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कोरोना से एमपी सरकार के राजस्व को भारी झटका, बजट में कई योजनाओं पर चल सकती है कैंची

पहले से ही वित्तीय बदहाली से गुजर रही मध्य प्रदेश सरकार की कोरोना ने और हालत खराब कर दी है. प्रदेश पर करीब दो लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है. कोरोना कहर के बाद किए गए लॉकडाउन में सरकार को करीब 26 हजार करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ है. ऐसे में अब सरकार बजट में कई योजनाओं के मदों में भारी कमी करने की तैयारी कर रही है. पढ़िए पूरी खबर...

bhopal
कोरोना से एमपी के राजस्व को भारी झटका
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Published : Jul 21, 2020, 7:23 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते मध्य प्रदेश के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुंचा है. अनलॉक में भले ही काम धंधे शुरू हो गए हों, लेकिन पहले की तरह सब कुछ सामान्य नहीं हो पाया है, क्योंकि कोरोना का असर व्यापार, उद्योगधंधों से लेकर कमोबेश सभी सेक्टरों पर पड़ा है. अंदेशा लगाया जा रहा है कि एक वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार को करीब 26 हजार करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ है. ऐसे में अब सरकार बजट में कई योजनाओं के मदों में भारी कमी करने की तैयारी कर रही है.

कोरोना से एमपी के राजस्व को भारी झटका

शराब दुकान शुरू हुई, बसों का संचालन अटका

तमाम विवादों के बाद मध्यप्रदेश में भले ही शराब की दुकानों का संचालन शुरू हो गया हो लेकिन बस ऑपरेटरों का मुद्दा अभी तक समझ नहीं पाया है. अनलॉक 1 के बाद राज्य सरकार ने तमाम सुरक्षा उपायों के साथ बसों के संचालन की अनुमति दे दी थी, लेकिन बस संचालक टैक्स माफ किए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदेश में बसों का संचालन ना होने से इसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है. माना जा रहा है कि पहले शराब ठेकेदारों और फिर बस ऑपरेटरों की विवाद की वजह से सरकार को करीब 3000 करोड़ का नुकसान हुआ है.

बस संचालन नहीं होने से करीब 75 करोड़ के राजस्व का नुकसान

बस ऑपरेटर द्वारा बसों का संचालन ना किए जाने से सरकार को हर माह करीब 75 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के मुताबिक जब तक कोरोना का संक्रमण खत्म नहीं हो जाता बसों का संचालन नहीं किया जाएगा. बस ऑपरेटरों की मांगों पर उन्होंने कहा कि जब बसों का संचालन शुरू होगा उसके बाद उनकी टैक्स माफ करने की मांगों पर विचार किया जाएगा. वहीं ऐसी ही स्थिति रेत खनन को लेकर है. 5 जिलों के टेंडर फिर से किए जा रहे हैं. वहीं बाकी जिलों में समय पर उत्खनन शुरू ना हो पाने की वजह से सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा है.

नुकसान की भरपाई कर्जा लेकर कर रही सरकार

कोरोना संक्रमण से मध्य प्रदेश के राजस्व को पहुंच रहे नुकसान की भरपाई और खर्च चलाने के लिए राज्य शासन को लगातार कर्जा लेना पड़ रहा है. राज्य सरकार हर माह करीब 1000 करोड़ रुपए का कर्जा बाजार से ले रही है. पिछले 4 माह के कार्यकाल के दौरान शिवराज सरकार 4250 करोड़ रुपए का कर्जा ले चुकी है. 13 जुलाई को सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का कर्जा लिया है. इसके पहले 8 जुलाई को भी सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का कर्जा लिया था. पहले से ही वित्तीय बदहाली से गुजर रही मध्य प्रदेश सरकार की कोरोना ने और हालत खराब कर दी है. प्रदेश पर करीब दो लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है. वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के मुताबिक कोरोना की वजह से मध्य प्रदेश के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है. हालांकि इससे उबरने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

