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बीज के पैकेट हॉलमार्क होगा जरूरी, गुणवत्ता के लिए सरकार ने उठाया कदम

मध्य प्रदेश में किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराने के लिए अब पैकेट पर हॉल मार्क अनिवार्य कर दिया गया है. अगले खरीफ से यह प्रावधान लागू होगा.

hallmark is necessary in seed Packet in Madhya Pradesh
समीक्षी बैठक
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Published : Dec 22, 2020, 1:55 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराने के लिए अब पैकेट पर हॉल मार्क अनिवार्य कर दिया गया है. कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके निर्देश दिए हैं. बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए की विभाग किसानों को बताए कि रबी और खरीफ में कौन सी फसल कितनी मात्रा में लगाई जाए जिससे उन्हें अच्छा उत्पादन मिल सके और बेहतर मूल्य प्राप्त हो. इसके लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र में रबी व खरीफ फसलों की बुआई के पहले इन फसलों की सूची प्रदर्शित की जाए. इस संबंध में प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालय भी सक्रिय भूमिका निभाएं.

निरंतर करें फसलों की निगरानी

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विभाग की अनुपयोगी योजनाओं को बंद किया जाए. कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से कृषि विभाग फसलों की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करे, जिससे एकदम बीमारी लगकर फसलें समाप्त न हो जाएं, जैसा इस बार सोयाबीन में हुआ.

किसानों को अच्छी गुणवत्ता का बीज सुनिश्चित कराने के लिए प्रमाणित बीजों के पैकेट्स पर हॉलोग्राम अनिवार्य रहेगा. अगले खरीफ से यह प्रावधान लागू होगा. कृषि क्षेत्र में आमदनी बढ़ाने के लिए गांवों के लिऐ समग्र कृषि विकास कार्यक्रम बनाए जाएं. "लैब टू लैंड" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विश्वविद्यालयों ने शोध कर योजना तैयार कर ली है. यह केवल शोध तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. शोध का लाभ किसान के खेत तक पहुंचना चाहिए.

प्रदेश की 30 कृषि उपज मंडियों को हाइटेक बनाया जाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों का विकास किया जा रहा है. प्रथम चरण में प्रदेश की 30 कृषि उपज मंडियों को आधुनिक हाइटेक बनाया जा रहा है. इनमें गोदाम, भंडारण, मूल्य संवर्धन, शीत भंडारण और एग्री क्लीनिक आदि सुविधाएं होंगी, ग्रेडिंग मशीनें भी लगाई जाएंगी.

हर वर्ष 30 प्रतिशत बीज का प्रतिस्थापन होना चाहिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छी फसलों के लिए प्रतिवर्ष 30 प्रतिशत बीज का प्रतिस्थापन होना चाहिए. किसानों को उन्नत बीज मिलना चाहिए. प्रदेश में बीज उत्पादक सहकारी समितियों को और सक्रिय किया जाए. प्रदेश के 50 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं, शेष 2 जिलों विदिशा एवं निवाड़ी में नए कृषि विज्ञान केन्द्र खोले जाएंगे.

प्रदेश की प्रमुख फसलों की जीआई टैगिंग

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की प्रमुख फसलों शरबती गेहूं, लाल ग्राम पिपरिया तूअर, काली मूंछ चावल, जीरा शंकर चावल तथा चिन्नौर धान की जीआई टैगिंग कराई जाए. बता दें बासमती चावल की जीआई टैगिंग कराई जा रही है.

केन्द्र सरकार की कृषि अधोसंरचना योजना में मध्यप्रदेश अव्वल

कृषि अधोसंरचना विकास के लिए ऋण प्रदाय किए जाने की केन्द्र सरकार की कृषि अधोसंरचना (AIF) योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश भारत में प्रथम स्थान पर है. मध्यप्रदेश से 231 करोड़ रूपए के कुल 222 प्रकरण सत्यापित किए गए हैं. इनमें से 23 प्रकरणों में 21 करोड़ का ऋण वितरित किया गया है तथा 98 करोड़ के 87 प्रकरण बैंकों के पास ऋण वितरण के लिए लंबित हैं. शेष में कार्रवाई जारी है.

