भोपाल: दलित अपराध के मामले में मध्य प्रदेश देश में नंबर दो पर है. सरकार के तमाम दावों और सख्ती के बाद भी प्रदेश में दलित अपराध की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही. यह स्थिति तब है जब मध्य प्रदेश में दलित आबादी छह फीसदी और आदिवासियों की आबादी 15 फीसदी है. ताजा मामला छतरपुर जिले के किशनपुरा गांव का सामने आया है, जहां दलित की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. एनसीआरबी के आंकड़ों को देखा जाए तो देश में राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा दलित अपराध हुए हैं.
पिछले एक माह में कई घटनाएं आई सामने
पिछले एक माह में मध्य प्रदेश में दलित अपराध की बड़ी घटनाएं सामने आई हैं. ताजा मामला छतरपुर जिले के किशनपुरा गांव का है. यहां 8 दिसंबर को एक दलित युवक देवराज अनुरागी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. बताया जाता है कि दलित युवक की गलती सिर्फ इतनी थी कि एक पार्टी में उसने खाने को हाथ लगा दिया था. आरोपी संतोष पाल और भूरा सोनी ने पार्टी में मृतक को साफ-सफाई के लिए बुलाया था. मृतक पार्टी के दौरान अपने हाथों से खाना निकालकर खाने लगा. इस बात से गुस्साए दोनों युवकों ने उसे लाठी डंडों से बुरी तरह से पीटा, जिसमें उसकी मौत हो गई.
घटना क्रमांक 2 दिनांक 30 नवंबर
गुना के करौंद गांव में दबंगों ने 50 साल के दलित व्यक्ति की हत्या कर दी. बताया जाता है कि खेतिहर मजदूर रामजी लाल अहिरवार कुछ लोगों के साथ गांव के चबूतरे पर बैठा था. तभी दो युवकों ने उससे सिगरेट जलाने के लिए माचिस मांगी. माचिस देने से इंकार करने पर विवाद इतना बढ़ा की मारपीट में उसकी जान चली गई.
घटना क्रमांक 3 तारीख 21 नवंबर
दतिया जिले के चढ़ाई गांव में असामाजिक तत्वों ने एक दलित परिवार का घर जला दिया और परिवार के लोगों के साथ बेरहमी से पिटाई की, बताया जाता है कि मजदूरी को लेकर हुए विवाद में परिवार ने समझौता करने से इनकार कर दिया था. पीड़ित संदीप दोहरे के छोटे भाई का 2 साल पहले आरोपियों से विवाद हुआ था. मामले में आरोपी पीड़ित परिवार पर समझौते के लिए दबाव बना रहा था.
घटना क्रमांक 4 दिनांक 30 नवंबर
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में उपचुनाव के दौरान अपनी मर्जी से मतदान करने पर दलित परिवार को गांव निकाला दे दिया गया. शिवपुरी के जलवा सा गांव के दलित परिवार ने आरोप लगाया है कि पोहरी विधानसभा सीट पर उन्होंने अपनी मर्जी से वोट किया, इससे गांव के कुछ दबंगों ने परिवार को गांव से निकाल दिया. पीड़ित परिवार ने कार्रवाई के लिए शिवपुरी में एसपी ऑफिस के सामने धरना दिया.
एनसीआरबी के आंकड़े चौकाने वाले
मध्य प्रदेश में दलित अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों को देखा जाए तो दलित अत्याचार के मामले में मध्य प्रदेश का नंबर दूसरा बना हुआ है. दलित अपराध में मध्यप्रदेश का क्राइम रेट देश के औसत से दोगुना है. दलित अपराध में देश का औसत 21 फीसदी जबकि मध्य प्रदेश की अपराध दर 42 फीसदी है. साल 2019 में अनुसूचित जाति के 5300 मामले दर्ज किए गए. 2018 में 4753 और 2017 में 5892 मामले दर्ज किए गए थे. इसी तरह अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध 2019 में 1922 मामले हुए जो पूरे देश का 23.3 फीसदी है. 2018 में 1860 और 2017 में 2289 अनुसूचित जनजाति के अपराध हुए हैं. दलित बच्चियों से बलात्कार और छेड़खानी के मामले में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है.एनसीआरबी के साल 2019 के आंकड़ों को देखा जाए तो प्रदेश में दलित बच्चियों के साथ बलात्कार की 214 घटनाएं हुई है.
दलित अपराध
- साल 2019 - 5300
- साल 2018 - 4753
- साल 2017 - 5892
- राजस्थान में साल 2019 में दलित अपराध के 6794 मामले सामने आए, जो कि दलित अपराध के कुल मामलों का 55.6 फीसदी है.
- मध्य प्रदेश इस मामले में दूसरे नंबर पर है. मध्य प्रदेश में 2019 में 53100 मामले सामने आए, यह दलित अपराध के कुल मामलों का 46.7 फीसदी है.
क्या कहते हैं राजनीतिक पार्टियों के नेता
कांग्रेस मध्य प्रदेश में हो रही इस तरह की घटनाओं को दुर्भाग्य जनक बताती है. कांग्रेस नेता राजीव सिंह कहते हैं कि मध्य प्रदेश में जिस तरह की दलित अपराध हो रहे हैं. वह दुर्भाग्यपूर्ण हैं और सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाने चाहिए. सरकार को देखना चाहिए कि आखिर इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता लोकेंद्र पाराशर कहते हैं कि कांग्रेस को बताने की जरूरत नहीं है कि बीजेपी और सरकार को क्या करना चाहिए. दलित उत्थान के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे वह सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं. कांग्रेस को दलित अपराध को लेकर सवाल उठाने का हक नहीं है, कमलनाथ सरकार के दौरान कई बड़ी घटनाएं हुई हैं.