हैदराबाद। कानों में गुरु पूर्णिमा शब्द की गूंज पड़ते ही दिमाग में शिक्षकों की भूमिका बनने लगती है. वैसे तो गुरु पूर्णिमा त्योहार हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों द्वारा अपने शिक्षकों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है, लेकिन शास्त्रों में इसके बहुत महत्व है. गुरु पूर्णिमा को अलग-अलग समय पर अलग महान व्यक्तित्व से संबद्ध किया गया. अगर बात शिक्षक तक ही सीमित होती तो वहां टीचर्स-डे मनाया जाता, लेकिन यहां बात शिक्षकों से भी बढ़कर उन गुरुओं की है, जिन्हें भगवान का दर्जा मिला है या जिन्होंने भगवान तक जाने का मार्ग बनाया. अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग गुरुओं के हिसाब से गुरु पूर्णिमा मनायी जाती है.
महर्षि व्यास के जन्म दिवस पर मनायी जाती है गुरु पूर्णिमा
इस दिन गुरु की पूजा का विशेष महत्व होता है. भारत में इस दिन को बहुत श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. धार्मिक शास्त्रों में भी गुरु के महत्व को बताया गया है. गुरु के बिना ज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. गुरु की कृपा से सब संभव हो जाता है. गुरु व्यक्ति को किसी भी विपरित परिस्थितियों से बाहर निकाल सकते हैं. हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा महाकाव्य महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म दिवस मनाया जाता है, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
गौतम बुद्ध के पहले उपदेश के सम्मान में मनायी जाती है गुरु पूर्णिमा
बौद्ध धर्म के अनुयायी गौतम बुद्ध द्वारा सारनाथ में दिए गये पहले उपदेश के सम्मान में गुरु पूर्णिमा पर्व मानते हैं. सदगुरु के अनुसार: गुरु पूर्णिमा वह दिवस है जब पहली बार आदियोगी अर्थात भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग का ज्ञान देकर खुद को आदि गुरु के रूप में स्थापित किया.
दस गुरुओं की याद में भी मनायी जाती है गुरु पूर्णिमा
सिख धर्म में केवल एक ईश्वर, और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन के वास्तविक सत्य के रूप में मानते हैं. सिख धर्म का एक प्रचलित कहावत रूपी दोहा निम्न प्रकार से है:
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागु पांव,
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।
जैन धर्म में है गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व
भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के छात्र भी इस पवित्र त्योहार को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं. स्कूली छात्र-छात्राएं गुरु वंदना और उपहारों से अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं, तथा उनके ऋणी होने का एहसास कराते हैं. जैन धर्म के अनुसार, यह दिन चौमासा अर्थात चार महीने के बरसात के मौसम की शुरुआत के रूप में और त्रीनोक गुहा पूर्णिमा के रूप में मानते हैं.
गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
देशभर में 24 जुलाई को आषाढ़-गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी. सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि के दिन गंगा स्नान व दान बेहद शुभ फलकारी माना जाता है. पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई 2021, शुक्रवार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी.
गुरु पूर्णिमा के शुभ योग
- गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: - 23 जुलाई 2021, शुक्रवार सूबह (10:44)
- गुरु पूर्णिमा तिथि समापन: - 24 जुलाई 2021, शनिवार सुबह (08:07)
- सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ: - 24 जुलाई 2021, दोपहर (12:40)
- सर्वार्थ सिद्धि योग समापन: - 25 जुलाई 2021, सुबह (05:39)
पूजा करने की विधि
- गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले स्नान कर लें.
- इसके बाद अपने गुरु की पूजा की तैयारी करें.
- अपने गुरु को फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र चढ़ाएं.
- उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें.
- उन्हें फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि देकर सम्मानित करें.
मानसिक शांति के लिए यह करें दान
गुरु पूर्णिमा की रात खीर बनाकर दान करने से मानसिक शांति मिलती है. ऐसा करने से चंद्र ग्रह का प्रभाव भी दूर हो जाता है. बताया जाता है कि याज्ञवल्य ऋषि के वरदान से वृक्षराज(बरगद) को जीवनदान मिला था. इसलिए गुरु पूर्णिमा पर बरगद की भी पूजा की जाती है.
Guru Purnima 2021: कब है गुरु पूर्णिमा, क्या है विशेष महत्व, जानिए सभी सवालों के जवाब
वैदिक मंत्रों के जाप से होती है खास कृपा
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
गुरु गूंगे गुरु बाबरे गुरु के रहिये दास,
गुरु जो भेजे नरक को, स्वर्ग कि रखिये आस।
माटी से मूरत गढ़े, सद्गुरु फूके प्राण।
कर अपूर्ण को पूर्ण गुरु, भव से देता त्राण।।