भोपाल। मध्य प्रदेश के किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराने के लिए अब पैकेट पर हॉल मार्क अनिवार्य कर दिया गया है. कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके निर्देश दिए हैं. बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए की विभाग किसानों को बताए कि रबी और खरीफ में कौन सी फसल कितनी मात्रा में लगाई जाए जिससे उन्हें अच्छा उत्पादन मिल सके और बेहतर मूल्य प्राप्त हो. इसके लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र में रबी व खरीफ फसलों की बुआई के पहले इन फसलों की सूची प्रदर्शित की जाए. इस संबंध में प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालय भी सक्रिय भूमिका निभाएं.

निरंतर करें फसलों की निगरानी

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विभाग की अनुपयोगी योजनाओं को बंद किया जाए. कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से कृषि विभाग फसलों की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करे, जिससे एकदम बीमारी लगकर फसलें समाप्त न हो जाएं, जैसा इस बार सोयाबीन में हुआ.

किसानों को अच्छी गुणवत्ता का बीज सुनिश्चित कराने के लिए प्रमाणित बीजों के पैकेट्स पर हॉलोग्राम अनिवार्य रहेगा. अगले खरीफ से यह प्रावधान लागू होगा. कृषि क्षेत्र में आमदनी बढ़ाने के लिए गांवों के लिऐ समग्र कृषि विकास कार्यक्रम बनाए जाएं. "लैब टू लैंड" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विश्वविद्यालयों ने शोध कर योजना तैयार कर ली है. यह केवल शोध तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. शोध का लाभ किसान के खेत तक पहुंचना चाहिए.

प्रदेश की 30 कृषि उपज मंडियों को हाइटेक बनाया जाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों का विकास किया जा रहा है. प्रथम चरण में प्रदेश की 30 कृषि उपज मंडियों को आधुनिक हाइटेक बनाया जा रहा है. इनमें गोदाम, भंडारण, मूल्य संवर्धन, शीत भंडारण और एग्री क्लीनिक आदि सुविधाएं होंगी, ग्रेडिंग मशीनें भी लगाई जाएंगी.

हर वर्ष 30 प्रतिशत बीज का प्रतिस्थापन होना चाहिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छी फसलों के लिए प्रतिवर्ष 30 प्रतिशत बीज का प्रतिस्थापन होना चाहिए. किसानों को उन्नत बीज मिलना चाहिए. प्रदेश में बीज उत्पादक सहकारी समितियों को और सक्रिय किया जाए. प्रदेश के 50 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं, शेष 2 जिलों विदिशा एवं निवाड़ी में नए कृषि विज्ञान केन्द्र खोले जाएंगे.

प्रदेश की प्रमुख फसलों की जीआई टैगिंग

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की प्रमुख फसलों शरबती गेहूं, लाल ग्राम पिपरिया तूअर, काली मूंछ चावल, जीरा शंकर चावल तथा चिन्नौर धान की जीआई टैगिंग कराई जाए. बता दें बासमती चावल की जीआई टैगिंग कराई जा रही है.

केन्द्र सरकार की कृषि अधोसंरचना योजना में मध्यप्रदेश अव्वल

कृषि अधोसंरचना विकास के लिए ऋण प्रदाय किए जाने की केन्द्र सरकार की कृषि अधोसंरचना (AIF) योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश भारत में प्रथम स्थान पर है. मध्यप्रदेश से 231 करोड़ रूपए के कुल 222 प्रकरण सत्यापित किए गए हैं. इनमें से 23 प्रकरणों में 21 करोड़ का ऋण वितरित किया गया है तथा 98 करोड़ के 87 प्रकरण बैंकों के पास ऋण वितरण के लिए लंबित हैं. शेष में कार्रवाई जारी है.

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