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Inflation In Madhya Pradesh: नए साल पर महंगाई का करंट, राहत की उम्मीद नहीं - mp consumer product rate increase

कोरोना महामारी ने (corona virus cases in MP) दुनिया भर में हाहाकार मचाया है. इससे देश आर्थिक मोर्चे पर काफी नुकसान झेल चुका है. देश के साथ ही MP में थोक महंगाई का आंकड़ा 12 साल के चरम पर पहुंच रहा है. नए साल 2022 की महंगाई से शुरुआत हो रही है. खान-पान की चीजों से लेकर कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो, स्टील की कीमतें भी नए साल में कम नहीं हो रही हैं. ऑटो सेक्टर भी नए साल में ज्यादातर प्रोडक्ट की कीमतें बढाने जा रहा है.

Bhopal no hope of relief
नए साल पर महंगाई का करंट
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Published : Jan 1, 2022, 6:05 PM IST

भोपाल। MP में नए साल 2022 की महंगाई से शुरुआत हो रही है. लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों पर दोहरी मार की है. कोरोना से पहले ही स्थिति खराब है वहीं दूसरी ओर देश में थोक महंगाई का आंकड़ा 12 साल के हाई लेवल पहुंच जा चुका है. खान-पान की चीजों से लेकर कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स और आटो,स्टील की कीमतें भी नए साल में कम नहीं हो रही हैं. इसके साथ ही अब लोगों को कंज्यूमर गुड्स प्रोडक्ट के लिए भी ज्यादा दाम चुकाने होंगे. नए साल में खान पान की चीजों में खाद्य तेल के रेट अभी भी महंगे बने हुए हैं. सरसों औऱ मूंगफली तेल 200 रुपए प्रति लीटर में मिल रहा हैं वहीं सोयाबीन तेल 135 से 140 रुपए पहुंच गया है. इसके साथ ही दालों की कीमतें भी 100 रुपए के करीब बनी हुई हैं. शक्कर 40 रुपए किलो में मिल रही है. कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स की मप्र इकाई के उपाध्यक्ष रमाकांत तिवारी कहते हैं कि सरकार को खाद्य पदार्थों में स्टाक सीमा लागू करना चाहिए तब ही रेट कम होंगे.

मारुति, टाटा मोटर्स, हीरो जैसी कंपनियां बढ़ाएंगी प्रोडक्ट की कीमत

बता दें कि कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर की कंपनियों ने पिछले साल 3 से 5 प्रतिशत तक प्रोडक्ट्स की कीमतें बढाई थीं. अब नए साल में 6 से 10 प्रतिशत तक और दाम बढाए जाने की तैयारी है. यहीं नहीं FMCG कंपनियां भी 4 से 10 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ाने वाली हैं. पिछले 6 महीनों में हिंदुस्तान यूनीलीवर, डाबर, ब्रिटानिया और मैरिको के साथ अन्य कंपनियों ने 5 से 12 प्रतिशत तक की बढोतरी की थी. आटो सेक्टर भी नए साल से ज्यादातर प्रोडक्ट की कीमतें बढाने जा रहा है. मारुति, टाटा मोटर्स, हीरो जैसी कंपनियों ने तो पहले घोषणा कर दी है कि वे जनवरी से अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ा देंगी। वहीं स्टील सेक्टर में स्टील का भाव 77 रुपए प्रति किलो हो गया है. यह अप्रैल 2020 में 38 रुपए प्रति किलो था. एल्युमिनियम का दाम 1700 डालर प्रति टन से बढकर 2700 डालर प्रति टन हो गया है.

इनपुट कास्ट और किराए का असर

सभी सेक्टर में कीमतें बढ़ने का कारण इनपुट की लागत, किराए का बढ़ना और अन्य कई तरह की कास्ट लगातार बढ़ते जाना है. इसमें कच्चे तेल की कीमतें,पाम आयल और पैकेजिंग की कास्ट शामिल है. पिछले एक साल में इनके दाम में दोगुनी बढ़त हुई है. 2021 में रॉ-मटेरियल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है जिसका सीधा असर कंपनियों के फायदे पर पड़ा है. इस वजह से कंपनियों ने कीमतों को बढ़ाकर इसका भार ग्राहकों पर डाल दिया है.

तीन-चार महीनों में महंगाई में आएगी कमी

फेडरेशन आफ मप्र चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन आर.एस. गोस्वामी कहते हैं कि नए साल की शुरुआत महंगाई से तो हो रही है लेकिन यह टेम्पररी है. आने वाले तीन-चार महीनों में इसमें कमी आएगी. इन दिनों इनपुट कास्ट और शिपमेंट चार्ज में काफी बढोतरी हुई है जिसका असर देखने को मिल रहा है. लेकिन जिस रफ्तार से महंगाई बढ़ रही है उससे तो यहीं लग रहा है कि महंगाई से लोगों को जल्द राहत नहीं मिलने वाली है.

भोपाल। MP में नए साल 2022 की महंगाई से शुरुआत हो रही है. लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों पर दोहरी मार की है. कोरोना से पहले ही स्थिति खराब है वहीं दूसरी ओर देश में थोक महंगाई का आंकड़ा 12 साल के हाई लेवल पहुंच जा चुका है. खान-पान की चीजों से लेकर कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स और आटो,स्टील की कीमतें भी नए साल में कम नहीं हो रही हैं. इसके साथ ही अब लोगों को कंज्यूमर गुड्स प्रोडक्ट के लिए भी ज्यादा दाम चुकाने होंगे. नए साल में खान पान की चीजों में खाद्य तेल के रेट अभी भी महंगे बने हुए हैं. सरसों औऱ मूंगफली तेल 200 रुपए प्रति लीटर में मिल रहा हैं वहीं सोयाबीन तेल 135 से 140 रुपए पहुंच गया है. इसके साथ ही दालों की कीमतें भी 100 रुपए के करीब बनी हुई हैं. शक्कर 40 रुपए किलो में मिल रही है. कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स की मप्र इकाई के उपाध्यक्ष रमाकांत तिवारी कहते हैं कि सरकार को खाद्य पदार्थों में स्टाक सीमा लागू करना चाहिए तब ही रेट कम होंगे.

मारुति, टाटा मोटर्स, हीरो जैसी कंपनियां बढ़ाएंगी प्रोडक्ट की कीमत

बता दें कि कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर की कंपनियों ने पिछले साल 3 से 5 प्रतिशत तक प्रोडक्ट्स की कीमतें बढाई थीं. अब नए साल में 6 से 10 प्रतिशत तक और दाम बढाए जाने की तैयारी है. यहीं नहीं FMCG कंपनियां भी 4 से 10 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ाने वाली हैं. पिछले 6 महीनों में हिंदुस्तान यूनीलीवर, डाबर, ब्रिटानिया और मैरिको के साथ अन्य कंपनियों ने 5 से 12 प्रतिशत तक की बढोतरी की थी. आटो सेक्टर भी नए साल से ज्यादातर प्रोडक्ट की कीमतें बढाने जा रहा है. मारुति, टाटा मोटर्स, हीरो जैसी कंपनियों ने तो पहले घोषणा कर दी है कि वे जनवरी से अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ा देंगी। वहीं स्टील सेक्टर में स्टील का भाव 77 रुपए प्रति किलो हो गया है. यह अप्रैल 2020 में 38 रुपए प्रति किलो था. एल्युमिनियम का दाम 1700 डालर प्रति टन से बढकर 2700 डालर प्रति टन हो गया है.

इनपुट कास्ट और किराए का असर

सभी सेक्टर में कीमतें बढ़ने का कारण इनपुट की लागत, किराए का बढ़ना और अन्य कई तरह की कास्ट लगातार बढ़ते जाना है. इसमें कच्चे तेल की कीमतें,पाम आयल और पैकेजिंग की कास्ट शामिल है. पिछले एक साल में इनके दाम में दोगुनी बढ़त हुई है. 2021 में रॉ-मटेरियल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है जिसका सीधा असर कंपनियों के फायदे पर पड़ा है. इस वजह से कंपनियों ने कीमतों को बढ़ाकर इसका भार ग्राहकों पर डाल दिया है.

तीन-चार महीनों में महंगाई में आएगी कमी

फेडरेशन आफ मप्र चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन आर.एस. गोस्वामी कहते हैं कि नए साल की शुरुआत महंगाई से तो हो रही है लेकिन यह टेम्पररी है. आने वाले तीन-चार महीनों में इसमें कमी आएगी. इन दिनों इनपुट कास्ट और शिपमेंट चार्ज में काफी बढोतरी हुई है जिसका असर देखने को मिल रहा है. लेकिन जिस रफ्तार से महंगाई बढ़ रही है उससे तो यहीं लग रहा है कि महंगाई से लोगों को जल्द राहत नहीं मिलने वाली है.

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