भोपाल। कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होनी चाहिए. अगर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, तो वायरस संक्रमित मरीज को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाता है. वहीं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं और काढ़ों को बेहतर माना जाता है. इसीलिए भारत सरकार ने भी आयुर्वेदिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर प्रचार किया था.
प्रदेश सहित राजधानी के कुछ क्षेत्रों में भी कोरोना संक्रमितों को आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाई देकर परीक्षण करने का काम किया जा रहा था, पर पिछले महीने स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संबंधित इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के ट्रायल पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था, जिसका विरोध आयुष विभाग के अफसरों ने किया था. इसके बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने अपना जवाब पेश किया है.
स्वास्थ्य विभाग ने दिया स्पष्टीकरण
आयुष विभाग के अफसरों की नाराजगी को देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग ने एक स्पष्टीकरण जारी कर स्थिति को साफ कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बिना अनुमति के निजी संस्थाओं और कंपनियों में ट्रायल पर रोक लगाई गई है. सरकारी आयुर्वेदिक अस्पतालों पर किसी भी तरह की कोई रोक नहीं लगाई गई है.
प्रोटोकॉल के तहत ही होगा इलाज
स्वास्थ्य विभाग का यह भी कहना है कि, भारत सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए जो आयुर्वेद और योगा पर आधारित प्रोटोकॉल बनाए हैं, उसी के तहत लक्षण रहित और हल्के लक्षण युक्त पॉजिटिव रोगियों का इलाज किया जाना है. इसके अलावा 'नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकोल बेस्ड ऑन आयुर्वेद एंड योगा फॉर मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19' का भी उपयोग किया जा सकता है.
पहले होता था इलाज
बता दें कि, राजधानी के शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में कोविड-19 के मरीजों को आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक की दवाई देकर इलाज किया जा रहा था, जिसके परिणाम काफी हद तक सकारात्मक मिले थे, लेकिन फिर स्वास्थ्य विभाग के आदेश के बाद ट्रायल को रोक दिया गया.