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कोरोना काल में औषधीय पौधों की बढ़ी मांग, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोग कर रहे इस्तेमाल

कोरोना वायरस के चलते लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं जो उनकी इम्युनिटी पावर को बढ़ाएं. जिसके लिए आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों की मांग बढ़ गई है.

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कोरोना काल में औषधीय पौधों की बढ़ी मांग
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Published : Oct 17, 2020, 9:59 AM IST

भोपाल। कोरोना वायरस से बचने और संक्रमण होने पर उससे जल्दी ठीक होने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो. इस वायरस के फैलने के साथ ही लोगों को इस बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक भी किया गया कि वो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, उनकी इम्युनिटी पावर को बढ़ाएं. भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा आयुर्वेदिक काढ़े का वितरण किया गया था. वहीं अब लोगों ने अपने घरों में ही ऐसे पौधों को उगाना शुरू कर दिया है जो आयुर्वेदिक और औषधीय महत्व रखते हैं, जिनके इस्तेमाल से व्यक्ति स्वस्थ रहता है.

कोरोना काल में औषधीय पौधों की बढ़ी मांग

औषधीय पौधों की बढ़ी मांग-

इन पौधों में गिलोय, अश्वगंधा, पथरचट्टा, तुलसी, एलोवेरा जैसे पौधे शामिल हैं, जो दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किए जाते हैं. इन पौधों की पत्तियों या छालों से बने काढ़े, चूर्ण और रस का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है. लोगों के द्वारा ऐसे पौधों की बागवानी किए जाने के कारण बाजार में इनकी मांग भी पहले की तुलना में अब बढ़ गई है. राजधानी भोपाल के परिपेक्ष्य में इसे देखा जाए तो यहां भी ऐसे पौधे जो औषधीय महत्व रखते हैं, उनकी मांग बढ़ने से शहर की नर्सरियों में इनकी कमी देखने को मिल रही है.

मांग बढ़ने से औषधीय पौधों की बढ़ी कीमत-

शहर की एक पौधे की नर्सरी के संचालक अभिमन्यु सक्सेना इस बारे में कहते हैं कि कोरोना वायरस आने के कारण गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा, शमी, तुलसी, पथरचटा इन पौधों की मांग बढ़ गई है. पहले जहां एक दिन में केवल दो-तीन ग्राहक इन पौधों को खरीदने आते थे, वहीं अब रोजाना ही 15 से 20 लोग इन पौधों को लेने आते हैं. इनकी मांग इतनी बढ़ गई है कि पिछले दो महीनों से इनकी सप्लाई ही नहीं हो पा रही है. साथ ही इनकी कीमतों में इजाफा हुआ है, पहले इनकी कीमत 30 से 50 रुपए के आसपास थी, लेकिन अब इनकी कीमत 70 रुपए के आसपास हो गई है. इसके अलावा जब सप्लायर से इन पौधों को मांगते हैं, तो वो उपलब्ध होने के बाद भी नहीं देते हैं. जिसके कारण ग्राहकों को अन्य नर्सरियों में भेजना पड़ता है.

कोरोना वायरस से बचाव में अच्छी साबित हुई आयुर्वेदिक दवाएं-

इस बारे में आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर के संचालक सीआर मीणा ने बताया कि कुछ आयुर्वेदिक दवाएं कोरोना वायरस से बचाव में अच्छी साबित हुई हैं. त्रिकटु काढ़ा, च्वयनप्राश, तुलसी से बनी दवाइयां जैसे तुलसी रस, तुलसी टेबलेट, अश्वगंधा से बनी दवाइयां अश्वगंधा टेबलेट,अश्वगंधा चूर्ण, सिरप और ऐसी ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयों की मांग बढ़ी है. पहले की तुलना में 60 से 70% इन दवाइयों की मांग बढ़ी है और कोरोना संक्रमण के कारण पिछले चार-पांच महीनों से केवल ही दवाइयां ज्यादा बिक रही हैं.

आयुर्वेदिक दवाओं का रस ज्यादा असरदार-

इन पौधों का महत्व क्या है और इन्हें कैसे इस्तेमाल किया जाता है, इस बारे में आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉक्टर कामायनी मिश्रा ने बताया कि गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, हल्दी ऐसे पौधे हैं जो सबसे ज्यादा इम्यूनो मॉड्यूलर होते हैं. इनमें एल्को लाइट्स, फिनोलिक कंपाउंड्स, पॉलीसेकोराइड होते हैं. ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, साथ ही मस्तिष्क के लिए भी अच्छे होते हैं. हल्दी सबसे अच्छी एंटी ऑक्सीडेंट होती है. गुलेची बहुत अच्छी रोग प्रतिरोधक होती है, इसे रोजाना कूटकर इसका रस बना कर दिया जाए तो इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी अच्छी हो जाती है कि आसानी से व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता.

