भोपाल। आईएसपीआरडी (इंडियन सोसायटी ऑॅफ पलसेस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट)और भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर की ओर से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसका आयोजन दलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाने, नयी किस्मों की खोज करने और फसलों को क्लाइमेट स्मार्ट बनाने के लिए किया गया. इस आयोजन में देश के कई एग्रीकल्चर विशेषज्ञ और वैज्ञानिक शामिल हुए. साथ ही नए-नए प्रयोग के बारे में अपनी रिसर्च प्रस्तुत की गई.
इस सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि दलहनी फसलों के उत्पादन में पिछले 3-4 सालों में बहुत वृद्धि हुई है. और जो दलहन का उत्पादन 140 से 150 मैट्रिक टन बना रहा है. तीन-चार साल में हमारी तकनीकों और सरकार की नीतियों के कारण दलहन उत्पादन 240-250 लाख मैट्रिक टन हुआ है. मध्य प्रदेश में दलहनी फसलों के उत्पादन में सबसे अग्रणी है. यहां 27-30% इन फसलों की पैदावार होती है.
यहां हुए कार्यक्रमों का मुख्य विषय रहा कि दलहनी फसलों को क्लाइमेट स्मार्ट कैसे बनाया जाए. साथ ही साथ चुनौतियों को कम कैसा किया जाए. यह लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना कैसे किया जाए और किस तरह से दलबन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो. इस सम्मेलन में एक रोडमैप तैयार किया जाएगा. जिसके मुताबिक सरकार नीतियों में परिवर्तन करेगी और दलहन के उत्पादन को नया आयाम मिलेगा.