनेस्को में दिखाई दे रहा है, पन्ना टाइगर रिजर्व में करीब 70 बाघ हैं. यह 542 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है.

International Tiger Day 2023: बाघों के व्यवहार को जितना भी समझा जाए उतना कम हैं. बाघों की दुनिया में आमतौर पर माना जाता है कि शावकों को पालने की भूमिका बाघिन निभाती है, लेकिन मध्यप्रदेश में एक बार फिर बाघ अपने व्यवहार से जानकारों को आश्चर्य में डाल रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2023 पर आपको बताते हैं एक ऐसे बाघ की कहानी, जो मां से बिछड़े अपने दोनों नन्हें शावकां की लगातार निगरानी कर रहा है. 3 से 4 दिन में यह बाघ करीब 7 फीट की चैनल फैसिंग लांघ कर अपने बच्चों से मिलने पहुंच जाता है, यह कहानी मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की है.

ऐसे शावकों से बिछड़ी मां: पन्ना टाइगर रिजर्व से इस साल बाघिन पी-234 के दो शावकों के जन्म की खुशखबरी आई थी, कई पर्यटकों ने बाघिन के शावकों के साथ अठखेलियां करते हुए देखा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन को दोनों पैरों से घिसट कर चलते हुए देखा. पार्क प्रबंधन ने बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर उसका इलाज शुरू किया, लेकिन सुधार न होते देख 10 जून को बाघिन को इलाज के लिए वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल भेज दिया गया.

शावकों को आई परेशानियां: बाघिन के भोपाल जाने के बाद सबसे बड़ी मुश्किल इस बाघिन के दो शावकों को लेकर हुई, क्योंकि इनकी उम्र महज 5 माह थी. पन्ना टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर बृजेश झा कहते हैं कि "आमतौर पर ऐसी स्थिति में शावकों को चिड़िया घर में भेज दिया जाता है, लेकिन वह पूरी उम्र जू में ही रहना पड़ता, इसलिए हमने उसे जंगल के लिए तैयार करने का निर्णय लिया."

शावकों से दूर हुई मां तो पिता करता है निगरानी: दोनों शावकों की उम्र 5 माह की है, एक साल तक शावक शिकार करने के योग्य नहीं होते, इन्हें दूसरे जानवरों से खतरे को देखते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व में 2 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बाड़ा बनाकर दोनों शावकों को इसमें रख दिया गया. नाम न बताने की शर्त पर टाइगर रिजर्व टीम के एक सदस्य बताते हैं कि "बच्चों से बाघिन दूर हुई तो अब इन दोनों शावकों का बायोलॉजिकल पिता इनकी वैसी ही निगरानी कर रहा है, जैसे कोई मां करती है. बाघ अपने दोनों शावकों से मिलने के लिए 3 से 4 दिन में यहां पहुंचता है, बाड़े में करीब 6 से 7 फीट की चैनल फैंसिंग भी है लेकिन बाघ उसे लांघकर अंदर पहुंच जाता है. बाड़े में लगाए गए कैमरे में लगातार बाघ के फुटेज कैप्चर हो रहे हैं, पहले इस बाड़े के नजदीक दो तेंदुए भी घूमते थे, लेकिन खतरे को भांप कर बाघ ने इन दोनों तेंदुए को भी यहां से खदेड़ दिया है."

1 साल का होने पर शावकों को बाड़े से बाहर किया जाएगा: पन्ना टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी बताते हैं कि "यह एक अच्छा संकेत है, क्योंकि ऐसी स्थिति में शावकों को पालकर बढ़ा करने में सबसे बड़ी चुनौती इन शावकों को वाइल्ड बनाने की होती है. यह काम उनकी मां करती है, उनके साथ ही रहकर शावक जंगल में शिकार करना और उन्हीं की तरह खूंखार बन पाते हैं. हालांकि बच्चे अभी 5 माह के हैं, यह खुद शिकार नहीं कर सकते इसलिए डॉक्टर की निगरानी में इन्हें 2 से 3 दिन में खाना दिया जाता है. 1 साल के होने के बाद इन्हें सही मायने में अपनी मां की जरूरत महसूस होगी, जब यह शिकार करना सीखते हैं. लेकिन हमें खुशी है कि इनका बायोलॉजिकल पिता लगातार इनकी निगरानी कर रहा है. 1 साल का होने पर इन्हें बाड़े से बाहर कर दिया जाएगा, तब यह अपने पिता के साथ रहकर शिकार करना सीखेंगे. वैसे आमतौर पर ऐसा नहीं होता, लेकिन यह दूसरा मौका है, जब पन्ना टाइगर रिजर्व में ऐसा देखने को मिल रहा है."

शावकों की चौबीस घंटे निगरानी: शावकों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे निगरानी की जा रही है, इसके लिए बाड़े में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. निगरानी के लिए 2 शिफ्टों में कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है, शावकों की हर फोटो ली जाती है. अगर फोटो ग्राफ में न आएं तो इनके पगमार्क देखे जाते हैं, साथ ही यह भी देखा जाता है कि किसी दूसरे जानवर के पगमार्क तो यहां नहीं हैं. पूर्व में यह वाइल्ड लाइफ सफारी का रास्ता था, लेकिन इस बाड़े के आसपास से गुजरने वाले रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यहां बाहरी लोगों के आने पर सख्ती से रोक लगाई गई है.

Must Read:

पन्ना में पहले भी बाघ पिता पाल चुका 4 शावक: वैसे देश के अन्य टाइगर रिजर्व के मामले में यह अनोखा मामला हो, लेकिन मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में ऐसा पहले भी हो चुका है. करीब 2 साल पहले पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन पी-213 (32) की मौत हो गई थी, उसके चार शावक थे. इसके बाद शावकों के बायोलॉजिकल पिता ने मां की भूमिका निभाई, बाघ इन शावकों के लिए शिकार कर उनके भोजन की व्यवस्था करता था, जो आमतौर पर बाघिन करती है. बाघ के साथ रहकर ही इन शावकों ने शिकार करना सीखा. रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी सुदेश बाघमारे कहते हैं कि "पन्ना में बाघ के मां की भूमिका निभाने इन शावकों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की जरूरत नहीं पड़ी, बाघों के व्यवहार को जितना समझा जाए उतना कम है."

2009 में दहाड़ हो गई थी खत्म: 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की दहाड़ पूरी तरह से खत्म हो गई थी, मार्च 2009 में बांधवगढ़ की टी-1 बाघिन और पेंच के टी-3 बाघ को यहां लाया गया था. टी-2 ने इस टाइगर रिजर्व को आबाद कर दिया, उसने 7 बार में 21 शावकों को जन्म दिया, जो पन्ना टाइगर रिजर्व के इतिहास में किसी एक बाघिन द्वारा जन्मे सबसे अधिक शावक हैं. बाघों को पुर्नस्थापित करने के मामले में पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूनेस्को में दिखाई दे रहा है, पन्ना टाइगर रिजर्व में करीब 70 बाघ हैं. यह 542 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है.

Last Updated : Jul 29, 2023, 1:12 PM IST
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