भोपाल। कोरोना वायरस से बचने और संक्रमण होने पर उससे जल्दी ठीक होने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो. इस वायरस के फैलने के साथ ही लोगों को इस बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक भी किया गया कि वो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, उनकी इम्युनिटी पावर को बढ़ाएं. भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा आयुर्वेदिक काढ़े का वितरण किया गया था. वहीं अब लोगों ने अपने घरों में ही ऐसे पौधों को उगाना शुरू कर दिया है जो आयुर्वेदिक और औषधीय महत्व रखते हैं, जिनके इस्तेमाल से व्यक्ति स्वस्थ रहता है.

कोरोना काल में औषधीय पौधों की बढ़ी मांग

औषधीय पौधों की बढ़ी मांग-

इन पौधों में गिलोय, अश्वगंधा, पथरचट्टा, तुलसी, एलोवेरा जैसे पौधे शामिल हैं, जो दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किए जाते हैं. इन पौधों की पत्तियों या छालों से बने काढ़े, चूर्ण और रस का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है. लोगों के द्वारा ऐसे पौधों की बागवानी किए जाने के कारण बाजार में इनकी मांग भी पहले की तुलना में अब बढ़ गई है. राजधानी भोपाल के परिपेक्ष्य में इसे देखा जाए तो यहां भी ऐसे पौधे जो औषधीय महत्व रखते हैं, उनकी मांग बढ़ने से शहर की नर्सरियों में इनकी कमी देखने को मिल रही है.

मांग बढ़ने से औषधीय पौधों की बढ़ी कीमत-

शहर की एक पौधे की नर्सरी के संचालक अभिमन्यु सक्सेना इस बारे में कहते हैं कि कोरोना वायरस आने के कारण गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा, शमी, तुलसी, पथरचटा इन पौधों की मांग बढ़ गई है. पहले जहां एक दिन में केवल दो-तीन ग्राहक इन पौधों को खरीदने आते थे, वहीं अब रोजाना ही 15 से 20 लोग इन पौधों को लेने आते हैं. इनकी मांग इतनी बढ़ गई है कि पिछले दो महीनों से इनकी सप्लाई ही नहीं हो पा रही है. साथ ही इनकी कीमतों में इजाफा हुआ है, पहले इनकी कीमत 30 से 50 रुपए के आसपास थी, लेकिन अब इनकी कीमत 70 रुपए के आसपास हो गई है. इसके अलावा जब सप्लायर से इन पौधों को मांगते हैं, तो वो उपलब्ध होने के बाद भी नहीं देते हैं. जिसके कारण ग्राहकों को अन्य नर्सरियों में भेजना पड़ता है.

कोरोना वायरस से बचाव में अच्छी साबित हुई आयुर्वेदिक दवाएं-

इस बारे में आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर के संचालक सीआर मीणा ने बताया कि कुछ आयुर्वेदिक दवाएं कोरोना वायरस से बचाव में अच्छी साबित हुई हैं. त्रिकटु काढ़ा, च्वयनप्राश, तुलसी से बनी दवाइयां जैसे तुलसी रस, तुलसी टेबलेट, अश्वगंधा से बनी दवाइयां अश्वगंधा टेबलेट,अश्वगंधा चूर्ण, सिरप और ऐसी ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयों की मांग बढ़ी है. पहले की तुलना में 60 से 70% इन दवाइयों की मांग बढ़ी है और कोरोना संक्रमण के कारण पिछले चार-पांच महीनों से केवल ही दवाइयां ज्यादा बिक रही हैं.

आयुर्वेदिक दवाओं का रस ज्यादा असरदार-

इन पौधों का महत्व क्या है और इन्हें कैसे इस्तेमाल किया जाता है, इस बारे में आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉक्टर कामायनी मिश्रा ने बताया कि गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, हल्दी ऐसे पौधे हैं जो सबसे ज्यादा इम्यूनो मॉड्यूलर होते हैं. इनमें एल्को लाइट्स, फिनोलिक कंपाउंड्स, पॉलीसेकोराइड होते हैं. ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, साथ ही मस्तिष्क के लिए भी अच्छे होते हैं. हल्दी सबसे अच्छी एंटी ऑक्सीडेंट होती है. गुलेची बहुत अच्छी रोग प्रतिरोधक होती है, इसे रोजाना कूटकर इसका रस बना कर दिया जाए तो इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी अच्छी हो जाती है कि आसानी से व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता.

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