भोपाल। कोरोना संकट के दौर में आई वैक्सीन के बाद दुनिया भर में वैक्सीनेश चल रहा है. भारत में भी दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनीशन प्रोग्राम चल रहा है. जब देश और प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में टीकाकरण हो रहा है, तो ये सवाल भी मन मे उठता है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले मटेरियल को डिस्पोज कहा ओर कैसे किया जाता. बात भोपाल की करें तो राजधानी में कोविड वेस्ट को डिस्पोजल मंडीदीप फैक्ट्री में किया जा रहा है. इसकी जिम्मेदारी इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को दी गई है, जो प्रतिदिन 10 से 12 गाड़ियों के जरिए अस्पतालों से कोविड वेस्ट इकट्ठा कर मंडीदीप फैक्टरी में डिस्पोज़ करती है.
इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट के पास राजधानी की जिम्मेदारी
राजधानी भोपाल में बायो मेडिकल वेस्ट की जिम्मेदारी इन दिनों इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट मंडीदीप को दी गई है, जिसके द्वारा राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों से रोजाना 10 से 12 गाड़ियां कचरा इकट्ठा किया जाता है और सीधा मंडीदीप फैक्ट्री में ले जाकर डिस्पोज किया जाता है.
वेस्ट डिस्पोज़ करने के लिए विशेष ट्रेनिंग
इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर दीपक शाह ने बताया कि कोविड वेस्ट मैनेजमेंट के काम में लगे कर्मचारियों को कंपनी विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. उन्होंने बताया कि इस काम में सबसे ज़्यादा खयाल खुद की सुरक्षा का रखा जाता है. ऐसे में जो वेस्ट अस्पतालों से कलेक्ट किया जाता है, उसे येलो, नॉन क्लोरीनेटेड डबल बैग में लिया जाता है.
वेस्ट को अस्पताल से सीधा गाड़ी में रखा जाता है. इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर दीपक शाह ने बताया कि जो ड्राइवर इस गाड़ी को चलाता है वह पीपीई किट पहनता है, उसके साथ ही हेल्पर भी गाड़ी में मौजूद होता है, उसे भी पीपीई किट पहनना जरूरी होता है.
रोजाना 12 गाड़िया लगती हैं काम में
डॉक्टर दीपक शाह ने बताया शुरुआत में लोग घरों में कोरनटाइन हो रहे थे, उस दौरान इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट ने नगर निगम की मदद से रोजाना 2 हजार घरों से कचड़ा उठाया है. इसकी सारी जानकारी सेंट्रल पॉल्युशन बोर्ड के पास है और अब कंपनी रोजाना 12 गाड़ियों की मदद से भोपाल में कोविड वेस्ट इकट्ठा कर उसे डिस्पोज करती है.
यूमिट में कैसे होता है काम
डॉ शाह ने बताया कि इस कचरे को जलाने के लिए दो तरह की प्रक्रिया होती है, जिसकी इंसीनरेटर प्रोसीजर में दो तरह के चेंबर होते हैं. पहले चेंबर में 850 टेंपरेचर होता है और दूसरे चेंबर में 1100 टेंपरेचर होता है. इसमें से जो गैस निकलती है उसको फिल्टर किया जाता है. डॉ शाह ने बताया कि इससे पहले जो सिस्टम होता था, उसमें पानी डालकर आग को बुझाया जाता था. लेकिन मंडीदीप फैक्ट्री में ड्राई इंसीनरेटर मशीन है, जिसमे टेम्परेचर ऑटोमेटिक कूल डाउन होता है. इसमें डस्ट पार्टिकल बाहर नहीं आते है और कोविड वेस्ट पूरी तरह डिस्पोज हो जाता है.
ऐप के माध्यम से दी जाती है वेस्ट की जानकारी
इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर दीपक शाह ने बताया जो गाड़िया कचड़ा इकट्ठा करती है उसमे मौजूद हेल्पर के पास एक एप्लिकेशन होता है, जिसमें वह हर दिन की जानकारी अपलोड करता है. इसमें प्रतिदिन हॉस्पिटल और वहीं से इकट्ठा होने वाले कोविड वेस्ट की जानकारी डालता है, जिससे यह जानकारी फैक्टरी, पॉल्युशन बोर्ड के पास चली जाती है.
कोविड वेस्ट मैनेजमेंट बेहद जरूरी
कोविड वेस्ट बहुत खतरनाक होता है, जिस तरह कोरोना थूकने, खांसने से फैलता है उसी तरह कोरोना के इलाज में में इस्तेमाल किये गए वस्तु से भी कोरोना फैलने का डर रहता है. ऐसे में कोरोना में इस्तेमाल होने वाले वेस्ट मेटीरियल को अच्छी तरह डिस्पोज़ करना बेहद ज़रूरी है.