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जिन्हें अपनों ने ठुकराया, उन्हें गैरों ने अपनाया: वृद्धा आश्रम पहुंच कर लोगों ने मनाई होली - वृद्धा आश्रम

देशभर में आज बड़े धूमधाम से होली का त्योहार मनाया जा रहा है. लोग प्रेम और सद्भाव से होली मना रहे हैं. हर घर में खुशियां छाई हैं लेकिन इस खुशी में भी उन लोगों की आंखें नम हैं जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया है.

होली मनाते हुए
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Published : Mar 21, 2019, 7:00 PM IST

भोपाल। देशभर में आज बड़े धूमधाम से होली का त्योहार मनाया जा रहा है. लोग प्रेम और सद्भाव से होली मना रहे हैं. हर घर में खुशियां छाई हैं लेकिन इस खुशी में भी उन लोगों की आंखें नम हैं जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया है. ऐसे लोगों के चेहरे में मुस्कान लाने के राजधानी भोपाल में वृद्धा आश्रम में लोगों ने पहुंच कर बुजुर्गों के साथ होली मनाई.

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अपना घर वृद्धा आश्रम की माधुरी ने बताया कि आस-पास की कॉलोनी के बच्चों के साथ मिलकर हम सब होली मानते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों के जीवन के जो रंग ओझल हो गए हैं, हम उन्हें वापस लाने की कोशिश करते हैं. जो लोगों ने अपने लोगों को छोड़ दिया है. हमारी कोशिश रहती है इन बुजुर्गों को जो कि हमारे समाज में बट वृक्ष की तरह हैं उन्हें घर की याद न आए.


साथ ही उन्होंने कहा कि जिस उम्र में लोगों को अपनों के साथ की जरूरत होती है, ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ देना सबसे पीड़ा दायक होता है. वे लोग जिन्हें बूढ़ा समझकर त्याग देते हैं. उनमें आज भी ज़िंदगी जीने का जज़्बा कायम है और यह जज़्बा त्योहार के दौरान और ज्यादा बढ़ जाता है. ये वृद्ध जो अपने घर से दूर एक नए परिवार के साथ हर खुशी-गम को बांटते हैं. आज उनके साथ नाच गाने के साथ होली का त्योहार मनाया गया.

भोपाल। देशभर में आज बड़े धूमधाम से होली का त्योहार मनाया जा रहा है. लोग प्रेम और सद्भाव से होली मना रहे हैं. हर घर में खुशियां छाई हैं लेकिन इस खुशी में भी उन लोगों की आंखें नम हैं जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया है. ऐसे लोगों के चेहरे में मुस्कान लाने के राजधानी भोपाल में वृद्धा आश्रम में लोगों ने पहुंच कर बुजुर्गों के साथ होली मनाई.

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अपना घर वृद्धा आश्रम की माधुरी ने बताया कि आस-पास की कॉलोनी के बच्चों के साथ मिलकर हम सब होली मानते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों के जीवन के जो रंग ओझल हो गए हैं, हम उन्हें वापस लाने की कोशिश करते हैं. जो लोगों ने अपने लोगों को छोड़ दिया है. हमारी कोशिश रहती है इन बुजुर्गों को जो कि हमारे समाज में बट वृक्ष की तरह हैं उन्हें घर की याद न आए.


साथ ही उन्होंने कहा कि जिस उम्र में लोगों को अपनों के साथ की जरूरत होती है, ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ देना सबसे पीड़ा दायक होता है. वे लोग जिन्हें बूढ़ा समझकर त्याग देते हैं. उनमें आज भी ज़िंदगी जीने का जज़्बा कायम है और यह जज़्बा त्योहार के दौरान और ज्यादा बढ़ जाता है. ये वृद्ध जो अपने घर से दूर एक नए परिवार के साथ हर खुशी-गम को बांटते हैं. आज उनके साथ नाच गाने के साथ होली का त्योहार मनाया गया.

Intro:भोपाल- वो लोग जिन्हें बूढ़ा समझकर उनके बच्चे साथ छोड़ देते है उनमें आज भी ज़िंदगी जीने का जज़्बा कायम है और यह जज़्बा त्यौहार के दौरान और ज्यादा बढ़ जाता है।
ये बात है उन वृध्दों की जो अपने घर से दूर एक नए परिवार के साथ हर खुशी-गम को बांटते है।
राजधानी भोपाल में भी एक ऐसा ही वृद्धाश्रम है अपना घर जहां के बुजुर्गों ने आज खुल कर होली का त्यौहार मनाया।


Body:
अपना घर की माधुरी जी ने बताया कि आस पास की कॉलोनी के बच्चों के साथ मिलकर हम सब होली मानते है। हमारे बुजुर्गों के जीवन के जो रंग ओझल हो गए है हम उन्हें वापस लाने की कोशिश करते हैं। जो लोग जो इन्हें छोड़ चुके है हमारी कोशिश रहती है कि ये लोग उन्हें याद ही न करे।


Conclusion:इस दौरान किसी ने बांसुरी बजायी तो कोई डांस करने में मग्न दिखा। किसी ने लोकगीत गाये तो कोई रंगों से खेलने और खिलाने में व्यस्त था।
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