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शहडोल मामले में स्वास्थ्य विभाग ने दी डॉक्टर्स को क्लीन चिट, जिम्मेदार कौन स्पष्ट नहीं- स्वास्थ्य मंत्री

स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने प्रेस कॉफ्रेंस कर शहडोल में हो रही बच्चों की मौत के मामले में बात की. जहां उन्होंने जिला अस्पताल के डॉक्टर्स को क्लीनचिट दी. मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है.

Prabhuram Chaudhary, Health Minister
प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री
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Published : Dec 5, 2020, 10:47 PM IST

भोपाल। शहडोल में पिछले 5 दिनों से करीब 13 बच्चों की मौत हो चुकी है. जिसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित की. इस मामले पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एक जांच टीम शहडोल अस्पताल गई थी. जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक इलाज में कहीं कोई लापरवाही नहीं की गई है.

विभाग ने दी डॉक्टर्स को क्लीनचिट

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि शहडोल अस्पतालों में हुई नवजात की मौत में कहीं कोई लापरवाही सामने नहीं आई है. डॉक्टर्स ने उन बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया था. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. जांच टीम की रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है कि लापरवाही नहीं बरती गई है. वही बच्चों की मौत किस कारण से हुई है इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने घुमा फिरा कर जवाब देते हुए कहा कि जागरूकता की कमी के कारण ऐसे मामले हो रहे हैं. आगे से ऐसे मामले ना हो इस बात की हम समीक्षा करेंगे.

मेडिकल स्टॉफ को बढ़ाया जाएगा

मध्यप्रदेश में मेडिकल स्टॉफ की कमी हमेशा से रही है. शहडोल के मामले में भी यही बात सामने आई है. इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि शहडोल में अभी हमने 20 बिस्तरों का एसएनसीयू वार्ड बढ़ाया है. इसके साथ ही मानव संसाधन बढ़ाने के लिए चार डॉक्टरों को पदस्थ किया गया है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज के सीनियर पीडियाट्रिक डॉक्टर्स शहडोल के डॉक्टर से वर्चुअल बातचीत करेंगे. अभिभावकों को जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार किया जाएगा और डोर टो डोर सर्वे भी किया जाएगा. इसके साथ ही भोपाल से तीन सीनियर डॉक्टर को भेजा जाएगा. एम्स भोपाल की भी मदद ली जाएगी. अस्पताल में फिलहाल के लिए दो एंबुलेंस भी बढ़ा दी गई है.

कारण अब तक स्पष्ट नहीं

हालांकि यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है कि लगातार हो रही बच्चों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस मामले में लीपापोती की तरह ही उत्तर दिए जा रहे हैं. व्यवस्थाओं को बढ़ाने की बात की जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि बच्चों की मौत के पीछे कई कारण होते हैं, जिस पर हम ध्यान देंगे.

मध्यप्रदेश में न हो ऐसे मामले की जाएगी समीक्षा

मध्यप्रदेश में हर साल शिशु मृत्यु दर काफी ज्यादा रहती है. इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि हम हर स्तर पर समीक्षा करेंगे, जिससे मृत्यु दर को कम किया जाए.

पिछले 9 महीने के आंकड़े

स्वास्थ विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से 4 दिसंबर 2020 तक प्रदेश में कुल 15519 नवजात बच्चों की मृत्यु के मामले दर्ज किए गए हैं. शहडोल जिले में 351 बच्चों की मौत हुई है. वहीं 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक 27934 बच्चों की मौत हुई है.

क्या है व्यवस्थाएं

प्रदेश में इस वक्त कुल 56 एसएनसीयू चलाये जा रहे है. उप जिला स्तरीय सीमा संस्थाओं में कम वजन और बीमार नवजात बच्चों के उपचार के लिए 62 एनबीएसयू नवजात शिशु स्थिरीकरण इकाई काम कर रही है. इसके अलावा 1561 न्यू बोर्न बेबी कॉर्नर बनाए गए हैं. प्रदेश के कुल 21 जिला चिकित्सालय और पांच चिकित्सा महाविद्यालयों में पीआईसीयू बाल गहन चिकित्सा इकाई संचालित की जा रही है.

