सागर। सागर शहर से लगे एक गढ़पहरा किला परिसर में भगवान हनुमान का ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर हनुमान जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जिसके बाद मंदिर का निर्माण राजे रजवाड़ों ने कराया था. बुंदेलखंड इलाके में इस मंदिर की विशेष महिमा मानी जाती है. खासकर आषाढ़ माह के हर मंगलवार (Ashaad Mangalwar) को हनुमान जी के मंदिर में मेला लगता है. हालांकि कोरोना की वजह से मेला नहीं लग रहा है लेकिन हां भक्तगण अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आ रहें हैं. पहले की तरह तादाद तो कम है फिर भी स्थानीय और आस पास के इलाकों के लोग जुट रहें हैं.
कहा जाता है कि सच्ची आस्था और सच्चे मन से जो भी गढ़पहरा के हनुमान जी से जो मनोकामना मांगता है, वह पूरी होती है. विशाल पहाड़ी पर गढ़पहरा किला परिसर में बने इस मंदिर के दर्शन के साथ लोग सागर शहर के प्राचीन इतिहास से भी रूबरू होते हैं.
Mangalwar vrat Vidhi: सकलगुणनिधान हनुमान की पूजा है फलदायी, जानें महत्व, विधान और कथा
कहानी कम रोचक नहीं (Interesting Story )
पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को लेकर तरह-तरह की किंवदंतियां हैं. कहा जाता है कि जब गढ़पहरा के किले का निर्माण हो रहा था, तो भगवान हनुमान की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी. निर्माण कराने वाले राजा ने फिर विशेष रूप से मंदिर का निर्माण कराया था. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि गढ़पहरा के शीश महल में एक नट नर्तकी की परीक्षा ली गई थी और परीक्षा में उसकी जान चली गई थी. तब से उसकी आत्मा इस इलाके में भटकती थी, इसलिए भगवान हनुमान के मंदिर का निर्माण कराया गया था.
बुंदेलखंडियों की आस्था का केंद्र (Astha Ka kendra)
इस मंदिर में सागर शहर सहित पूरे बुंदेलखंडियों की विशेष आस्था है. सागर शहर के अलावा दूर-दूर से लोग भगवान हनुमान के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं. आषाढ़ माह के हर मंगलवार को यहां विशेष रूप से मेला लगता है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब शयन करते हैं, तो उनकी सुरक्षा के के लिए भगवान हनुमान विशेष रूप से जागरण करते हैं. इस समय पर जो भी भक्त भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करता है,उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. गढ़पहरा हनुमान मंदिर की भी कुछ ऐसी ही महिमा है. मनोकामना पूरी होने पर आषाढ़ के मंगल में लोग मंदिर परिसर में विशेष आयोजन भी करवाते हैं.