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अशोकनगर से BJP MLA जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता शून्य होने की ये है इनसाइड स्टोरी

अशोकनगर से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी की (Inside story of Ashoknagar BJP MLA) विधानसभा सदस्यता को हाईकोर्ट ने शून्य घोषित कर दिया है. बीजेपी के पूर्व विधायक लड्डू राम कोरी ने कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें कहा गया था कि जजपाल सिंह ने 2018 चुनाव के दौरान खुद को नट जाति का बताया था, जोकि पूरी तरह से फर्जी है. कोर्ट ने जजपाल सिंह की जाति प्रमाण पत्र को फर्जी मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. जज्जी इससे पहले नगरपालिका चुनाव में भी ऐसा ही कारनामा कर चुके हैं.

Ashoknagar BJP MLA Jajpal Singh Jajji
जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता शून्य होने की ये इनसाइड स्टोरी
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Published : Dec 12, 2022, 5:30 PM IST

जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता शून्य होने की ये इनसाइड स्टोरी

भोपाल। अशोकनगर नगर पालिका चुनावों के दौरान जज्जी ने खुद को ओबीसी बताया था. क्योंकि ये सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी. शपथ पत्र में जो प्रमाण पत्र दिया, वह ओबीसी का था. इसमें बताया गया कि उनका नाता कीर जाति से है. उन्होंने ओबीसी जाति पर नगरपालिका चुनाव लड़ा और अध्यक्ष पद पर चुन लिए गए. चुनाव के बाद हाई पावर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी के समक्ष याचिका लगाई गई, जिसमें इस कमेटी ने जज्जी के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था. इस मामले में जज्जी के खिलाफ अशोक नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई लेकिन अभी तक इस केस में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई.

विधानसभा चुनाव के लिए खुद को नट जाति का बताया : अशोक नगर विधासनभा क्षेत्र एससी के लिए आरक्षित है तो जज्जी ने चुनाव लड़ने के लिए नट जाति का प्रमाण पत्र लगा दिया. नट जाति को एमपी में एससी का दर्जा है. सदस्यता शून्य करने के बाद कोर्ट ने अपने आर्डर में लिखा है कि जांच में पाया गया कि कीर जाति मध्यप्रदेश में ओबीसी में आती है और जसपाल सिंह ने चुनाव लड़ने के नगरपालिका चुनाव के दौरान इस जाति का प्रमाण पत्र दिया था.

एक भी प्रूफ नहीं दे सके जज्जी : बीजेपी विधायक जजपाल के पिता ने खुद को सिख बताया है, ना कि नट जाति का. इसके बाद हाई पावर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की पूछताछ के दौरान भी बीजेपी विधायक जजपाल सिंह ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं दे सके, जिससे साबित हो सके कि वह नट जाति के हैं. कोर्ट ने अपने निष्कर्षों में माना कि जजपाल ने यह जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाया है. लिहाजा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगाया जाए.

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बीजेपी ने ये तर्क दिया : कोर्ट द्वारा जजपाल सिंह की सदस्यता शून्य करने पर बीजेपी का कहना है कि वे ऊपरी अदालत में जा सकते हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अभी पूरा आदेश नहीं पढ़ा है. बीजेपी कोर्ट के फैसले के अध्ययन के बाद तय करेगी अगली रणनीति क्या होगी. जज्जी ऊपरी अदालत में याचिका लगा सकते हैं.

जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता शून्य होने की ये इनसाइड स्टोरी

भोपाल। अशोकनगर नगर पालिका चुनावों के दौरान जज्जी ने खुद को ओबीसी बताया था. क्योंकि ये सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी. शपथ पत्र में जो प्रमाण पत्र दिया, वह ओबीसी का था. इसमें बताया गया कि उनका नाता कीर जाति से है. उन्होंने ओबीसी जाति पर नगरपालिका चुनाव लड़ा और अध्यक्ष पद पर चुन लिए गए. चुनाव के बाद हाई पावर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी के समक्ष याचिका लगाई गई, जिसमें इस कमेटी ने जज्जी के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था. इस मामले में जज्जी के खिलाफ अशोक नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई लेकिन अभी तक इस केस में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई.

विधानसभा चुनाव के लिए खुद को नट जाति का बताया : अशोक नगर विधासनभा क्षेत्र एससी के लिए आरक्षित है तो जज्जी ने चुनाव लड़ने के लिए नट जाति का प्रमाण पत्र लगा दिया. नट जाति को एमपी में एससी का दर्जा है. सदस्यता शून्य करने के बाद कोर्ट ने अपने आर्डर में लिखा है कि जांच में पाया गया कि कीर जाति मध्यप्रदेश में ओबीसी में आती है और जसपाल सिंह ने चुनाव लड़ने के नगरपालिका चुनाव के दौरान इस जाति का प्रमाण पत्र दिया था.

एक भी प्रूफ नहीं दे सके जज्जी : बीजेपी विधायक जजपाल के पिता ने खुद को सिख बताया है, ना कि नट जाति का. इसके बाद हाई पावर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की पूछताछ के दौरान भी बीजेपी विधायक जजपाल सिंह ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं दे सके, जिससे साबित हो सके कि वह नट जाति के हैं. कोर्ट ने अपने निष्कर्षों में माना कि जजपाल ने यह जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाया है. लिहाजा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगाया जाए.

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बीजेपी ने ये तर्क दिया : कोर्ट द्वारा जजपाल सिंह की सदस्यता शून्य करने पर बीजेपी का कहना है कि वे ऊपरी अदालत में जा सकते हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अभी पूरा आदेश नहीं पढ़ा है. बीजेपी कोर्ट के फैसले के अध्ययन के बाद तय करेगी अगली रणनीति क्या होगी. जज्जी ऊपरी अदालत में याचिका लगा सकते हैं.

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