भोपाल। शहडोल में पिछले 5 दिनों से करीब 13 बच्चों की मौत हो चुकी है. जिसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित की. इस मामले पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एक जांच टीम शहडोल अस्पताल गई थी. जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक इलाज में कहीं कोई लापरवाही नहीं की गई है.

विभाग ने दी डॉक्टर्स को क्लीनचिट

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि शहडोल अस्पतालों में हुई नवजात की मौत में कहीं कोई लापरवाही सामने नहीं आई है. डॉक्टर्स ने उन बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया था. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. जांच टीम की रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है कि लापरवाही नहीं बरती गई है. वही बच्चों की मौत किस कारण से हुई है इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने घुमा फिरा कर जवाब देते हुए कहा कि जागरूकता की कमी के कारण ऐसे मामले हो रहे हैं. आगे से ऐसे मामले ना हो इस बात की हम समीक्षा करेंगे.

मेडिकल स्टॉफ को बढ़ाया जाएगा

मध्यप्रदेश में मेडिकल स्टॉफ की कमी हमेशा से रही है. शहडोल के मामले में भी यही बात सामने आई है. इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि शहडोल में अभी हमने 20 बिस्तरों का एसएनसीयू वार्ड बढ़ाया है. इसके साथ ही मानव संसाधन बढ़ाने के लिए चार डॉक्टरों को पदस्थ किया गया है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज के सीनियर पीडियाट्रिक डॉक्टर्स शहडोल के डॉक्टर से वर्चुअल बातचीत करेंगे. अभिभावकों को जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार किया जाएगा और डोर टो डोर सर्वे भी किया जाएगा. इसके साथ ही भोपाल से तीन सीनियर डॉक्टर को भेजा जाएगा. एम्स भोपाल की भी मदद ली जाएगी. अस्पताल में फिलहाल के लिए दो एंबुलेंस भी बढ़ा दी गई है.

कारण अब तक स्पष्ट नहीं

हालांकि यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है कि लगातार हो रही बच्चों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस मामले में लीपापोती की तरह ही उत्तर दिए जा रहे हैं. व्यवस्थाओं को बढ़ाने की बात की जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि बच्चों की मौत के पीछे कई कारण होते हैं, जिस पर हम ध्यान देंगे.

मध्यप्रदेश में न हो ऐसे मामले की जाएगी समीक्षा

मध्यप्रदेश में हर साल शिशु मृत्यु दर काफी ज्यादा रहती है. इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि हम हर स्तर पर समीक्षा करेंगे, जिससे मृत्यु दर को कम किया जाए.

पिछले 9 महीने के आंकड़े

स्वास्थ विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से 4 दिसंबर 2020 तक प्रदेश में कुल 15519 नवजात बच्चों की मृत्यु के मामले दर्ज किए गए हैं. शहडोल जिले में 351 बच्चों की मौत हुई है. वहीं 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक 27934 बच्चों की मौत हुई है.

क्या है व्यवस्थाएं

प्रदेश में इस वक्त कुल 56 एसएनसीयू चलाये जा रहे है. उप जिला स्तरीय सीमा संस्थाओं में कम वजन और बीमार नवजात बच्चों के उपचार के लिए 62 एनबीएसयू नवजात शिशु स्थिरीकरण इकाई काम कर रही है. इसके अलावा 1561 न्यू बोर्न बेबी कॉर्नर बनाए गए हैं. प्रदेश के कुल 21 जिला चिकित्सालय और पांच चिकित्सा महाविद्यालयों में पीआईसीयू बाल गहन चिकित्सा इकाई संचालित की जा रही है.

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