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सावधानी बरतें! कोरोना की दूसरी लहर में अंकित ने 10 दिन में खो दिये थे परिवार के तीन सदस्य

कोरोना के दूसरी लहर में अपनों को खोने वाले अंकित ने ईटीवी भारत के साथ अपना दर्द साझा किया. अंकित ने बताया कि दूसरी लहर में 10 दिन के अंदर परिवार के तीन लोगों की कोरोना (corona second wave impact in bhopal) से जान गई.

corona ka dard
कोरोना का दर्द
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Published : Jan 11, 2022, 10:26 PM IST

भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave impact in bhopal) ने जो कहर बरपाया था, उससे कई परिवार आज तक उबर नहीं पाए हैं. एक ऐसा ही परिवार है, जिसमें परिवार के तीन लोग 10 दिन के अंदर कोरोना से संक्रमित होकर मौत के मुंह में समा गए. इस परिवार में बचे भाई बहन अपनी आपबीती सुनाते हुए आज भी कोरोना के उस भयावह रूप को याद करते हुए सिहर उठते हैं.

सुनें अंकित और अमृता की आपबीती

कोरोना की दूसरी लहर में खोया परिवार
राजधानी के होशंगाबाद रोड स्थित बर्फानी धाम कॉलोनी में रहने वाले अंकित पटेल (corona deaths in bhopal) और उनकी बहन अमृता परिवार में आये कोरोना की दूसरी लहर के संकट के बाद बचे हैं. अंकित पटेल बताते हैं कि पिछले साल उनका पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था. परिवार के लोग एक एक निजी कार्यक्रम के तहत गांव में इकट्ठे हुए थे. फिर इनमें से छह लोग कोरोना संक्रमित हो गए. 21 अप्रैल को और फिर 22 अप्रैल को दो चाचा कोरोना की संक्रमित होने के बाद नहीं रहे. 1 मई को पापा ओम पटेल की भी मौत हो गई.

अनजाने में हुई लापरवाही दोबारा न हो
अंकित पटेल का कहना है कि पिछले साल अनजाने में हम से जो लापरवाही (precaution for corona in bhopal) हुई है, वह दोबारा न होनी चाहिए. मैं सभी से कहता हूं कि कोरोना की तीसरी लहर में सावधानी रखें, मास्क लगाएं. 10 दिन में हमारे घर से तीन लाशें निकली थी. वह पल हम जिंदगी भर नहीं भुला सकते. जैसा हमारे साथ हुआ है किसी के साथ न हो.

अभी भी सता रहा अपनों को खोने का गम
अंकित की बहन अमृता का कहना है कि हमने अपनों को खोया (corona ka dard) है. हम जानते हैं कि अपनों के जाने का गम क्या होता है. प्लीज सब लोग सावधानी बरतें और कोरोना गाइड लाइन का पालन करें. फिर वैसा ही समय आ गया लगता है.

अस्पताल की हालत देखकर लगता था डर
अंकित के पिताजी पुलिस विभाग में टीआई के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके दो चाचा हरि पटेल और मोहन पटेल राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय थे. अपने पापा और दो चाचा को खो चुके अंकित ने बताया कि उन्हें हमीदिया अस्पताल में पापा के भर्ती होने के दौरान की स्थितियां देख कर डर लगता है.

कार को टच करना पड़ा भारी, महिला ने सड़क पर बिखेर दिये रेहड़ी वाले के फल, देखें वीडियो

अंकित ने बताया कि अस्पताल में अपनी आंखों के सामने ही एक साथ 8 लोगों की मौत होते देखी है. श्मशान घाट में भी पापा का अंतिम संस्कार करने के लिए वेटिंग में रहकर एक दिन का इंतजार करना पड़ा. पापा से पहले ही मां राजकुमारी पटेल की भी मौत हो गई थी.

कोरोना ने दूर कर दिया लोगों को
अंकित और अमृता ने बताया कि परिवार में कोरोना होने के बाद हालात यह हो गई थी कि लोगों ने दूरियां बना लीं. हम एक दूसरे की मदद नहीं कर पा रहे थे. लोगों को फोन करके बुलाने के बावजूद भी लोग नहीं आ पाए. कोरोना ने सारे रिश्ते और दोस्ती के बीच दूरी बना दी थी.

भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave impact in bhopal) ने जो कहर बरपाया था, उससे कई परिवार आज तक उबर नहीं पाए हैं. एक ऐसा ही परिवार है, जिसमें परिवार के तीन लोग 10 दिन के अंदर कोरोना से संक्रमित होकर मौत के मुंह में समा गए. इस परिवार में बचे भाई बहन अपनी आपबीती सुनाते हुए आज भी कोरोना के उस भयावह रूप को याद करते हुए सिहर उठते हैं.

सुनें अंकित और अमृता की आपबीती

कोरोना की दूसरी लहर में खोया परिवार
राजधानी के होशंगाबाद रोड स्थित बर्फानी धाम कॉलोनी में रहने वाले अंकित पटेल (corona deaths in bhopal) और उनकी बहन अमृता परिवार में आये कोरोना की दूसरी लहर के संकट के बाद बचे हैं. अंकित पटेल बताते हैं कि पिछले साल उनका पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था. परिवार के लोग एक एक निजी कार्यक्रम के तहत गांव में इकट्ठे हुए थे. फिर इनमें से छह लोग कोरोना संक्रमित हो गए. 21 अप्रैल को और फिर 22 अप्रैल को दो चाचा कोरोना की संक्रमित होने के बाद नहीं रहे. 1 मई को पापा ओम पटेल की भी मौत हो गई.

अनजाने में हुई लापरवाही दोबारा न हो
अंकित पटेल का कहना है कि पिछले साल अनजाने में हम से जो लापरवाही (precaution for corona in bhopal) हुई है, वह दोबारा न होनी चाहिए. मैं सभी से कहता हूं कि कोरोना की तीसरी लहर में सावधानी रखें, मास्क लगाएं. 10 दिन में हमारे घर से तीन लाशें निकली थी. वह पल हम जिंदगी भर नहीं भुला सकते. जैसा हमारे साथ हुआ है किसी के साथ न हो.

अभी भी सता रहा अपनों को खोने का गम
अंकित की बहन अमृता का कहना है कि हमने अपनों को खोया (corona ka dard) है. हम जानते हैं कि अपनों के जाने का गम क्या होता है. प्लीज सब लोग सावधानी बरतें और कोरोना गाइड लाइन का पालन करें. फिर वैसा ही समय आ गया लगता है.

अस्पताल की हालत देखकर लगता था डर
अंकित के पिताजी पुलिस विभाग में टीआई के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके दो चाचा हरि पटेल और मोहन पटेल राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय थे. अपने पापा और दो चाचा को खो चुके अंकित ने बताया कि उन्हें हमीदिया अस्पताल में पापा के भर्ती होने के दौरान की स्थितियां देख कर डर लगता है.

कार को टच करना पड़ा भारी, महिला ने सड़क पर बिखेर दिये रेहड़ी वाले के फल, देखें वीडियो

अंकित ने बताया कि अस्पताल में अपनी आंखों के सामने ही एक साथ 8 लोगों की मौत होते देखी है. श्मशान घाट में भी पापा का अंतिम संस्कार करने के लिए वेटिंग में रहकर एक दिन का इंतजार करना पड़ा. पापा से पहले ही मां राजकुमारी पटेल की भी मौत हो गई थी.

कोरोना ने दूर कर दिया लोगों को
अंकित और अमृता ने बताया कि परिवार में कोरोना होने के बाद हालात यह हो गई थी कि लोगों ने दूरियां बना लीं. हम एक दूसरे की मदद नहीं कर पा रहे थे. लोगों को फोन करके बुलाने के बावजूद भी लोग नहीं आ पाए. कोरोना ने सारे रिश्ते और दोस्ती के बीच दूरी बना दी थी.

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