बजट में कई योजनाओं की मदों में होगी कटौती

कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़ी प्रदेश की अर्थव्यवस्था का असर बजट में भी दिखाई देगा. आगामी बजट में कई योजनाओं के मदों में कटौती की जाएगी. माना जा रहा है कि स्वास्थ विभाग के बजट में बढ़ोतरी की जाएगी. वहीं कोरोना से जुड़े अन्य कार्यों के लिए भी ज्यादा बजट दिया जाएगा, जबकि अन्य विभागों के बजट में कटौती होगी. खासतौर से वह योजनाएं प्रभावित होंगी, जो कम लोगों को प्रभावित करती हैं. हालांकि कोरोना की वजह से अब प्रदेश सरकार अध्यादेश के जरिए पूर्ण बजट ही पारित कराएगी. माना जा रहा है कि यह करीब दो लाख करोड़ रुपए का हो सकता है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते मध्य प्रदेश के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुंचा है. अनलॉक में भले ही काम धंधे शुरू हो गए हों, लेकिन पहले की तरह सब कुछ सामान्य नहीं हो पाया है, क्योंकि कोरोना का असर व्यापार, उद्योगधंधों से लेकर कमोबेश सभी सेक्टरों पर पड़ा है. अंदेशा लगाया जा रहा है कि एक वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार को करीब 26 हजार करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ है. ऐसे में अब सरकार बजट में कई योजनाओं के मदों में भारी कमी करने की तैयारी कर रही है.

कोरोना से एमपी के राजस्व को भारी झटका

शराब दुकान शुरू हुई, बसों का संचालन अटका

तमाम विवादों के बाद मध्यप्रदेश में भले ही शराब की दुकानों का संचालन शुरू हो गया हो लेकिन बस ऑपरेटरों का मुद्दा अभी तक समझ नहीं पाया है. अनलॉक 1 के बाद राज्य सरकार ने तमाम सुरक्षा उपायों के साथ बसों के संचालन की अनुमति दे दी थी, लेकिन बस संचालक टैक्स माफ किए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदेश में बसों का संचालन ना होने से इसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है. माना जा रहा है कि पहले शराब ठेकेदारों और फिर बस ऑपरेटरों की विवाद की वजह से सरकार को करीब 3000 करोड़ का नुकसान हुआ है.

बस संचालन नहीं होने से करीब 75 करोड़ के राजस्व का नुकसान

बस ऑपरेटर द्वारा बसों का संचालन ना किए जाने से सरकार को हर माह करीब 75 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के मुताबिक जब तक कोरोना का संक्रमण खत्म नहीं हो जाता बसों का संचालन नहीं किया जाएगा. बस ऑपरेटरों की मांगों पर उन्होंने कहा कि जब बसों का संचालन शुरू होगा उसके बाद उनकी टैक्स माफ करने की मांगों पर विचार किया जाएगा. वहीं ऐसी ही स्थिति रेत खनन को लेकर है. 5 जिलों के टेंडर फिर से किए जा रहे हैं. वहीं बाकी जिलों में समय पर उत्खनन शुरू ना हो पाने की वजह से सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा है.

नुकसान की भरपाई कर्जा लेकर कर रही सरकार

कोरोना संक्रमण से मध्य प्रदेश के राजस्व को पहुंच रहे नुकसान की भरपाई और खर्च चलाने के लिए राज्य शासन को लगातार कर्जा लेना पड़ रहा है. राज्य सरकार हर माह करीब 1000 करोड़ रुपए का कर्जा बाजार से ले रही है. पिछले 4 माह के कार्यकाल के दौरान शिवराज सरकार 4250 करोड़ रुपए का कर्जा ले चुकी है. 13 जुलाई को सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का कर्जा लिया है. इसके पहले 8 जुलाई को भी सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का कर्जा लिया था. पहले से ही वित्तीय बदहाली से गुजर रही मध्य प्रदेश सरकार की कोरोना ने और हालत खराब कर दी है. प्रदेश पर करीब दो लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है. वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के मुताबिक कोरोना की वजह से मध्य प्रदेश के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है. हालांकि इससे उबरने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

बजट में कई योजनाओं की मदों में होगी कटौती

कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़ी प्रदेश की अर्थव्यवस्था का असर बजट में भी दिखाई देगा. आगामी बजट में कई योजनाओं के मदों में कटौती की जाएगी. माना जा रहा है कि स्वास्थ विभाग के बजट में बढ़ोतरी की जाएगी. वहीं कोरोना से जुड़े अन्य कार्यों के लिए भी ज्यादा बजट दिया जाएगा, जबकि अन्य विभागों के बजट में कटौती होगी. खासतौर से वह योजनाएं प्रभावित होंगी, जो कम लोगों को प्रभावित करती हैं. हालांकि कोरोना की वजह से अब प्रदेश सरकार अध्यादेश के जरिए पूर्ण बजट ही पारित कराएगी. माना जा रहा है कि यह करीब दो लाख करोड़ रुपए का हो सकता है.

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