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कुर्बानी पर कोरोना की मार: इंदौर बकरा मंडी की रौनक फीकी, 18-20 हजार का बकरा बिकना भी मुश्किल

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Published : Jul 20, 2021, 1:01 PM IST

कुर्बानी पर भी कोरोना का साया पड़ा है. आम लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई है. बड़ा बकरा खरीदने की कैपेसिटी नहीं रही. इसका असर बाजार पर साफ दिखाई दे रहा है. त्यौहार की पुरानी रंगत फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है.

indore bakra mandi
कुर्बानी पर भी कोरोना का साया

इंदौर । मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी बकरा मंडी इंदौर में है. यहां एमपी ही नहीं मुंबई, नासिक, पुणे तक से व्यापारी आते हैं. ईद के मौके पर हर साल यहां करोड़ों का कारोबार होता है. लेकिन इस बार कोरोना के कारण बकरा मंडी पर भी मंदी की तगड़ी मार पड़ी है.

महंगी हुई कुर्बानी

देश की बाकी बकरा मंडियों की तरह इंदौर की बकरा मंडी भी ग्राहकों के लिए तरस रही है. कुछ ग्राहक आते हैं लेकिन बकरे के दाम सुनकर पैर पीछे खींच लेते हैं. मध्य प्रदेश बकरा व्यापारी एसोशिएशन के अध्यक्ष नवाब कुरेशी ने बताया कि हालात बहुत अच्छे नहीं है. वो अपने इंदौरी लहजे में बताते हैं कि कारोबार बैठा हुआ है यानि कमजोर है, डाउन है. हाथों हाथ वो इसका कारण भी बता देते हैं. नवाब कुरैशी ने बताया कि लोगों की सेलेरी कम हो गई है. लोगों की कमाई सिकुड़ गई है. ऐसे में उनकी कुर्बानी की केपेसिटी भी कम हो गई है. ये सब हुआ है कोरोना के कारण.

कुर्बानी पर कोरोना की मार

नवाब कुरैशी बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर में उनके किसानों का माल फंस गया था. उसकी ही कीमत नहीं मिल रही है. उन्होंने बकरे की खुराक भी गिना दी. उन्होंने बताया कि बकरे की एक दिन की खुराक करीब 50 रुपए है. फिर उसकी हारी-बीमारी भी है. 50 रुपए हर दिन के हिसाब से एक साल उसे पालने पोसने में करीब 18 हजार का खर्चा आता है. इसके अलावा किसान दो रुपए कमाएगा भी. लेकिन ग्राहक 18-20 हजार रुपए देने को तैयार नहीं है. उनका बजट 12-15 हजार से ऊपर नहीं जाता.

Bakrid 2021: कुर्बानी से पहले बकरे चोरी, लग्जरी कार में बकरों को ले जाते CCTV में कैद आरोपी

उम्मीद पर दुनिया कायम

नवाब कुरैशी आगे बताते हैं कि दो साल से कोरोना की मार उनके किसानों पर पड़ रही है. बकरे का खर्चा भी नहीं निकल रहा है. पहले लोग त्यौहार धूम धाम से मनाते थे, वहीं अब सादगी से मना रहे हैं. देखें आगे क्या होता है. उम्मीद है हालात जल्द ठीक होंगे

इंदौर । मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी बकरा मंडी इंदौर में है. यहां एमपी ही नहीं मुंबई, नासिक, पुणे तक से व्यापारी आते हैं. ईद के मौके पर हर साल यहां करोड़ों का कारोबार होता है. लेकिन इस बार कोरोना के कारण बकरा मंडी पर भी मंदी की तगड़ी मार पड़ी है.

महंगी हुई कुर्बानी

देश की बाकी बकरा मंडियों की तरह इंदौर की बकरा मंडी भी ग्राहकों के लिए तरस रही है. कुछ ग्राहक आते हैं लेकिन बकरे के दाम सुनकर पैर पीछे खींच लेते हैं. मध्य प्रदेश बकरा व्यापारी एसोशिएशन के अध्यक्ष नवाब कुरेशी ने बताया कि हालात बहुत अच्छे नहीं है. वो अपने इंदौरी लहजे में बताते हैं कि कारोबार बैठा हुआ है यानि कमजोर है, डाउन है. हाथों हाथ वो इसका कारण भी बता देते हैं. नवाब कुरैशी ने बताया कि लोगों की सेलेरी कम हो गई है. लोगों की कमाई सिकुड़ गई है. ऐसे में उनकी कुर्बानी की केपेसिटी भी कम हो गई है. ये सब हुआ है कोरोना के कारण.

कुर्बानी पर कोरोना की मार

नवाब कुरैशी बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर में उनके किसानों का माल फंस गया था. उसकी ही कीमत नहीं मिल रही है. उन्होंने बकरे की खुराक भी गिना दी. उन्होंने बताया कि बकरे की एक दिन की खुराक करीब 50 रुपए है. फिर उसकी हारी-बीमारी भी है. 50 रुपए हर दिन के हिसाब से एक साल उसे पालने पोसने में करीब 18 हजार का खर्चा आता है. इसके अलावा किसान दो रुपए कमाएगा भी. लेकिन ग्राहक 18-20 हजार रुपए देने को तैयार नहीं है. उनका बजट 12-15 हजार से ऊपर नहीं जाता.

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उम्मीद पर दुनिया कायम

नवाब कुरैशी आगे बताते हैं कि दो साल से कोरोना की मार उनके किसानों पर पड़ रही है. बकरे का खर्चा भी नहीं निकल रहा है. पहले लोग त्यौहार धूम धाम से मनाते थे, वहीं अब सादगी से मना रहे हैं. देखें आगे क्या होता है. उम्मीद है हालात जल्द ठीक होंगे

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