भोपाल। प्रदेश की राज्यपाल इस समय राजधानी भोपाल स्थित राजभवन में 25 अक्टूबर तक के लिए आई हुईं हैं और इस दौरान वो लगातार कई कार्यक्रमों में हिस्सा भी ले रही हैं. कोरोना काल में संस्कृत विषय पर अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया. जिसमें गवर्नर भी मुख्य रूप से उपस्थित हुईं, इस दौरान इस परिसंवाद में 87 देशों के एक हजार प्रतिनिधि ऑनलाइन शामिल हुए.
अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि कोविड-19 का अनुभव बताता है कि रोग चिकित्सा स्वास्थ्य केन्द्रों को रोग निवारक केन्द्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. आयुर्वेद के चिकित्सा ज्ञान और जीवन शैली को आधुनिक समय के ज्ञान-विज्ञान के अनुरूप अनुसंधनात्मक प्रमाणिकता प्रदान करने के प्रयास किए जाएं. व्यक्तिगत स्तर पर औषधि और उपचार के प्रयासों और प्रयोगों को प्रमाणिकता के साथ मानवता के कल्याण के लिए सामने लाने के प्रयास जरुरी है. आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा के प्रयोगों की चुनौतियों को आगे बढ़कर स्वीकार करें. क्लीनिकल प्रयोगों जैसे शोध और अनुसंधान समय की जरुरत है.
हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की चिंता स्वयं करनी होगी
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना वायरस ने बताया है कि आजीवन स्वास्थ्य के लिए मेरा स्वास्थ्य मेरी जिम्मेदारी की भावना जरूरी है. हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की स्वयं चिंता करनी होगी. अपने स्वास्थ्य के लिए सरकार और दूसरों पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा. आयुर्वेद योग और पारंपरिक उपचार विधियों, खान-पान, आचार-विचार और व्यवहार की वैज्ञानिकताओं को स्पष्ट करते हुए जनमानस तक पहुंचाने के प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व आज जाने अनजाने भारतीय सभ्यता और परंपरा का अनुसरण कर रहा है. सामाजिक दूरी के साथ अभिवादन का तरीका भारतीय संस्कृति के मनीषियों के तप और साधना के अनुसंधान का फल है.
हर संकट लाता है अपने साथ एक अवसर
गवर्नर ने कहा कि हर संकट अपने साथ एक अवसर लाता है. कोविड-19 भी अपवाद नहीं है. विकास के क्षेत्र में किस तरह के नए अवसर बन सकते हैं, इस दिशा में सार्थक प्रयासों की आवश्यकता है. हमें विश्व में मौजूदा परिपाटियों के अनुसरण के बजाय आगे बढ़ने के प्रयास करने होंगे. जरुरत जीवन शैली के ऐसे मॉडल की है, जो आसानी से सुलभ हो. सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा ज्ञान का सार्थक उपयोग हो, ताकि हमारे कार्यालय, कारोबार, व्यापार बिना जनहानि के त्वारित गति से आगे बढ़े. जिसमें उपस्थिति से ज्यादा उत्पादकता और कुशलता मायने रखती हो, जो गरीबों, वंचित लोगों और पर्यावरण की देखरेख को प्रमुखता दे.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण काल में संस्कृत के ज्ञान की ऑनलाइन वैश्विक उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. संस्कृत में अनुसंधान और शोधपरक, तथ्यात्मक अध्ययनों पर आधारित डिजिटल कन्टेंट के द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्ध धरोहर को आधुनिक युग की प्रासंगिकता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए.