इंदौर। शहद को मधुमक्खियों के द्वारा तैयार किया जाता है. मधुमक्खियों के द्वारा किस तरह से अलग-अलग शहद तैयार किया जाता है, उसके एक-दो उदाहरण ही सामने आते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि मधुमक्खियों से सात से अधिक फ्लेवर का शहद तैयार किये जा सकते हैं. इसी के साथ कई अलग-अलग तरह की चीजें भी मधुमक्खियों के द्वारा एकत्रित की जाती हैं, जो शरीर के लिए काफी लाभदायक रहती हैं.
इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर है शहद
कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लोगों ने अलग-अलग तरह के जतन किए. लोगों ने इम्युनिटी बढ़ाने के लिए शहद का भी प्रयोग किया. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए शहद काफी कारगर है. शहद में कई ऐसी वैरायटी हैं, मधुमक्खियों के द्वारा तैयार की जाती हैं. इंदौर शहर के ऐसे ही एक शख्स ने अलग-अलग तरह का शहद तैयार किया है, जो अपने आप में अनूठा है.
ऐसे तैयार किये शहद के सात फ्लेवर
शहर के हेमेंद्र सिंह जादौन ने शुरुआती तौर पर मधुमक्खियों से सात तरह के अलग-अलग फ्लेवर के शहद के तैयार किए. उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग शहद के केवल एक ही फ्लेवर को जानते हैं, लेकिन इसकी कई वैरायटी तैयार की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर मधुमक्खियों को ठीक तरह से अलग-अलग समय पर अलग-अलग जगह पर रखा जाए, तो कई तरह के शहद का निर्माण किया जा सकता है. उदाहरण के तौर अगर मधुमक्खियों को यदि धनिया के जगह पर रखा जाए, तो धनिया के फूलों में से धनिया के फ्लेवर का शहद इकट्ठा किया जा सकता है. इसी के साथ जामुन के पेड़ के नीचे रखा जाए, तो जामुन का फ्लेवर तैयार किया जा सकता है. वहीं बबूल के पेड़ के नीचे रखा जाए, तो बबूल के पेड़ों में होने वाले फूलों के कणों पर इकट्ठा कर बबूल का शहद तैयार किया जा सकता है.
ट्रकों से मधुमक्खियों के बक्सों को किया सप्लाई
हेमंत ने बताया कि फ्लेवरों में शहद तैयार करने के लिए मधुमक्खियों के बक्सों को एक जगह से दूसरी जगह पर ट्रकों के माध्यम से ले जाया जाता है. हेमेंद्र सिंह जादौन ने अभी तक नागपुर में मधुमक्खियों के बक्सों को रखा है. यहां संतरा अधिक होता है, इससे शहद ऑरेंज फ्लेवर का तैयार हुआ है. इसी के साथ महाराष्ट्र में जामुन, राजस्थान में सरसों फ्लेवर, उत्तर प्रदेश में बेर, बिहार में लीची और मध्य प्रदेश के गुना में धनिया के फ्लेवर तैयार हो चुके हैं.
रॉयल जैली खाती है रानी मक्खी
एक बक्से में तकरीबन साढ़े पांच हजार मधुमक्खियां रहती हैं. इसमें एक रानी मक्खी होती है. रानी मक्खी ही अन्य मक्खियों को अलग-अलग तरह के आदेश देती है. इन्हीं मक्खियों के द्वारा शहद को तैयार किया जाता है. वहीं रानी मक्खी के लिए अन्य मधु मक्खियां रॉयल जेली का प्रबंध करती हैं. रानी मक्खी रॉयल जैली को खाने के लिए उपयोग में लेती है. रॉयल जेली की एक किलो की कीमत बाजार में तकरीबन साढे़ तीन लाख के आसपास होती है. रॉयल जेली को तैयार करने के लिए एक महीने का समय लगता है.
रॉयल जैली शरीर के लिए है लाभदायक
हेमंत सिंह जादौन का कहना है कि रॉयल जैली शरीर के लिए काफी लाभदायक है. इसका अधिकतर प्रयोग अमेरिका और गल्फ कंट्री में रहने वाले लोग करते हैं. इसका प्रयोग मुख्यतः शरीर को मजबूती प्रदान करने के लिए किया जाता है. इसका नियमित उपयोग से शरीर में एनर्जी आती है. साथ ही सालों साल आप युवा बने रह सकते हैं. महिलाएं अगर रॉयल जैली का उपयोग करती हैं, तो उनका बांझपन और स्तन कैंसर जैसी समस्याएं दूर होती हैं.
मधुमक्खियों का परागकण पहुंचाता है फायदा
मधुमक्खियां फूलों में से रस के साथ अन्य चीजें भी इकट्ठा करती हैं, इसे परागकण कहते हैं. यह कण मधुमक्खियां अपने बच्चों के लिए लेकर आती हैं. यह काफी कारगर है. इन परागकण का नियमित उपयोग करने से शारीरिक शक्ति मिलती है. जिम में जाकर मेहनत करने वाले और ओलंपिक जैसे खेलों की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों के लिए यह काफी लाभदायक है. इसके नियमित प्रयोग से स्टेमिना बढ़ता है.
कश्मीर में जाकर केसर हनी को किया जायेगा तैयार
हेमंत सिंह जादौन ने बताया कि आने वाले समय में वह कश्मीर में जाकर केसर हनी तैयार करेंगे. कश्मीर में हालात अब सुधर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में सब कुछ ठीक रहा तो वह जल्द ही बाजार में केसर हनी लेकर आएंगे. यह लोगों के लिए अगल और सबसे अच्छा फ्लेवर रहेगा. उम्मीद है लोग इसे अधिक पसंद करेंगे.
महीनों के हिसाब से मधु मक्खियों के भोजन स्रोत
माह | भोजन स्रोत |
जनवरी | सरसो, तोरिया, कुसुम, चना, मटर, राजमा, अनार, अमरूद, कटहल, यूकेलिप्टस एवं अन्य. |
फरवरी | सरसो, तोरिया, कुसुम, चना, मटर, राजमा, अनार, अमरूद, कटहल, यूकेलिप्टस, प्याज, धनिया, शीशम एवं अन्य. |
मार्च | कुसुम, सूर्यमुखी, अलसी, बरसीम, अरहर, मेथी, मटर, भिंडी, धनिया, आंवला, निम्बू, जंगली जलेबी, शीशम, यूकेलिप्टस, नीम एवं अन्य. |
अप्रैल | सूरजमुखी, बरसीम, अरण्डी, रामतिल, भिंडी, मिर्च, सेम, तरबूज, खरबूज, करेला, लोकी, जामुन, नीम, अमलतास एवं अन्य. |
मई | तिल, मक्का, ज्वारा, करेला, खीरा, लौकी, भिंडी, पपीता एवं अन्य. |
जून | तिल, मक्का, सूरजमुखी, तरबूज, खरबूज, खीरा, करेला, लौकी, इमली, कद्दू, बबूल, अर्जुन, अमलतास एवं अन्य. |
जुलाई | ज्वारा, मक्का, बाजरा, करेला, खीरा, लौकी, भिंडी, पपीता एवं अन्य. |
अगस्त | ज्वारा, मक्का, सोयाबीन, मूंग, धान, टमाटर, बबूल, आंवला, कचनार, खीरा, भिंडी, पपीता एवं अन्य. |
सितंबर | बाजरा, तन्हाई, सोयाबीन, मूंग, धान, राम तिल, टमाटर, बरबटी, भिंडी, कचनार, बेर एवं अन्य. |
अक्टूबर | अरहर, धान, अरंडी, यूकेलिप्टस, कचनार, बेर, बबूल एवं अन्य. |
नवम्बर | सरसों, तुरैया, मटर, अमरूद, सहजन, बेर, यूकेलिप्टस एवं अन्य. |
दिसम्बर | सरसों, सुरैया, रही, चना, मटर, यूकेलिप्टस, अमरुद. |
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इंदौर के रहने वाले हेमंत सिंह जादौन मध्य प्रदेश के अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जो अनूठे तरीके से शहद का निर्माण करने में जुटे हुए हैं. उनके पास तकरीबन 250 से अधिक मधुमक्खियों के बॉक्स है. एक बॉक्स में तकरीबन साढ़े पांच हजार से अधिक मधुमक्खियां हैं.